उत्तराखंड समाचार 16 मार्च 2021

0
160
Uttarakhand News 16 March 21

मुख्‍यमंत्री तीरथ बोले, कार्यों के प्रति शिथिलता नहीं होगी बर्दाश्‍त; चारधाम यात्रा की तैयारियों की बैठक में यह भी दिए निर्देश

आगामी चार धाम यात्रा के बंदोबस्त दुरुस्त करने को सरकार ने कमर कसनी शुरू कर दी है। मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत ने संबंधित अधिकारियों को 30 अप्रैल तक चार धाम यात्रा की सभी व्यवस्थाएं पूरी करने के निर्देश दिए हैं। इसमें ढिलाई बर्दाश्त नहीं होगी। मुख्यमंत्री स्वयं यात्रा संबंधी कार्यों का स्थलीय मुआयना करेंगे। सभी सचिवों को हर दूसरे हफ्ते विभागीय कामकाज की प्रगति की समीक्षा करनी होगी।

मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत ने सोमवार को सचिवालय में चार धाम यात्रा की तैयारियों के संबंध में बैठक ली। उन्होंने कहा कि यात्रा संबंधी कार्यों को तेजी के साथ पूरा किया जाना है। इन कार्यों में गुणवत्ता का विशेष ध्यान रखा जाए। सभी सचिव विभागों का कामकाज जांचने मौके पर जाएं। इस दौरान किसी तरह की समस्या आने पर वह खुद इसका समाधान करने के लिए प्रस्तुत रहेंगे। उन्होंने कहा कि चार धाम देश और दुनिया की आस्था का प्रमुख केंद्र है। धामों में श्रद्धालुओं की संख्या में तेजी से वृद्धि होगी।

31 तक तोताघाटी में दुरुस्त हो सड़क

मुख्यमंत्री ने कहा कि 31 मार्च तक तोता घाटी में सड़क सुधारीकरण का कार्य हाल में होना चाहिए। यात्रा मार्गों और आसपास के क्षेत्रों में भी सड़क से संबंधित कार्य समय पर पूरे किए जाएं। यात्रा सुविधाजनक रहे। इसके लिए यात्रा मार्गों में पेयजल, स्वच्छता, साइनेज और अन्य आधारभूत सुविधाओं की पर्याप्त व्यवस्था हो। यात्रा पड़ावों पर पर्याप्त पानी के टैंकर हों और वाटर एटीएम की व्यवस्था के लिए कार्ययोजना जल्द बनाई जाए। जोशीमठ, गौरीकुंड से सोनप्रयाग एवं यात्रा की दृष्टि से अन्य प्रभावित स्थानों पर सड़क से संबंधित कार्यों में तेजी लाने के निर्देश भी दिए गए हैं।

हेली सेवा टिकट वितरण में पारदर्शिता

मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत ने कहा कि चार धाम यात्रा के दौरान यात्रियों को हेलीकाप्टर सेवा सुचारू रूप मिले, इसके लिए आनलाइन व्यवस्था सुचारू रखने और टिकट वितरण में पारदर्शिता का विशेष ध्यान रखा जाएगा। यात्रा मार्गों और धामों में स्वास्थ्य सुविधाओं के दृष्टिगत सभी व्यवस्थाएं समय पर पूरी की जाएंगी। यात्रा के दौरान हेली एंबुलेंस सेवा व 108 एंबुलेंस की समुचित व्यवस्था के निर्देश भी दिए गए हैं। केदारनाथ व यमुनोत्री में ईसीजी व कार्डियोलाजिस्ट की समय पर तैनाती की जाएगी। आक्सीजन, आइसीयू व वेंटिलेटर की भी पर्याप्त व्यवस्था करने को कहा गया।

