साइबर क्राइम क्या है – What is Cyber Crime in Hindi
साइबर क्राइम, जिसे कंप्यूटर अपराध के रूप में भी जाना जाता है, जब कोई क्राइम इंटरनेट में होता है उस crime को साइबर क्राइम कहा जाता है. इसके anonymous nature के कारण ही criminal activities की शुरुवात होती है और ऐसे लोग जिनका थोडा ज्यादा intelligence है वो Internet का गलत इस्तमाल करते हैं. साइबर क्राइम दिनबदिन बड़ते जा जा रहा है और criminal activities के कई नए forms cyberspace में दिखाई पड़ रहे है. ऐसे में प्रत्येक Internet Users को इन साइबर क्राइम के विषय में जानकारी रखना अति आवश्यक है. माना की Internet का लोगों को जोड़ने में बहुत बड़ा योगदान है लेकिन इसके साथ कई users साइबर क्राइम का शिकार बन रहे हैं. इसलिए इन सब से बचने के लिए आपको और आपके data या information को secure करना सबसे जरुरी है।
साइबर अपराध के प्रकार
वैसे देखा जाये तो साइबर क्राइम के बहुत सारे types हैं लेकिन मैंने कुछ common types के विषय में नीचे बताया है:
Hacking
अपराधी जो इन अवैध कामों को करते हैं उन्हें कई लोग hackers भी कहते हैं. ये साइबर अपराधी कंप्युटर और Internet technology का इस्तेमाल दूसरों के निजी और sensitive जानकारी को उनके बिना अनुमति के ही access करते हैं restricted area किसी का personal computer हो सकता है या कोई online account. , साथ ही ये internet का भी खतरनाक इस्तेमाल करते हैं।
वहीँ Cracking बहुत ही अलग होता है Ethical Hacking से जहाँ की organization Ethical Hackers को appoint करते हैं उनके website की security को check करते हैं।
वैसे देखा जाये तो साइबर क्राइम के बहुत सारे types हैं लेकिन मैंने कुछ common types के विषय में नीचे बताया है :
हैकिंग कितनी आम है?
आज कितने लोगों को हैक किया जाता है, इसके लिए कोई एकल डेटा स्रोत नहीं है। हालांकि अनुमान है कि हर 37 सेकेंड में कोई न कोई साइबर क्राइम का शिकार होता है। 2021 में, 5 में से 1 इंटरनेट उपयोगकर्ता के ईमेल ऑनलाइन लीक हो गए थे, जिससे हैकर्स उनके खातों तक पहुंचने में सक्षम हो सकते थे।
Theft
ये क्राइम तब होता है जब कोई इंसान किसी copyrights laws का उलंघन करता है. ऐसे बहुत से peer sharing websites हैं जो की software piracy को और owner के बिना permission ही सभी premium चीज़ों को freely distribute करते हैं अपने websites में. ऐसा करना क़ानूनी अपराध माना जाता है. ऐसे में कई कानून हैं जो की ऐसे illegal downloads को अपराध मानते हैं.
Cyber Stalking
इसमें की victim को online किसी staker के द्वारा harass किया जाता है। ये प्रायतः social media में ज्यादा देखने को मिलता है जिसमें की ये stalkers online messages और emails के द्वारा victims को परेशान करते हैं। इसमें ये stalkers अक्सर छोटे बच्चों को अपना शिकार बनाते हैं जिन्हें की इंटरनेट की ज्यादा समझ नहीं होती है. और ये उनसे उनका physical address, photos, personal information प्राप्त कर बाद में उन्हें blackmail करते हैं. इससे victims का जीवन बहुत काफी तकलीफ दायक बन जाता है.
Identity Theft
यह क्राइम आज के समय में सबसे ज्यादा देखा गया है. ये ज्यादातर उन लोगों को target करते हैं जो की Internet का इस्तेमाल कर अपने cash transactions करते हैं।
इस साइबर क्राइम में, एक अपराधी किसी व्यक्ति का सभी data जैसे की उसका बैंक अकाउंट नंबर, क्रेडिट कार्ड की जानकारी, इंटरनेट बैंकिंग की जानकारी, निजी जानकारी, डेबिट कार्ड और दुसरे sensitive information किसी प्रकार access कर लेते हैं और फिर उन्ही जानकारी का इस्तेमाल कर Victim का identity लेकर online चीज़ें खरीदते हैं। ऐसे में victims का बड़ा financial losses होता है.
