सरकार दे रही गोबर से पेंट बनाने का प्रशिक्षण, गांव में फैक्ट्री लगाकर कर सकते हैं मोटी कमाई, जानेंगे विस्तार से
देश के हर गांव में गोबर से पेंट (Cow Dung Paint) बनाने की फैक्ट्री खुलवाने की तैयारी में एमएसएमई मंत्री नितिन गडकरी (Nitin Gadkari) जुटे हुए हैं। इसके लिए उनका सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम मंत्रालय (MSME Ministry) खास योजना तैयार करने में जुटा है। गोबर से पेंट बनाने के लिए एक फैक्ट्री खोलने में तकरीबन 15 लाख रुपए का खर्च आ रहा है। मंत्रालय का मानना है कि केंद्रीय मंत्री गडकरी का सपना साकार हुआ तो हर गांव में रोजगार के अवसर उपलब्ध होने से शहरों की तरफ पलायन की समस्या खत्म होगी।
गडकरी के मुताबिक, गोबर से बना प्राकृतिक पेंट लॉन्च होने के बाद डिमांड काफी तेजी से बढ़ी है। अभी जयपुर में इस हेतु ट्रेनिंग की व्यवस्था है। इतने आवेदन आए कि सबकी ट्रेनिंग नहीं हो पा रही है। 350 लोग वेटिंग लिस्ट मे हैं। पांच से सात दिनों की प्रशिक्षण होता है। ऐसे में हम ट्रेनिंग सुविधा बढ़ाने पर ध्यान दे रहे हैं। ताकि अधिक से अधिक लोग ट्रेनिंग लेकर गोबर से पेंट बनाने की फैक्ट्री का संचालन करें। हर गांव में एक फैक्ट्री खुलने से ज्यादा रोजगार पैदा होगा।
गोबर से बना प्राकृतिक पेंट लॉन्च
दरअसल, केंद्रीय सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम मंत्री नितिन गडकरी ने बीते 12 जनवरी, 2021 को खादी एवं ग्रामोद्योग आयोग की तरफ से तैयार गोबर से बना प्राकृतिक पेंट लॉन्च किया था। यह पेंट इकोफ्रेंडली है। पहला ऐसा पेंट है, जो विष-रहित होने के साथ फफूंद-रोधी, जीवाणु-रोधी गुणों वाला है। गाय के गोबर से बने और भारतीय मानक ब्यूरो से प्रमाणित, यह पेंट गंधहीन है। यह पेंट दो रूपों में उपलब्ध है – डिस्टेंपर और प्लास्टिक इम्यूलेशन पेंट के रूप में मार्केट में आया है।
एमएसएमई मिनिस्ट्री के एक अधिकारी ने बताया, केंद्रीय मंत्री गडकरी ने पिछले साल मार्च 2020 से गोबर से पेंट बनाने के लिए खादी एवं ग्रामोद्योग आयोग को प्रेरित किया था। अंततः खादी एवं ग्रामोद्योग आयोग (केवीआईसी) की जयपुर में स्थित यूनिट कुमारप्पा नेशनल हैंडमेड पेपर इंस्टीट्यूट ने इस तरह के अनोखे पेंट को तैयार करने में सफलता प्राप्त की। इस पेंट में सीसा, पारा, क्रोमियम, आर्सेनिक, कैडमियम जैसे भारी धातुओं का असर नहीं है।
किसानों की बढ़ेगी कमाई
पेंट की बिक्री बढ़ने के बाद गांवों में गोबर की खरीद भी बढ़ेगी। खादी एवं ग्रामोद्योग आयोग के अधिकारियों के अनुसार, सिर्फ एक मवेशी के गोबर से किसान हर साल 30 हजार रुपए कमाएंगे। अभी तक किसान गोबर का सिर्फ खेतों में खाद के रूप में प्रयोग करते हैं। परंतु गांव-गांव पेंट की फैक्ट्रियां खुलने के बाद गोबर की खरीद का भी एक तंत्र बन जाएगा, जिससे किसानों की आमदनी में बढ़ोत्तरी हो। ऐसे में गोबर के माध्यम से भी किसानों की आय बढ़ाने की दिशा में गडकरी के मंत्रालय ने यह प्रयास किया है।
गोबर से बना प्राकृतिक पेंट लॉन्च होने के बाद डिमांड काफी तेजी से बढ़ी है। गोबर से पेंट बनाने के लिए एक फैक्ट्री खोलने में 15 लाख रुपए का खर्च आ रहा है।
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