प्रचुर वन संपदा से संपन्न सातताल क्षेत्र के पक्षियों को पर्यटन विभाग, उत्तराखंड ने पहचान दी है। पर्यटन विभाग ने इन पक्षियों का डाटाबेस तैयार कर बर्ड बुक (पक्षियों की किताब) प्रकाशित कराई है। इसकी सहायता से यहां पहुंचने वाले पर्यटक इन पक्षियों के बारे में उपयोगी जानकारी ले पाएंगे।
यहाँ मौजूद एक दर्जन के लगभग शांत झीलों की वजह से पर्यटकों को आकर्षित करने वाले नैनीताल के निकटवर्ती क्षेत्रों में पर्यटन की अपार संभावनाएं हैं। जिला मुख्यालय से लगभग 23 किलोमीटर की दूरी पर स्थित सातताल पर्यटन क्रियाकलापों के साथ ही जैव विविधता के लिए अपनी एक विशेष पहचान रखता है। यहां सघन वनक्षेत्र में वन्यजीवों के साथ ही सुंदर पक्षियों की कई प्रजातियां मौजूद हैं। जिस कारण हजारों की तादाद में दुनियाभर से बर्ड वाचर और पक्षी प्रेमी सातताल आते हैं। वीडियो देखें ?
जिला पर्यटन अधिकारी अरविंद गौड़ ने बताया कि प्रवासी पक्षियों समेत करीब 180 प्रजातियों के पक्षी इस क्षेत्र में पाए जाते हैं, लेकिन इनका अधिकृत डाटा अभी तक किसी विभाग के पास नहीं है, जिस कारण बर्ड वाचर को पक्षी प्रजातियों की स्पष्ट जानकारी नहीं मिल पाती। इसे देखते हुए क्षेत्र के पक्षी विशेषज्ञों और स्थानीय जानकारों से जानकारियां जुटाकर डाटाबेस तैयार किया गया है, जिसके आधार पर एक बर्ड बुक प्रकाशित की गई है, जिसमें विभिन्न पक्षियों की 122 प्रजातियों की तस्वीरें और संबंधित जानकारी शामिल की गई है। पर्यटकों को ये पुस्तक सातताल पहुंचने पर उपलब्ध कराई जाएगी।
कुछ निम्नलिखित प्रजातियां है सातताल का आकर्षण
क्षेत्र में प्रवासी पक्षियों को मिलाकर करीब 180 प्रजातियां देखी जाती हैं, जिनमें से कुछ हैं – किंगफिशर, लार्ज टेल्ड नाइटजार, कालर्ड फाल्कोनेट, यूरेशियन जे, लांग टेल्ड ब्राडबिल, मरून ओरियल, कामन ग्रीन मैगपाई समेत कई प्रकार के वैबलर और करीब दस प्रजातियों के उल्लू शामिल हैं। इनमे से कुछ पक्षियों का विडियो देखने के लिए यहाँ क्लिक करें।
स्थानीय निवासियों को देंगे प्रशिक्षण
पर्यटन विभाग, सातताल क्षेत्र में बर्ड वाचिंग की संभावनाएं विकसित करने के साथ साथ, स्थानीय युवकों को जोड़कर उन्हें रोजगार उपलब्ध कराने की भी कार्ययोजना तैयार कर रहा है। अरविंद गौड़ ने बताया कि स्थानीय निवासियों को पक्षी विशेषज्ञों से बर्ड वाचिंग का प्रशिक्षण दिलाया जाएगा, जिससे क्षेत्र में पर्यटन व्यवसाय बढऩे के साथ ही लोगों को रोजगार भी उपलब्ध हो पाएगा।
अरविंद गौड़ ने बताया कि भीमताल के चाफी क्षेत्र में भी बर्ड वाचिंग की अपार संभावनाएं हैं। विभाग इस क्षेत्र में भी पाए जाने वाले पक्षियों का डाटाबेस तैयार कर रहा है। शीघ्र ही इसकी भी पुस्तक प्रकाशित करने के साथ ही क्षेत्र में पर्यटन गतिविधियों को बढ़ावा देने के लिए अन्य विकास कार्य भी किए जाएंगे।
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