वाहनों का फिटनेस टेस्ट अनिवार्य

मुख्यमंत्री ने हेमकुंड में भी स्ट्रीट लाइट की उचित व्यवस्था के लिए तैयारी जल्द करने के निर्देश दिए। यात्रा मार्गों पर जाने वाले वाहनों का फिटनेस टेस्ट अनिवार्य रूप से होगा। यात्रा काल में वाहनों व होटल में रेट लिस्ट अनिवार्य रूप से लगाई जाएगी। ओवर रेटिंग करने वालों पर सख्त कार्रवाई के निर्देश दिए गए हैं। आपदा से संबंधित संवेदनशील स्थानों पर संसाधनों की पूर्ण व्यवस्था और आपदा व स्वास्थ्य सुविधाओं के लिए रिस्पांस टाइम न्यूनतम करने की हिदायत दी गई है। यात्रा मार्गों पर पार्किंग की उचित व्यवस्था होगी।

बैठक में मुख्य सचिव ओमप्रकाश, अपर मुख्य सचिव राधा रतूड़ी, प्रमुख सचिव आरके सुधांशु, डीजीपी अशोक कुमार, सचिव अमित नेगी, दिलीप जावलकर, नितेश झा, राधिका झा, पंकज पांडेय, गढ़वाल मंडलायुक्त रविनाथ रमन और वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से सभी जिलाधिकारी मौजूद थे।

नए मुखिया के सम्मुख चुनौतियों का पहाड़

प्रदेश सरकार के साथ ही भाजपा संगठन में हुए नेतृत्व परिवर्तन के बाद पूर्व मंत्री मदन कौशिक ने नए प्रदेश अध्यक्ष के रूप में कमान संभाल ली है। , मगर उनके सामने भी पहाड़ सरीखी चुनौतियां मुंहबाए खड़ी हैं। राज्य में अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव में तो उनकी अग्निपरीक्षा होगी ही, नेतृत्व परिवर्तन से नाराज विधायकों को साधने की चुनौती सामने होगी। उन्हें बतौर प्रदेश अध्यक्ष खुद को साबित करना होगा तो महज 10 माह के भीतर चुनाव से पहले प्रत्येक विधानसभा क्षेत्र का भ्रमण और वहां के कार्यकत्र्ताओं के मन की थाह लेने की चुनौती भी है। चुनाव में यदि पार्टी की सीटें कम होती हैं तो इसका ठीकरा प्रदेश अध्यक्ष के सिर भी फूटना तय है।

त्रिवेंद्र सरकार में शहरी विकास मंत्री और शासकीय प्रवक्ता रहे कौशिक पूर्व में पार्टी संगठन में विभिन्न पदों पर काम कर चुके हैं। कौशिक के पास सरकार और संगठन, दोनों का अनुभव है, लेकिन जिन परिस्थितियों में उन्हें प्रदेश भाजपा की कमान सौंपी गई है, वह खासी चुनौतीपूर्ण है। अगले साल ही भाजपा को विधानसभा चुनाव में जनता के दरबार में जाना है और चुनाव लड़ाने का जिम्मा कौशिक के कंधों पर रहेगा। हालांकि, चुनाव में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की लोकप्रियता तो रहेगी ही, मगर राज्य में सरकार के चेहरे के रूप में मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत और पार्टी संगठन के चेहरे के तौर पर कौशिक ही सामने होंगे। जाहिर है कि इसके लिए कौशिक को नए सिरे से रणनीति तय करनी होगी, ताकि चुनाव में पार्टी फिर से वर्ष 2017 जैसा प्रदर्शन दोहरा सके। यही नहीं, सरकार में नेतृत्व परिवर्तन के बाद तत्कालीन मुख्यमंत्री के करीबी रहे विधायकों में नाराजगी का भाव स्वाभाविक है। ऐसे में उन्हें साधना भी कौशिक के लिए कम चुनौतीपूर्ण नहीं होगा।

