अमेरिका के हबल टेलिस्कोप ने एक नई खोज की है। हबल टेलिस्कोप अमेरिका की स्पेस एजेंसी नासा ने 1990 में धरती के अक्ष पर ग्रहो ,तारो ,आकाशगंगा ,ब्लैकहोल ,और भी कई ब्रह्माण्ड में उपस्थित पिंडो की खोज के लिए स्थापित किया था। यह टेलिस्कोप नासा ने यूरोपियन स्पेस एजेंसी के सहयोग से स्थापित किया था हबल टेलिस्कोप धरती के चक्कर लगता है।
यह टेलिस्कोप अभी तक की अंतरिक्ष की विभिन्न खोजे कर चूका है। आने वाले कुछ वर्षों में यह टेलिस्कोप रिटायर हो जायेगा इसकी जगह पर नासा जेम्स वेब अंतरिक्ष दूरदर्शी 2021 में भेजेगा
हबल टेलिस्कोप ने हाल ही में हेलो (halo) खोजा है। हेलो एक विशेष प्रकार का प्रकाश होता जो किसी आकाश गंगा के अंतिम छोर में गैसीय रूप में फैला होता है।
यह हेलो हमारी नजदीकी आकाश गंगा एन्ड्रोमीडा का है। लेकिन रोचक बात यह है , की यह प्रकाश हमारी आकाश गंगा में भी पाया गया वैज्ञानिको का मानना है की यह दो आकाश गंगाओं के टक्कर की शुरुवात है। हमारे ब्रह्मण्ड में बहुत सारी आकाश गंगाये है। जो एक दूसरे से नियत दुरी बना कर रखती है। इन आकाश गंगाओं में ढेर सारे सोलर सिस्टम होते है। हमारी ही आकाश गंगा मिल्की वे में लगभग 400 से 500 बिलियन तारे है। इतने असंख्य तारो के एक सिस्टम से दूसरे से टकराने से एक नई आकाश गंगा निर्माण होगा। जिसका नाम वैज्ञानिक ने मिल्की हेलो रखने का सोचा है।
Our nearest galactic neighbor has a halo. 😇
— NASA (@NASA) August 27, 2020
With @NASAHubble, scientists mapped a nearly invisible halo of gas around the Andromeda Galaxy, extending halfway to our Milky Way. If human eyes could see it, it would be the biggest feature in the night sky: https://t.co/mgECyva6Wc pic.twitter.com/LefP15mNmd
क्या यह घटना मानव जाति देख पाएगी ? इसका जवाब होगा नहीं क्योकि यह घटना पूर्ण रूप से होने में लगभग 2 से 3 बिलियन वर्ष लगेंगे। तब तक पृथ्वी का तापमान इतना अधिक होगा की इंसान यहां नहीं रह पायेगा। अगर विज्ञान एडवांस होकर मनुष्यो को एक नई आकाश गंगा में नए ग्रह में भेज देता है तो वह बात अलग है।