शुरुआत नई करते हुए, जब बढ़ने लगे धड़कन स्वयं पर करना विश्वास, होने लगे कम तब कैसे निकाले कोई, स्वयं को बाहर देखने लगे जब सामने, अपनी ही हार -darkness_entails_light
1) मेरे मन में पनपते विचार
बहुत बार सुना, महसूस मैंने भी किया कई बार, कि प्रारंभ के साथ आता है वह डर हार जाने का। लिखना शौक रहा है मेरा हमेशा से परंतु इस प्लेटफार्म पर लिखने का मौका मिलने पर खुशी के साथ मेरे मन में पनपने लगा आत्मसंदेह। यह डर कि –
” क्या मैं यह करने में सक्षम हूँ?”
” कोई क्यों मुझे पढ़ना चाहेगा… आखिर ऐसा क्या है मेरी लेख में जो अन्य अनुभवी व प्रतिभावान लेखकों के पास नहीं है?
2) देखें आप में (पाठक) और मुझ में (लेखक) क्या समानता है?
क्या आपको लगता है कि आप भी निम्नलिखित बिंदुओं से स्वयं को संबंधित पाते हैं? और यदि हाँ तो आप और मुझ में कहाँ भेद रह जाते हैं? चलिए जाने उन बिंदुओं को जिन्हें जोड़ मैं और आप एक निर्विघ्न रेखा है।
- क्या आप भी कोई नया काम शुरू करने से पहले यह सोचते हैं – “क्या यह काम सफल होगा?”
- क्या आपको स्वयं के कार्य अच्छे या बुरा होने के लिए दूसरों का अप्रूवल यानी अनुमोदन चाहिए होता है?
- क्या गलती करने से आप इतना डरते हैं कि कोशिश करना उसके सामने छोटा पड़ जाता है?
- क्या आप यह सोच कर रुक जाते हैं कि, “लोग क्या कहेंगे?”
3) हमें यह सब क्यों महसूस होता है
ऐसा महसूस होना बिल्कुल साधारण है। हम सब सामाजिक प्राणी है और चिंतित होना इसका एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। इसी चिंता के साथ चिंतन करते हुए, मैं आप सभी को ले चलती हूँ मेरे ही जीवन के, एक ऐसे क्षण में, जहां कुछ नया करने से डर के कारण मैं अपना आत्मबल खो रही थी। उसी समय मेरे हिंदी के अध्यापक ने मुझसे कहा था और आज भी मुझे याद है:- “डर होना जरूरी है डर हमें सफल बनाने में मदद करता है। डर ना हो तो इंसान घमंडी हो जाता है। “
4) चिंता के कुछ लक्षण निम्नलिखित लक्षण चिंता के हैं –
- घबराहट, बेचैनी और भय
- नींद का समय पर ना आना
- शांत व स्थिर रहने में परेशानी
- कमजोरी व सुस्ती
- सांस लेने में दिक्कत
- ऐंठी हुई मांसपेशियाँ
- चक्कर आना
- पाचन या जठरांत्र संबंधी समस्या
यह सभी लक्षण ना देखाे, तो छोटे देखो तो “चिंता से चिता” का सफर कम करते नजर आते हैं|
5) ज्यादा चिंता ना करने के कुछ उपाय
- स्वयं को अत्यधिक चिंता से आराम देने के तरीके ढूँढें जैसे- व्यायाम, योगा इत्यादि
- खान-पान का ध्यान दें।
- ऐसे कार्य करें जो आपका मनोबल बढ़ाए।
- ऐसे लोगों के सानिध्य में रहे जो आप में मनोबल की कमी ना होने दें।
- यह याद रखें कि एडिसन ने कहा था,
” मैं हारा नहीं हूँ, मैंने तो ऐसे 100 तरीके ढूँढें हैं जिससे सफलता नहीं मिलती। “ मर्म यही है, कि हार से ना डरे। मैं स्वयं आज अपने डर का सामना कर, इस लेख को इस के अंत तक पहुंचाने में सक्षम हुई हूँ। तो याद रखें,
“डर के आगे ही जीत है! हारता वह नहीं जो भयभीत है! हारता तो वह है जिसके, भय के आगे हारती उसकी जीत है!
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