Home News देहरादून उत्तराखंड के डॉ. भूपेंद्र सिंह और प्रेम चंद को ‘पद्मश्री’

देहरादून उत्तराखंड के डॉ. भूपेंद्र सिंह और प्रेम चंद को ‘पद्मश्री’

by Deepak Joshi
Padmashri to Dr. Bhupendra Singh and Prem Chand of Dehradun Uttarakhand
डॉ. भूपेंद्र कुमार दिव्यांगों के मददगार
देहरादून। दून के प्रसिद्ध आर्थोपेडिक सर्जन डॉ. भूपेंद्र कुमार सिंह संजय को गणतंत्र दिवस के मौके पर पद्मश्री  पुरस्कार मिला है। डॉ. संजय ने दुघर्टनाओं में घायल एवं कैंसर पीड़ितों के ऑपरेशन कर उन्हें नई जिंदगी दी है। वहीं उन्होंने पांच हजार से ज्यादा दिव्यांग बच्चों के ऑपरेशन कर उनके जीवन को सुधारा है। उन्होंने सामाजिक क्षेत्र में भी उत्कृष्ट कार्य किये हैं। चिकित्सा एवं सामाजिक क्षेत्र में उनके बहुमूल्य योगदान के लिए उन्हें कई राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय अवार्ड मिल चुके हैं।

डॉ भूपेंद्र ने बताया कि उनका नाम लिम्का व गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में भी दर्ज है। उन्हें इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड में स्थान मिला है। उन्होंने वर्ष 1980 में जीएसबीएम मेडिकल कॉलेज कानपुर से एमबीबीएस किया। पीजीआइ चंडीगढ़ व सफदरजंग अस्पताल नई दिल्ली में सेवा दी। स्वीडन, जापान, अमेरिका, रूस व ऑस्ट्रेलिया आदि में मेरिट के आधार पर प्राप्त फेलोशिप से अपने पेशे में महारथ हासिल की।  वे कई देशों में व्याख्यान दे चुके हैं। 2005 में हड्डी का सबसे बड़ा ट्यूमर निकालने का विश्व रिकॉर्ड भी उनके नाम दर्ज हुआ।

ये मिले अवार्ड
सिकॉट फाउंडेशन फ्रांस अवार्ड, प्रेसिडेंट एप्रिसिएशन अवार्ड, डॉ. दुर्गा प्रसाद लोकप्रिय चिकित्सक पुरस्कार, उत्तराखंड रत्न, उत्तरांचल गौरव, नेशन बिल्डर अवार्ड, मसूरी रत्न, हेल्थ आइकन, नेशनल हेल्थकेयर एक्सिलेंस अवार्ड, बेस्ट आर्थोपेडिक सर्जन इन इंडिया अवार्ड, सिक्स सिग्मा हेल्थकेयर एक्सिलेंस अवार्ड आदि ।

पहाड़ पर खेती के अभिनव प्रयोगों ने दिलाया सम्मान
त्यूणी। देहरादून जिले के दूरस्थ क्षेत्र अटाल के निवासी किसान प्रेम चंद शर्मा को खेती, बागवानी को लेकर किए गए उनके प्रयोगों ने देश के प्रतिष्ठित पदमश्री सम्मान दिलाने में अहम भूमिका अदा की है।  शर्मा को इससे पहले भी खेती को लेकर किए गए उनके अभिनव प्रयोगों को लेकर कई सम्मान मिल चुके हैं। नाबार्ड जैसी एजेंसी को भी सलाह देते रहे हैं। चकराता में समुद्र तल से 940 मीटर ऊंचाई पर स्थित अटाल गांव निवासी प्रेमचंद शर्मा आठवीं पास हैं। उनके चार बेटे नौकरी करते हैं, जबकि, वे स्वयं खेती करते हैं। शर्मा अटाल क्षेत्र के पहले किसान हैं, जिन्होंने सिंचाई के लिए ड्रिप तकनीक का प्रयोग किया। धान, गोभी की सिंचाई के लिए वह मिनी ्प्रिरंकलर का प्रयोग करते हैं। ड्रिप सिंचाई तकनीक के लिए पानी जुटाने का उनका अपना खास तरीका है।

अब तक मिले सम्मान 
किसान भूषण, किसान सम्मान, प्रगतिशील किसान सम्मान, विस्मृत नायक सम्मान, जगजीवन राम किसान सम्मान। आईसीएआर सम्मान।

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