साथ ही सरकार और संगठन के बीच सशक्त सेतु के तौर पर कार्य करना होगा, तो सभी विधायकों, कार्यकत्र्ताओं को साथ लेकर चलने की चुनौती होगी। हरिद्वार, ऊधमसिंह नगर जिलों में किसान आंदोलन की हल्की-फुल्की आंच को देखते हुए इससे पार पाना होगा, तो पर्वतीय व मैदानी क्षेत्रों में बेहतर सामंजस्य पर भी ध्यान केंद्रित करने की जरूरत है। यह ठीक है कि विषम भूगोल वाले इस राज्य में भाजपा का बूथ स्तर तक सांगठनिक ढांचा है, लेकिन उसे सक्रिय करने की दिशा में उन्हें आगे बढऩा है। ऐसे में विधानसभा चुनाव से पहले सभी 70 विधानसभा क्षेत्रों का भ्रमण चुनौतीपूर्ण होगा। साथ ही जमीनी कार्यकत्र्ताओं तक पहुंच के लिए नए अध्यक्ष को खासी मशक्कत करनी पड़ेगी। ऐसी एक नहीं अनेक चुनौतियां सामने हैं। सूरतेहाल, अब सभी की नजरें इस पर टिकी हैं कि कौशिक किस प्रकार इनसे पार पाते हैं।

होली पर उत्तराखंड आने वालों के लिए राहत, इन ट्रेनों में सीटें हैं खाली

होली पर लखनऊ से उत्तराखंड जाने और आने वाले यात्रियों के लिए राहत की खबर है। कुंभ एक्सप्रेस, दून एक्सप्रेस और जनता एक्सप्रेस ट्रेन में होली के आस-पास की तारीखों में अभी कुछ सीटें खाली हैं। खबर लिखे जाने तक 15 मार्च को 25, 26 व 27 मार्च को स्लीपर और एसी क्लास में सीटें खाली हैं। वहीं वापसी के लिए 30, 31 मार्च और 1 अप्रैल को भी अभी आरएसी में टिकट मिल रहे हैं।

हावड़ा से काठगोदाम ट्रेन के फेरे बढ़े 
ट्रेन नंबर 03090 हावड़ा से चलकर लखनऊ होते हुए काठगोदाम जाने वाली ट्रेन के फेरे 31 मार्च से बढ़ाकर 30 जून कर दिए गए हैं। वहीं ट्रेन नंबर 03020 काठगोदाम से लखनऊ होकर हावड़ा जाने वाली ट्रेन के  भी फेरे दो अप्रैल से बढ़ाकर दो जुलाई तक कर दिए गए हैं। इससे होली बाद यात्रियों को सफर में राहत मिलेगी।

कैसरबाग से देहरादून जाना है तो बसें भी बेहतर विकल्प
कैसरबाग बस अड्डे से देहरादून के बीच दो बसें रोजाना चल रही हैं। होली के दौरान इन दोनों बसों में सीटें खाली हैं। इन बसों में ऑनलाइन या बस अड्डे के टिकट काउंटर से एडवांस में सीट बुक करा सकते हैं। कैसरबाग बस अड्डे से रोजाना रात 8 बजे एसी स्लीपर व रात 9 बजे पिंक बस देहरादून के लिए रवाना होती है।

 

पूर्व सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत ने मुख्यमंत्री तीरथ के कुंभ से रोक हटाने की आदेशों पर उठाए सवाल।

उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने सीएम तीरथ सिंह रावत के कुंभ के फैसले पर सवाल उठाते हुए कहा है कि जब देशभर में कोरोना के मामलों में बढ़ोतरी हो रही है, तब ऐसे समय में कुंभ में श्रद्धालुओं का आमंत्रित करना ठीक नहीं होगा। उनका कहना है कि वायरस की रोकथाम के लिए देशभर में कोरोना टीकाकरण अभियान चल रहा है और ऐसे मौके पर कुंभ में श्रद्धालुओं की भीड़ से प्रदेश में वायरस दोबारा पैर पसार सकता है। त्रिवेंद्र ने कहा कि कुंभ को लेकर हमें कोई जोखिम लेने से बचना चाहिए क्योंकि देश के कुछ राज्यों में कोरोना एक बार फिर तेजी से बढ़ने लगा है। यह बातें पूर्व सीएम त्रिवेंद्र ने सोमवार को हरिद्वार प्रवास के दौरान कहीं। पूर्व मुख्यमंत्री सोमवार सुबह हरिहर आश्रम में आचार्य महामंडलेश्वर अवधेशानंद गिरी से आशीर्वाद लेने भी पहुंचे थे।