Malicious Software
ऐसे बहुत से Internet-based software या programs हैं जो की किसी भी नेटवर्क को ख़राब कर सकता है. ऐसे software को यदि किसी network में एक बार install कर दिया जाये तब ये hackers बड़ी ही आसानी से उस नेटवर्क में स्तिथ सभी जानकारी को access कर सकते हैं और साथ में उसमें स्तिथ डाटा को भी नुकसान पहुँच सकते हैं.
Child Ponography और Abuse
इस प्रकार के क्राइम में अपराधी ज्यादातर chat rooms का इस्तेमाल करते हैं और खुद के पहचान को छुपकर minors के साथ बातचीत करते हैं. छोटे बच्चों को या minors को इतनी ज्यादा समझ नहीं होती है जिसके चलते वो इन बच्चों को abuse करते हैं, उन्हें डराते धमकाते हैं और साथ में ponography के लिए बाध्य भी करते हैं। ऐसे धमकी से डरकर बच्चे अपने बड़ों से कुछ कह नहीं पाते हैं और इस Abusers का शिकार बनते हैं. बहुत से देश के government इस दिशा में काम कर रही है और कुछ हद तक सफल भी हुई है.
साइबर अपराध में छिपकर बातें करना क्या है?
‘ईव्सड्रॉपिंग’ हैकर्स को 2 उपकरणों के बीच भेजे गए डेटा को देखने, इंटरसेप्ट करने, संशोधित करने या हटाने में सक्षम बनाता है। ईव्सड्रॉपिंग निष्क्रिय हो सकती है, जहां हैकर प्रसारित होने वाले डेटा को ‘सुनता है’ लेकिन अन्यथा हस्तक्षेप नहीं करता है।
सक्रिय ईव्सड्रॉपिंग तब होती है जब हैकर्स वास्तविक कनेक्शन होने का बहाना करके नेटवर्क पर डेटा पैकेट को इंटरसेप्ट करते हैं। ‘मैन-इन-द-मिडल’ हमले सक्रिय छिपकर बात करने का सबसे सामान्य रूप है। हैकर्स सोशल इंजीनियरिंग या दुर्भावनापूर्ण सॉफ़्टवेयर के माध्यम से नेटवर्क तक पहुँचते हैं, और फिर उस नेटवर्क पर उपकरणों के बीच भेजे गए डेटा को चुरा सकते हैं, पुनर्निर्देशित कर सकते हैं या हटा सकते हैं।
साइबर क्राइम की Categories:
साइबर क्राइम को तीन भागों में बाँटा गया हैं ,हर प्रकार में बहुत से अलग अलग प्रकार के तरीकों का इस्तेमाल किया जाता है.
Individual: इस प्रकार के साइबर क्राइम में कई क्राइम आते हैं जैसे की cyber stalking करना, pornography को distribute करना, trafficking और “grooming”. अभी के बात करें तब बहुत से law enforcement agencies इस category के साइबर क्राइम को बहुत seriously ले रहे हैं और बहुत से अलग institution के साथ join होकर internationally ऐसे अपराधियों को arrest करने में सफल भी हो रहे हैं.
Property: जैसे की हमारे real world में criminal हमारे चीज़ों, property को चुरा सकते हैं वैसे ही virtual world में भी cyber criminals victim के bank details, login details, credit card और debit card details को चुरा सकते हैं, और इनका गलत इस्तेमाल कर सकते हैं। जिससे आपको financially दिक्कत हो सकती है. साथ में कुछ लोग को scammy sites बनाते हैं और लोगों को ठगते हैं. कुछ email के द्वारा offers और malicious software send करते हैं जिसे खोलने पर आपका computer उन hackers के control में चला जाता है.
Government: हालाँकि ये ज्यादा common नहीं होता है लेकिन अगर crime किसी सरकार के विरुद्ध होता है तब इसे Cyber Terrorism कहा जाता है. अगर इसका सही से implemenation हो तब ये सरकार के government websites, military websites, Official Websites तक को hack कर सकते हैं. ये किसी देश की आर्थिक स्तिथि को हिला डालने की क्ष्य्मता रखते हैं.
