हिमांचल: हिमांचल पर्यटन की दृष्टि से एक समृद्ध स्थान हैं, जहां हर साल हजारों सैलानी यहाँ की यात्रा करने आते हैं। यहाँ कई हिल स्टेशन हैं, जैसे शिमला, कुफ़री, चंबा आदि। इस लेख में है, इन्ही Hill Station में से शिमला के कुछ बेहद खूबसूरत स्थानों की जानकारी –
तारा देवी मंदिर:
तर देवी (Tara Devi) शिमला के सबसे प्रसिद्ध दर्शनीय स्थलों में से एक है, और मंदिर का दिव्य वातावरण स्थानीय निवासियों के साथ दूर- दूर से आये पर्यटकों को भी आकर्षित और आनंदित करता है। यह शिमला से लगभग 18 किलोमीटर है। ‘शोघी’ नाम के स्थान से मंदिर के लिए एक अलग सड़क मिलती है, जिससे लगभग 6-7 किलोमीटर चल कर यहाँ पहुचते है। यहाँ चरों ओर चीड़, बाज़ सहित अनेकों वृक्ष के साथ घाटियाँ, घुमावदार सड़कों के खूबसूरत दृश्य दिखते हैं।
तारा देवी मंदिर समुद्र तल से लगभग 2200 फीट की ऊँचाई पर है। मंदिर में प्रातः 7 बजे से सायं 6:30 तक देवी के दर्शन किए जा सकते हैं।
मंदिर का निर्माण ढाई सौ वर्ष पूर्व पश्चिम बंगाल से सेन वंश के राजा ने स्वप्न में देवी द्वारा दिये निर्देशों के अनुसार इस स्थान पर कराया था। इस मंदिर का कुछ समय पूर्व पुनर्निर्माण हुआ था। मंदिर में माँ सरस्वती, माँ भगवती और काली माँ सहित विभिन्न देवियों की मूर्तियाँ यहाँ विराजित है। तारा देवी मंदिर के मुख्य भवन को हिमांचल की पहाड़ी वास्तुकला द्वारा सहेजा गया है। मंदिर के भीतरी भाग के दरवाज़े और लकड़ी में देवी-देवताओं के लघु चित्रों को बारीकी और कुशलता से उकेरा गया है।
शिमला से मां तारा देवी मंदिर तक जाने के लिए अपने वाहन के अतिरिक्त, एचआरटीसी (HRTC) की नियमित अंतराल में चलती बस से आने के अलावा, टैक्सीज हायर कर मंदिर तक पहुँच सकते हैं।
दुधाधारी मंदिर:
तारा देवी मंदिर से ऊंचाई की ओर रास्ते से थोड़ी ही दूरी पर दूधाधारी (Dudhadhari) मंदिर स्थित है। तारा देवी मंदिर दर्शन के लिए आये श्रद्धालु इस मंदिर के दर्शन भी करते हैं।
मंदिर में माता दूधाधारी की सफ़ेद संगमरमर से बनी सुंदर मूर्ति व लकड़ी से बनी अन्य मूर्तियाँ सुशोभित हैं। यहाँ से भी घाटियों के सुंदर दृश्य दिखते है।
शिव मंदिर:
तारा देवी मंदिर से पैदल लगभग दो किलोमीटर की दूरी पर शिवजी के प्राचीन मंदिर है। यह शिव मंदिर के लिए पूरा मार्ग घने वन क्षेत्र से होकर गुजरता है। जहां बाँज और बुरांश आदि के वृक्ष बहुतायत में है।
शिव मंदिर (Shiv Mandir ) के समीप स्थित इस जल श्रोत से माँ तारा देवी मंदिर में पूजा व भोग के लिए जल ले जाया जाता है। शिवरात्रि व जन्माष्टमी के अवसर पर यहाँ भंडारे का आयोजन भी किया जाता है।
इस स्थान पर श्री 1008 बाबा सोहन दास जी जो 1964 में अपनी भौतिक देह छोड़ चुकें हैं, ने 12 वर्ष तक कठोर तप किया था। बाबा जी की कुटिया के भीतर ही अखंड धूनी है, जिसे निरंतर ज्वलित रखा जाता है।
काली टिब्बा मंदिर:
काली टिब्बा (Kali Tibba) मंदिर चायल/ चैल की एक ऊँची पहाड़ी के शिखर में स्थित है। जहां वाहन द्वारा पहुँचा जा सकता है। तारा देवी मंदिर से 34 किलोमीटर दूरी और शिमला से कुफ़री और कोटी होते हुए लगभग 47 किलोमीटर की दूरी पर यह मंदिर स्थित है।
यहाँ मुख्य मंदिर माँ काली का है, इसके अतिरिक्त यहाँ शिव जी, गणेश जी, पंचमुखी हनुमान जी सहित विभिन्न देवी देवताओं की मूर्तियाँ स्थापित हैं। यह सफ़ेद संगमरमर से बना हुआ है।
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