जनाब लॉकडाउन मे इन्तजार जिन दुकानो के खुलने का था, उन दुकानो के खोलने पर मोदी जी के साफ़ निर्देश आ गये है कि, ब्युटी पार्लर, नाई की दुकान और शराब खाने रेड, ग्रीन, ओरेन्ज या येलो जोनों मे से किसी भी जोन मे नही खुलेगी। सोच पड गये… lock-down में बन्द पड़ें, भगवान के मन्दिरों के आगे गुहार लगायी – इन दुकानो के खोलने की, सामर्थ्यनुसार प्रसाद के साथ एक भला सा पैकेज भी ईश्वर को ऑफर किया था, पर मोदी जी के आगे भगवान जी भी बेबस हो गये। मन्दिर तो बन्द ही थे, और आगे किसी बन्दी को झेल पाने को ईश्वर ने इशारे मे अपनी असमर्थतता जता दी। अब सब बाते कहने की तो नही होती, ईश्वर की मोदी जी के आगे कुछ न कर पाने की बेबसी समझ मे आने लगी थी।
अब जनाब सोचना था उस रहस्य के बारे में, जिसने मोदी जी को महिलाओं के सौन्दर्यगृह, आदमियो के केश और गम गलत करने के अड्डो को बन्द रखने पर मजबूर कर दिया। जब थाली बजाने, दिया… मोमबतती या टोर्च जलाने के पीछे मानव कल्याण के वैज्ञानिक रहस्य छुपे हैं तो, नाई, ब्युटी पार्लर और ठेकों को बन्द रखने का विश्व कल्याण से सम्बन्ध अवश्यमभावी था, बस जरुरत अपने दिव्य ज्ञान को जगाने की थी।
घर पर तो श्रीमती जी की कृपा से सुबह के समय भक्ति संगीत गूंज रहा होता है, इसलिये छ्त पर एक सुनसान कोना, इस दिव्य ज्ञान को जगाने का जब चुना, तब कुछ धीरे धीरे समझ मे आने लगा। जनाब पार्लर बन्द होने से ऐसे ऐसे भयानक स्त्री रूप सामने आ जाएँगे कि, त्रिजटा, सूर्पनखा, हिडिम्बा भी शरमा जाएँ। ऐसे रूपों को देख जब बडे बडे शूर वीर घबरा गये थे तो, इस कोरोना की क्या बिसात।
पुरुषों के केश नाईयों के आभाव मे राजा राम, लखन, भरत समान बनते जा रहे हैं। घर घर मे पुरुष इन महान विभुतियों समान नजर आ रहे हैं (मेरी बीबी के अनुसार बडे हुए बालों में, मेरा लुक राक्षस विभीषण से मिलता है)। वेष परिवर्तन हो रहा है, पुरुष, महापुरुष नजर आने लगें हैं। उनके गुण आने मे थोडा समय तो जरुर लगेगा, गुण आयेगे जरुर, अगर और समय चाहिये तो लॉकडाउन बड़ भी सकता है।
मोदी जी घर घर मे रामायण महाभारत तो ला ही चूकें हैं, अब रामायण, महाभारत के पात्र सरीखे गुणवान लोग भी लाएँगे। यहाँ पर तो मोदी जी को दिल से आभार प्रकट करना बनता है। सारा दिन दो घन्टे ही सही, पुरुष अपनी जिन्दगी जी लेता है। तब बीबी रामायण देखने मे इस कदर मशगूल रहती है कि, पति के क्रियाकलापों पर नजर नही रख पाती, और पति आधे बरतन झूठे छोड, मित्रों से नयी पडोसन का नख सिख वर्णन करने मे मस्त रह पाता है।
अब शराब के ठेके, तो साहब घर घर मे शोध चल रहें हैं। कोई ग्राईप वाटर मे पुदिना हरा मिला कर नया पेय बना रहा है, तो कोई खासी की दवा से ये प्रयोग करने में मशगूल है, कुछ तो सेनिटाईजर पर अपना सारा ध्यान केन्द्रित किये बैठें हैं। अभी अभी पता चला है कि आयुर्वेदिक दवा – मृत सजीबनी सुरा पर भी शोध सबंधी कार्य चल रहें हैं। तात्पर्य यह है के सारा मानव शोध की तरफ़ मुड गया है, और शराब के पर्याय के साथ कुछ विश्व कल्याण की खोजे अवश्यम्भावी है।
तो जनाब सोच सकारात्मक हो, जीवन के हर फ़ील्ड मे सकारत्मक सोचने की जरुरत है। पोजिटिव….. पॉज़िटिव और एक दम पोजिटिव। हाँ कोरोना टेस्ट का परिणाम नहीं! आमीन!
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