इस दौरान आश्रम परिसर में पत्रकारों से बातचीत में पूर्व सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत ने कहा कि विगत कुछ दिनो से देश के सात राज्यों में कोरोना के मामलों में लगातार इजाफा हो रहा है। हमें अपनी जागरूकता और जिम्मेदारी से राज्य को कोरोना से बचाना चाहिए। त्रिवेंद्र ने कहा कि वे मानते हैं कि कुंभ में जैसी स्थिति बन रही है वह चिंताजनक है। कहा कि मैंने मुख्यमंत्री के वक्तव्य को पढ़ा है। हमने भी कुंभ को भव्य-दिव्य बनाने की बात कही थी। कोविड गाइडलाइन का पालन हो। कुंभ में जो भी यात्री आते हैं वे किसी निमंत्रण पर नहीं बल्कि आस्था-विश्वास पर आते हैं। पहले भी आते रहे हैं और अब भी आएंगे।

त्रिवेंद्र ने कहा कि इस महामारी के दौर में जोखिम ठीक नहीं है। देश में बीते दिन 25 हजार कोरोना रोगी मिले थे। पहले तीन राज्य और अब सात राज्यों में कोरोना पर स्थिति चिंताजनक हो रखी है। ऐसे में सभी की जिम्मेदारी है कि बीमारी को रोकें। देश में टीकाकरण हो रहा है लेकिन टीके का असर 42 दिन बाद होगा। कुंभ को लेकर त्रिवेंद्र ने कहा कि जैसी स्थिति बन रही है आज तमाम समाचार पत्रों में मैने देखा है निश्चित रूप से चिंताजनक हो रही है। विशेषज्ञों ने अपने वक्तव्य में चिंता जताई है।

अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष श्रीमहंत नरेंद्र गिरि महाराज ने कहा- सीएम के निर्णय को हर वर्ग ने सराहा

अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष श्रीमहंत नरेंद्र गिरि महाराज ने कहा कि मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत के कुंभ में कोरोना निगेटिव रिपोर्ट की बाध्यता समाप्त किए जाने के निर्णय को हर वर्ग ने सराहा है। उन्होंने कहा कि सफाई व्यवस्था को लेकर नगर आयुक्त उनसे मिले और बताया कि अभी सरकार की ओर से जीओ जारी नहीं हुआ है। जिस कारण सफाई कर्मियों की कमी है। निर्देश मिलते ही मेला क्षेत्र और अखाड़ों में सफाई कर्मियों की संख्या बढ़ाकर तैनाती की जाएगी। श्रीमहंत ने बताया कि अखाड़ा परिषद ने मांग की है कि सरकार की ओर से जीओ और बजट जारी कर मेले की सुव्यवस्थित व्यवस्था के लिए नगर आयुक्त को निर्देश जारी किए जाएं।

उधर, अटल पीठाधीश्वर आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी विश्वात्मानंद महाराज ने मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत के निर्णय का स्वागत किया। स्वामी विश्वात्मानंद सरस्वती ने कहा कि अभी तक संतों के टेंट और सीवर न लग पाना अफसोस की बात है। लेकिन मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत ने अधिकारियों को जो निर्देश दिए हैं, उससे संतों में खुशी की लहर है। भारत के सभी संत महापुरुष उनके साथ हैं।

श्रद्धालुओं के साथ मित्रवत व्यवहार करें पुलिसकर्मी

महाशिवरात्रि स्नान पर्व सकुशल संपन्न होने के बाद अब पुलिस-प्रशासन अप्रैल माह में आयोजित होने वाले शाही स्नान पवरें की तैयारियों में जुट गया है। शाही स्नान पर्व के दौरान यातायात और सुरक्षा व्यवस्था को लेकर कोतवाली प्रभारी ने अधीनस्थों की बैठक कर उन्हें आवश्यक दिशा निर्देश दिए।