भारत में साइबर अपराध:
भारत की बात करें तब यहाँ पर भी वैसे कुछ comprehensive नियम या laws नहीं हैं लेकिन बहुत से शहरों में cyber crime cell खोल दिए गए हैं जो की ऐसे केस को handle करते हैं और साथ में ये awareness पैदा करते हैं की कैसे इन सभी क्राइम से खुद को बचा सकें। कई देशों की तरह भारत भी तेजी से साइबर क्राइम का शिकार हो रहा है। जिसके आकड़े चौकाने वाले हैं।
वर्ष केस
2018 2,08,456
2019 3,94,499
2020 11,58,208
2021 14,02,809
2022 (केवल 2 महीने के आकड़ें) 2,12,485
इसके अतिरिक्त, हाल के वर्षों में भारतीय वेबसाइटों को हैक करने की संख्या में वृद्धि हुई है। 2018 में, लगभग 17,560 साइटों को हैक किया गया था। 2020 में, अतिरिक्त 26,121 साइटों को हैक किया गया था।
उत्तराखंड में भी साइबर अपराध के मामले निरंतर वृद्धि में हैं साथ ही जनसंख्या के आधार से देशभर में हमारा प्रदेश 14वां स्थान में है, जबकि बाकि राज्य हमसे कई बेहतर स्थिति में है, उत्तराखंड में 2016 के मुकाबले 2018 के बीच साइबर अपराध में दो गुना से की बढ़ोतरी हुई है ।
साइबर अपराध किसे प्रभावित करता है?
साइबर अपराध सभी को प्रभावित करता है। सबसे कम प्रभावित आमतौर पर 20 वर्ष से कम उम्र के होते हैं, लेकिन 2020 में महामारी के दौरान ऑनलाइन अध्ययन करने वाले छात्रों ने 20 वर्ष से कम उम्र के पीड़ितों में लगभग 100% की वृद्धि (लगभग 10,000 से 20,000 से अधिक) में योगदान दिया। 2021 में संख्या में 36% की गिरावट आई है, लेकिन यह पूर्व-कोविड स्तरों से 56% अधिक है।
पेंशनभोगी (60+) ऑनलाइन अपराध के लिए सबसे अधिक संवेदनशील समूह हैं। 2020 में 60 वर्ष से अधिक आयु के पीड़ितों में 55% की वृद्धि देखी गई, और यह प्रवृत्ति 2021 तक 92,000 से अधिक पीड़ितों तक जारी रही।
cyber crime में police की क्या भूमिका हैं??
साइबर क्राइम एक विशेष क्षेत्र है, जो की इंटरनेट में विस्तारित होता जा रहा है. ऐसे में साइबर कानून में ऐसे बहुत से नए विकास होने बाकि हैं जिससे की इस अपराध को सही तरीके से रोका जा सके। अभी की बात की जाए तो बड़े बड़े जांच एजेंसियों को भी इसमें बहुत दिक्कत आती है क्यूंकि ये वर्चुअल दुनिया का अपराध हैं और इसे असल दुनिया से नियंत्रित करना उतना आसान नहीं है.
भारत की बात करें तब यहाँ पर भी वैसे कुछ बड़े नियम या कानून नहीं हैं लेकिन बहुत से शहरों में साइबर क्राइम सेल खोल दिए गए हैं जो की ऐसे केस को देखते हैं और साथ में ये जागरूकता पैदा करते हैं की कैसे इन सभी अपराधों से खुद को बचाया जा सके। साइबर सेल केवल तभी ठीक ढंग से काम कर सकेगी जब पीड़ित साइबर पुलिस को पूरा सहयोग करेगी और साथ में सभी जरुरत के सबूत प्रदान करेगी. लेकिन नए सिस्टम और कानून को आने में थोडा समय जरुर लगता है.
