चंपावत जिले में वैसे तो अनेक धार्मिक स्थल ऐसे हैं जो देश में ही नहीं विदेशों में भी अपने अलग पहचान रखते हैं, इन्हीं में एक है माँ बाराही मंदिर देवीधुरा।
देवीधुरा के बाराही मंदिर में वैसे तो पूरे साल भर दर्शन हेतु, देश – विदेश से लोग आते रहते हैं। साथ ही यहां के घने बांज के जंगल, देवदार के हरे भरे पेड़ों के बीच से हिमालय का दिखता सुंदर नजारा पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करता है, तो अक्सर यहां लोग पर्यटक के तौर भी पर आते रहते हैं।
मंदिर में रक्षाबंधन के समय लगभग 14 दिन का मेला लगता है, लेकिन मुख्य आकर्षण रक्षाबंधन के दिन होने वाली बग्वाल होती है, जिसको देखने के लिए दुनियाभर से लोग आते हैं, और मां भगवती का आशीर्वाद प्राप्त करते हैं।
बग्वाल में चार खामों के लोग, आपस में दो टीम में बंट कर एक दूसरे पर फल व फूल बरसाते हैं, व पत्थर भी फेंके जाते हैं। आज से 5 साल पहले तक बग्वाल केवल पत्थर से खेली जाती थी। बग्वाल से पहले अष्टबली भी दी जाती थी, जिसमें एक नर भैंसे (कटरा) व बकरियों की बली दी जाती थी, लेकिन अब कोर्ट व प्रशासन की सख्ती के कारण अष्ट बलि में जानवरों की बली नहीं दी जाती, और बग्वाल भी पत्थर छोड़ फलों से खेली जाती है। बताया जाता है पहले जब बग्वाल में जो घायल हो जाते थे, उनको बिच्छू घास उपचार के तौर पर लगाई जाती थी, लेकिन आजकल डाक्टरों की टीम लगी रहती है।
माना जाता है कि मंदिर में जो भी भक्त पवित्र हृदय से आता है, उसकी मनोकामना पूर्ण होती है। जिसकी मनोकामना पूरी होती है वह बग्वाल खेलने जरुर आता है। अब मंदिर को एक धाम के रुप में विकसित करने का कार्य प्रगति पर है। धाम के रुप में विकसित होने पर यहां और ज्यादा लोग यहां घूमने व दर्शन के लिए आयेंगे तो यहां के लोगों का रोजगार भी बड़ेगा।
मंदिर की विस्तार से जानकारी और बग्वाल की बारें में जानने के लिए देखे विडियो
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