हमारा उत्तराखंड राज्य दो मंडलों में बटा हुआ है कुमाऊं तथा गढ़वाल। दोनों ही मंडलों का अधिकांश भाग पर्वतीय क्षेत्र है, फसलों और खानपान की बात करें तो इन में लगभग समानता ही मिलती है।
आज हम मुख्यता कुमाऊं मंडल के प्रमुख व्यंजनों की बात करेंगे।
कुमाऊं मंडल में अधिकांश क्षेत्र पहाड़ी है.इनमें पहाड़ी दालें, सब्जियां तथा पहाड़ी व्यंजन विभिन्न अवसरों (त्यौहार) तथा मौसम के अनुरूप बनाई जाती हैं, तो आइए एक नजर डालते हैं।
गहत की दाल– गहत पहाड़ी क्षेत्रों में मुख्यता उगाई जाने वाली एक किस्म की दाल है, इसकी तासीर गर्म होती है, यहां के लोग इसे ठंड के मौसम में खाना पसंद करते हैं. दाल के साथ-साथ इसका सूप भी लाजवाब होता है,यह दाल पथरी के इलाज मैं भी लाभदायक है।
भट्ट की चुटकानी– भट्ट जिसे काला सोयाबीन भी कहा जाता है मुख्य रूप से यहां उगाई जाती है. इसको बनाने की विधि तथा इसका स्वाद दोनों लाजवाब है.यह भी मुख्यतः ठंड के मौसम में उपयोग में जाती है।
ककड़ी तथा लौकी की बड़ी– लौकी तथा ककड़ी के सीजन में इन्हें बनाया जाता है. ककड़ी-लौकी को कद्दूकस करके और एक निश्चित आकार देकर सुखा दिया जाता है, इससे यह लंबे समय तक उपयोग में ली जा सकती हैं।
भांग की चटनी-सूखे हुए भांग के दानों को पीसकर उनमें नींबू तथा चीनी-नमक मिलाकर एक स्वादिष्ट मिश्रण प्राप्त होता है.जिसे भांग की चटनी कहते हैं.इसे भी मुख्यता ठंड में खाया जाता है।
आलू -पिनालू के गुटके-उबले हुए आलू को बड़े टुकड़ों में काटकर अन्य मसालों के साथ भूना जाता है, और भांग की चटनी तथा भुनी हुई मिर्च के साथ खाया जाता है।
ककड़ी का रायता– इसे राई के दानों के साथ मिलाकर तैयार किया जाता है.और यह प्रत्येक त्योहार पर मुख्य रूप से परोसा जाता है।
गडेरी की सब्जी-गडेरी मुख्यतः पहाड़ों पर ही उपलब्ध हो पाती है, इसे ठंड के मौसम में खाया जाता है, भांग के पिसे हुए दानों के साथ बनी हुई सब्जी बहुत अधिक स्वादिष्ट होती है।
मडुआ रोटी– मडुआ फसल भी मुख्यतः पहाड़ों पर ही देखने को मिलती है , यह कई गुणों से भरपूर है इसे पीसकर आटे के रूप में इस्तेमाल किया जाता हैै, जाड़े के मौसम में मुख्य रूप सेेे उपयोग में लाई जाती हैं।
इसके अलावा झुगंर का भात, उड़द के बड़े, बिच्छू घास की सब्जी, लिंगुड़ की सब्जी, पुलम तथा अल-बखर की चटनी, आटे तथा सूजी के घुघूते, धान के चुय्डै, तिल के लड्डू, लाई की सब्जी,चावल का हलवा, साना हुआ नीम्बू आदि व्यंजन प्रमुख है।
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