ये तो हम सभी जानते ही हैं की इंटरनेट यूजर्स के बढ़ जाने से साइबर क्राइम के आकड़ों में भी काफी बढ़ोतरी आई है. हम अपने आस पास में भी बहुतों को ये कहते सुने होंगे की हम साइबर क्राइम का शिकार हो गए हैं, या किसी की क्रेडिट कार्ड फ्रॉड हो गया है। ऐसे में हम बहुत बार ये समझ नहीं पाते हैं इस क्राइम की शिकायत कहा करें, किसे करें, क्या सबूत दिखने होंगे, क्या करना होगा और कितना समय लगेगा। जिसके चलते हम कुछ भी नहीं करते हैं और ये साइबर अपराधी अपना काम करते रहते हैं।
साइबर क्राइम को रोकने के उपाय
1. हाथ से लिखे साइबर क्राइम कम्प्लैन्ट रजिस्टर करें. IT Act के अनुसार, एक साइबर क्राइम वैश्विक क्षेत्राधिकार के अंतर्गत आता है. इसका मतलब है की आप एक साइबर क्राइम कम्प्लैन्ट को भारत के किसी भी साइबर सेल में कर सकते हैं. इसके लिए आपको विशेष रूप से कहीं जाने के जरुरत नहीं होती है. अभी भारत में प्राय सभी बड़े शहरों में साइबर क्राइम सेल खुल चुके हैं.
2. जब आप कोई साइबर क्राइम कम्प्लैन्ट रजिस्टर करें, तब आपको अपना नाम,फोन नंबर और मेल पता देना पड़ता है. इसके बाद आपको साइबर क्राइम सेल के हेड को लिखकर कम्प्लैन्ट भी देना होता है जहां आपने अपनी कम्प्लैन्ट फाइल की थी।
3. अगर आप किसी ऑनलाइन उत्पीड़न के शिकार हैं, तब आपको एक कानूनी सलाहकार सहायता कर सकता है रिपोर्ट करने के दौरान पुलिस स्टेशन में आपको कुछ डॉक्युमेंट भी प्रदान करने पड़ सकते हैं। आपके कम्प्लैन्ट के साथ ये निर्भर करता है की आपके साथ हुआ क्राइम किस प्रकार का है.
4. Cyber Crime FIR: अगर आपके शहर में कोई भी साइबर सेल नहीं है, तब आप एक First Information Report (FIR) भी किसी एक लोकल पुलिस स्टेशन में दर्ज कर सकते हैं. अगर आपके कम्प्लैन्ट को नहीं दर्ज किया गया, तब आप कॉमिसनेर को भी कह कर सकते हैं या शहर के न्यायिक मजिस्ट्रेट को.
5. कुछ साइबर क्राइम भारतीय दंड संहिता के अपराध के अंतर्गत भी आते हैं. इसलिए इन्हें आप एक साइबर क्राइम FIR के तौर पर किसी निकटवर्ती लोकल पुलिस स्टेशन में दर्ज कर सकते हैं.
6. ज्यादातर साइबर क्राइम जिन्हें की भारतीय दंड संहिता देखती हैं उनका वर्गीकरण संज्ञेय अपराध के तौर पर किया जाता है। एक संज्ञेय अपराध वह अपराध होता है जिसमें की कोई भी वॉरन्ट की जरुरत ही नहीं होती है किसी को हिरासत में या पूछताछ किया जा सकता हैं।
ऐसे केस में एक पुलिस अधिकारी को बाध्य होकर एक Zero FIR record करना होता है, फिर वो उसे आगे उस पुलिस स्टेशन जहाँ ये अपराध हुआ है वहाँ भेजेंगे।
7. Zero FIR victims को बड़ा आराम प्रदान करता है क्यूंकि इन केस में जल्द से जल्द जांच पड़ताल शुरू करनी होती हैं
Note: Section 154 के अंतर्गत ये जरूरी है की, दंड प्रक्रिया संहिता में, किसी भी अपराध होने पर कोई भी पुलिस अधिकारी के लिए ये जरूरी है को उन्हें पीड़ित की सिकायत को दर्ज करना होता है, चाहे वो कोई भी प्रकार का अपराध क्यूँ न हो. ऐसे में कोई भी पुलिस अधिकारी शिकायत दर्ज करने से मना नहीं कर सकता.
Cyber Crime Investigation Cell की Head Office कहाँ पर स्थित है?
Superintendent of Police, Cyber Crime Investigation Cell,
Central Bureau of Investigation,
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