संत समाज और सनातन मान्यताओं के अनुसार जनवरी माह से कुंभ शुरू हो चुका है लेकिन शासन की ओर से अप्रैल माह में आयोजित होने वाले शाही स्नान पवरें को ही कुंभ का दर्जा दिया गया है। हालांकि महाशिवरात्रि स्नान पर्व पर उमड़े सैलाब को देखते हुए प्रशासन की ओर से शाही स्नान के समान ही तैयारियां और व्यवस्थाएं की गई थी। अब अप्रैल माह में कुंभ की औपचारिक शुरूआत को देखते हुए प्रशासन ने अपनी तैयारियां तेज कर दी हैं। इसी को लेकर कोतवाली प्रभारी प्रदीप चौहान ने कोतवाली में पुलिसकर्मियों के साथ बैठक कर उन्हें आगामी स्नान पर्व की तैयारियों को लेकर आवश्यक दिशा निर्देश दिए। बैठक में एसएसआइ नितेश शर्मा, चौकी प्रभारी अशोक कश्यप, रणवीर सिंह, धर्मेंद्र राठी समेत सभी पुलिसकर्मी मौजूद रहे।

 

जूनियर शिक्षकों ने इन मांगों को लेकर दी आंदोलन की चेतावनी

जूनियर हाईस्कूलों में तैनात शिक्षकों की मांगें पूरी नहीं होने से उनमें रोष व्याप्त है। शिक्षकों ने वेतन विसंगतियां दूर करने, गोल्डन कार्ड की विसंगतियां दूर करने समेत अन्य 11 सूत्री मांगों का ज्ञापन शिक्षा निदेशक एवं मुख्यमंत्री को प्रेषित किया है। शिक्षकों ने चेतावनी दी कि जल्द उनकी मांगे पूरी नहीं हुई तो अप्रैल से वह सड़कों पर उतर कर आंदोलन करेंगे।

सोमवार को रेसकोर्स स्थित ट्रांजिट हॉस्टल में प्रदेशीय जूनियर हाईस्कूल शिक्षक संघ के प्रांतीय अध्यक्ष विनोद थापा की अध्यक्षता में त्रैमासिक बैठक हुई। थापा ने कहा कि प्रदेश सरकार द्वारा बनवाए गए गोल्डन कार्ड में कई विसंगतियां हैं। एक ही व्यक्ति को अपनी दो बीमारियों के इलाज के लिए दो अस्पतालों के चक्कर लगाने पड़ रहे हैं। उन्होंने प्रदेश के हर अस्पताल को आयुष्मान योजना में शामिल करने एवं किसी भी अस्पताल में होने वाले सभी इलाजों की सुविधा देने की मांग की है। उन्होंने केंद्रीय विद्यालयों की तर्ज पर प्रदेश में त्रिस्तरीय कैडर व्यवस्था लागू करने और जूनियर हाईस्कूल के प्रधानाध्यापक की पदोन्नति के रास्ते खोलने की मांग भी प्रमुखता से उठाई।

बैठक में प्रदेश कोषाध्यक्ष सतीश घिल्डियाल ने तीन वर्षों के आय-व्यय का ब्योरा भी पेश किया। बैठक का संचालन प्रांतीय महामंत्री राजेंद्र प्रसाद बहुगुणा ने किया। इस अवसर पर हरिद्वार के जिलाध्यक्ष पवन सैनी, टिहरी से जगबीर सिंह खरोला, पौड़ी से कुंवर राणा, रुद्रप्रयाग से दलेव सिंह राणा, देहरादून से रघुवीर सिंह पुंडीर, उत्तरकाशी से भगत सिंह महर समेत अन्य लोग मौजूद रहे।

अन्य प्रमुख मांगे

  • सर्व शिक्षा सहित समस्त जूनियर हाई स्कूलों में प्रधानाध्यापक की नियुक्ति की जाए।
  • वर्ष में एक बार यात्रा अवकाश की सुविधा दी जाए।
  • पारस्परिक स्थानांतरण की व्यवस्था लागू हो।

 

उत्तराखंड: एक बार फिर चिपको आंदोलन की तर्ज पर पेड़ों से लिपटी महिलाएं, बोलीं- सड़क के लिए नहीं कटने देंगे पेड़

