Home Interesting Experiences मास्क, सेनेटाइजर के तले – कुचले अरमान

मास्क, सेनेटाइजर के तले – कुचले अरमान

by Rajesh Budhalakoti

जनाब वैसे तो इस कोरोना के नाम से ही दहशत व्याप्त है, सुबह शाम दोपहर जब भी टेलीविजन खोलो दिल बैठ सा जाता है। मन ही मन पहले भी कई बार ली गयी कसम को दुहराया जाता है, और मोदी जी द्वारा घन्टी बजाने वाले एपिसोड से पहले वाले एपिसोड मे कही गयी पांच या सात बातो का स्मरण प्रारम्भ हो जाता है। उम्र का तकाजा पहले वाली बात याद आती है, तो पांचवी गायब, पांचवी याद आती है तो पहली गायब, और अन्त में बस याद रहतें हैं तो बस मास्क और सेनेटाईजर।

मास्क तो अब ब्रश करते ही ऐसे चढ़ा लिया जाता है। जैसे बाथरूम से बाहर निकलते, बीबी आज के कामो की लिस्ट के साथ कोरोना के जीवाणुओ का प्रहार करने वाली हो। आप सोच भी नही सकते के कहाँ कहाँ से ढूंढ कर कामो को इक्कठा किया जा रहा है। जैसे सुनो पानी तो ठीक ठाक आ रहा है! आप बगैर सोचे समझे उत्तर देंगे -हाँ…. मैं सोच रहीं हू कि – आज कम्बल धो दिये जाय, और यूं हो जाते हैं, आपके सारे amazon Prime पर फ़िल्म देखने के सपने चकनाचूर। आप बडे से टब मे पानी साबुन डाल कम्बलो पर उछ्ल रहे होन्गे, कम्बल धुलाई प्रारम्भ। छोटे मोटे काम तो निपट गये अब बड़े बड़े काम तलाशे जा रहे हैं। ओह लो! बात तो मास्क की हो रही थी और कहाँ अपने दुख ले के बैठ गया! कल शाम बगेर मास्क, अपने को जब आईने मे देखा तो सोच रहा था कि ये इन्सान लग तो जाना पहचाना रहा है, पर है कौन!

सेनेटाईजर का भी भरपूर प्रयोग हो रहा है। श्रीमती जी कई बार चेता चुकी है कि लगा रहे हो, या पी रहे हो! साबुन का अधिक इस्तमाल हो, बता भी चुकी है, पर हाथ धोने का आलस्य। वो भी बीस सेकेन्ड तक धोने है। अब सिंक आपके बिस्तरे तक तो नही लाया जा सकता ना। सेनेटाईजर की शीशी खोली एक बूद और काम खतम, खुशबू भी इसकी सुखदायिनी।

जनाब अब और क्या अपने बारे में कहें, पर जिन्दगी हमने यारी दोस्ती मे गुजार दी। बढ़िया चुनिन्दा मित्र और गप्प बाजी। घंटों किसी भी विषय पर सार्थक या निरर्थक बहस, ट्रम्प से लेकर कल्लू नाई तक, किसी को भी अपनी बहस का नायक बना लेने की कला के माहिर हम और हमारे मित्र आज कल वो फील नहीं कर पा रहे है जो सामने वाली पार्टी से बहस के दौरान उसके फ़ेस एक्स्प्रेसन देख, किया करते थे। शब्दों को चेहरे के भावों से व्यक्त करने वाले, आज कल मुंह पर मास्क बांध कितने ही expressions दे दें, पर वो भाव मास्क मे उलझ कर रह जा रहे हैं। ऐसा लग रहा है जैसे चल चित्र का आनन्द देख नही, बस सुन कर ले रहे हैं। सबसे कठिन काम है यारों से दूरी बना कर बात करना। जिन मित्रो को सपने में भी अपने से दूर नहीं किया, दुख सुख, पुरानी प्रेमिकाओ से लेकर उनके नातियों की बाते, जिनके साथ साझा होती हो… बीबी को आज क्या गोली देनी है से लेकर, किसी गुप्त स्थान पर मर्दो वाली पार्टी के आयोजन के कार्यक्रम जब तक एक दूसरे के कान मे फ़ुसफ़ुसा कर न बनाओ आनन्द ही नहीं आता। आज इस कोरोना ने उन दिल के टुकड़ों से ही दूरी बनाने पर मजबूर कर दिया। बताईये दो फ़ीट दूर से बात कर बीवियों के जुल्मों का बखान भला कोई कैसे करे।

अब तो बस यही दुआ है कि, कोरोना काल निपटे और हम अपनी पुरानी जिन्दगी बिना सेनिटाईजर, बगैर मास्क के, अपने प्यारे प्यारे मित्रो के बीच अपनी अपनी श्रीमतियों की आंखो से बचकर गुजारें। और उन सब निषिद्ध वस्तुओ का उपयोग मित्रो की महफ़िल मे करें, जिनको देखने को हम इस लौकडाउन मे तरस गये हैं। कोरोना काल की निषिद्ध वस्तुओ से आप लोग भ्रमित न हो, यहाँ वर्तमान परिस्थितियो मे जब आप चौबीसों घंटे नजर बन्द हो और घर से बाहर न जा पा रहे हों, तो बात चीनी और नमक की हो रही है जो पूर्णतः घरवाली की मनमर्जी के हिसाब से डाला जा रहा है, आपके शूगर और रक्तचापानुसार।


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