उत्तराखंड पीसीएस की परीक्षा 2016 से ना होने पर राज्य आंदोलनकारी रविंद्र जुगरान की जनहित याचिका पर हाईकोर्ट में न्यायमूर्ति रवि कुमार मलिमथ और न्यायमूर्ति रमेश खुल्बे की खंडपीठ के द्वारा सुनवाई हुई। सुनवाई में कहा गया कि साल 2003 से प्रतिवर्ष परीक्षा आयोजित करने के लिए सरकार एवं आयोग ने तय किया था। लेकिन 2016 के बाद से राज्य लोक सेवा आयोग ने उत्तराखंड पीसीएस परीक्षा आयोजित नहीं की है।
कोर्ट ने इस पर राज्य लोक सेवा आयोग और राज्य सरकार से जवाब मांगा है। जवाब दाखिल करने के लिए राज्य सरकार और राज्य लोक सेवा आयोग ने 2 सप्ताह का समय मांगा है। कोर्ट ने भी 2 सप्ताह के भीतर स्पष्ट निर्देश का समय दिया है।
याचिकाकर्ता का कहना है कि सभी अफसरों के पास कई महत्वपूर्ण जिम्मेदारियां होती हैं, परीक्षा ना होने और अफसरों की भर्ती ना होने से सरकारी कामकाज प्रभावित होता है।
लगातार कई साल से परीक्षा ना होने पर परीक्षार्थियों की उम्र भी बढ़ती जा रही है। आयु सीमा पूरी होने पर वे परीक्षा देने योग्य नहीं रहेंगे। याचिकाकर्ता ने प्रतिवर्ष सही समय पर परीक्षा आयोजित करने की मांग की है।