जागेश्वर धाम अल्मोड़ा

भगवान शिव को समर्पित 100 से अधिक पत्थर के मंदिरों का समूह

by News Desk
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Uttarakhand उत्तराखंड के Almora अल्मोड़ा जिले में स्थित है –  Jageshwar Group of Temples जागेश्वर मंदिर समूह, भगवान शिव को समर्पित, 100 से अधिक पाषाण निर्मित मंदिरों का एक समूह है,  जो वर्तमान में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) के तहत संरक्षित एक विरासत स्थल हैं।

मंदिर परिसर में 125 मंदिर 174 मूर्तियां हैं, जिनमें भगवान शिव और पार्वती की मूर्तियां शामिल हैं। इनमें से कुछ मंदिरों की दीवारों और स्तंभों पर 25 से अधिक शिलालेख पाए गए हैं। ASI के अनुसार, मंदिर लगभग 2,500 साल पुराने होने का अनुमान है और गुप्त काल के बाद और मध्यकालीन युग से पहले के हैं। मंदिर का निर्माण मूलतः कत्युरी वंश के राजाओं द्वारा निर्मित और पुनर्निर्मित किया गया था।। मंदिर समूह में – सबसे पुराना मंदिर ‘मृत्युंजय मंदिर‘ है और सबसे बड़ा मंदिर है। ‘दंडेश्वर मंदिर‘। कुछ वर्षं पूर्व यहाँ एक लाल बलुआ पत्थर का स्तंभ भी खोजा गया है जिसमें मानव और आध्यात्मिक आकृतियों की नक्काशी की गई है। इस स्तंभ का निर्माण प्रथम शताब्दी ईसा पूर्व में बताया जाता है। जागेश्वर में श्रावण में (जुलाई – अगस्त) के दौरान शिवरात्रि एवं जागेश्वर मानसून महोत्सव में बड़ी संख्या में तीर्थयात्री यहाँ पहुंचते हैं। जागेश्वर पूरे वर्ष में कभी भी या सकते है, और यहाँ आने का सबसे अच्छा समय –  अप्रैल से जून और सितंबर से नवंबर सबसे अच्छे महीने हैं।

Jageshwar जागेश्वर Almora अल्मोड़ा से 35 किमी उत्तर पूर्व में हैं। यह स्थान देवदार की खूबसूरत पेड़ों से घिरा हैं। जो अल्मोड़ा-पिथौरागढ़ राजमार्ग पर अरतोला गाँव से शुरू होता है। यहाँ दो  जल धाराएँ नंदिनी और सुरभि पहाड़ियों से संकरी घाटी में बहती हैं।

जागेश्वर से जंगल से होते हुए 3 किमी की पैदल यात्रा से वृद्ध जागेश्वर मंदिर तक पहुँच सकते है, जहां से हिमालय के सुंदर दृश्यवालोकन किया जा सकता है।

जागेश्वर के निकट कुछ पर्यटकों द्वारा विज़िट किए जाने वाले स्थान:
Archeological Museum
पुरातत्व संग्रहालय: मंदिर परिसर के पास ASI एएसआई द्वारा स्थापित एक संग्रहालय है। संग्रहालय में दो दीर्घाएँ हैं जिनमें प्राचीन मूर्तियों जैसे उमा-महेश्वर, दोनों हाथों में कमल लिए हुए भगवान सूर्य की मूर्ति, एक स्थानीय शासक पोना राजा की चार फीट ऊंची कांस्य प्रतिमा के कई अन्य कलाकृतियां हैं जिनका निर्माण 9वीं शताब्दी से 13वीं शताब्दी के मध्य का माना गया है।

वृद्ध जागेश्वर: शानदार हिमालय के दृश्य और पर्यटकों की रुचि के लिए एक पुराना मंदिर। भगवान शिव के पुराने रूप को समर्पित यह स्थान जटा गंगा नदी का उद्गम स्थल भी है।
मिरतोला आश्रम: आध्यात्मिक और प्राकृतिक सौंदर्य का केंद्र यह आश्रम कई विदेशी शिष्यों को अपनी ओर आकर्षित करता है। यह जागेश्वर से शोकियाथल और मिरतोला आश्रम तक 10kms का ट्रेक है। वृद्ध जागेश्वर तक सड़क मार्ग से मिरतोला आश्रम तक पहुंचा जा सकता है, फिर 2 किमी की पैदल यात्रा की जा सकती है।

कैसे पँहुचें?


वायुमार्ग: निकटतम हवाई अड्डा पंतनगर है, जो जागेश्वर से लगभग 150 किमी दूर है।
रेलमार्ग: निकटतम रेलवे स्टेशन काठगोदाम 115 किमी है।
सड़कमार्ग: अल्मोड़ा -35 kms, हल्द्वानी-123 kms, पिथौरागढ़-86 kms. हल्द्वानी और काठगोदाम से नियमित अंतराल मे अल्मोड़ा से बस/ टैक्सी चलते रहती है। अल्मोड़ा से जागेश्वर मार्ग मे बस भी चलती है और यहाँ से टैक्सी भी ली जा सकती है।



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