कमेड़ीदेवी-रंगथरा-मजगांव-चौनाला मोटर मार्ग के निर्माण की जद में आ रहे पांच सौ से अधिक पेड़ों को बचाने के लिए बागेश्वर के जाखनी की महिलाओं ने मोर्चा संभाल लिया है। गांव की महिलाओं ने ‘एक महिला, एक पेड़’ की तर्ज पर पेड़ों को अपने बच्चों की तरह बचाने का संकल्प लिया है। गांव की सभी महिलाओं ने पेड़ों से लिपटकर इन्हें काटने का विरोध किया। महिलाओं का कहना है कि चाहे जो हो जाए, वे सड़क के लिए इन पेड़ों को नहीं कटने देंगी। यदि शासन-प्रशासन ने जबरन पेड़ काटने की कोशिश की तो जबर्दस्त प्रदर्शन कर आंदोलन करेंगी। सोमवार को गांव की महिलाओं ने मोटर मार्ग निर्माण का विरोध करते हुए शासन और प्रशासन के खिलाफ जमकर नारेबाजी की। इसके बाद महिलाएं सर्वे के तहत काटे जाने वाले पेड़ों से लिपटकर खड़ीं हो गईं। महिलाओं ने कहा कि उन्होंने  इन पेड़ों की उन्होंने अपने बच्चों की तरह देखभाल की है। इन्हें किसी भी सूरत में कटने नहीं दिया जाएगा। प्रदर्शन में प्रेमा देवी, बसंती देवी, मनुली देवी, पार्वती देवी, इंद्रा देवी, कमला देवी, बसंती देवी, नीरू मेहता, चंद्रा देवी सहित पूरे गांव की महिलाएं मौजूद थी। जाखनी के ग्रामीणों का कहना है कि वन पंचायत में बांज, बुरांश, उतीस आदि के पांच सौ से अधिक पेड़ हैं। चौड़े पत्तों वालों पेड़ों से गांव के प्राकृतिक जल स्रोत सुरक्षित और संरक्षित हैं। अगर पेड़ काटे गए तो पानी के स्रोत नष्ट हो जाएंगे।

ग्रामीणों ने कहा कि जहां से सड़क प्रस्तावित है उससे भी पेयजल स्रोतों पर खतरा मंडरा रहा है। लोगों का आरोप है कि संबंधित विभाग सर्वे में कटने वाले पेड़ों की संख्या कम बता रहा है, जबकि सड़क की जद में इससे कहीं अधिक पेड़ आ रहे हैं। ग्रामीणों ने कहा कि अपने नौले, धारों की रक्षा और वन पंचायत के पेड़ों की सुरक्षा के लिए वे जान की बाजी लगाने के लिए तैयार हैं।

कमेड़ीदेवी-रंगथरा-मजगांव-चौनाला मोटर मार्ग का ग्रामीण लंबे समय से विरोध कर रहे हैं। ग्रामीणों के विरोध के चलते कई बार सड़क निर्माण का कार्य प्रभावित भी हुआ। आखिरकार, पुलिस प्रशासन की मौजूदगी में सड़क निर्माण का कार्य शुरू हो सका। वहीं, ग्रामीणों का कहना है कि मजगांव तक मोटर मार्ग का कटान पूर्व में ही हो चुका है

उसके आगे सड़क कटान से जाखनी गांव के वन पंचायत का पूरी तरह से विनाश हो जाएगा। कहा कि प्रशासन इस मार्ग को खारीगड़ा तोक से मजगांव तक बनाए। इसमें किसी भी ग्रामीण को आपत्ति नहीं है। ग्रामीणों ने प्रशासन से वनों पर निर्दयता से मशीन चलाने की बजाय पेड़ों को बचाने के लिए वैकल्पिक मार्ग निकालने की मांग की है।

विकास की अंधी दौड़ में पर्यावरण को काफी नुकसान हो चुका है। जंगल के जंगल विकास की भेंट चढ़ चुके हैं। प्राकृतिक जल स्रोतों का नामोनिशान तक मिट गया है। सुविधाओं की लालसा से अधिकतर लोग पर्यावरण की इस दुर्दशा को चुपचाप सहन कर लेते हैं, लेकिन जाखनी गांव की महिलाओं ने पेड़ों को काटने का विरोध तेज कर दिया है।