पवित्र माने जाने वाले 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक केदारनाथ अपने पौराणिक महत्व के चलते खास अहमियत रखता है। समुद्र तल से 3581 मीटर की ऊंचाई पर स्थित भगवान शिव के इस धाम मैं मन्दाकिनी नदी की निर्मल धारा को सहज रूप से महसूस किया जा सकता है। केदारनाथ मंदिर का जिक्र महाभारत मैं भी मिलता है ।मान्यता है की महाभारत युद्ध के बाद पांडव अपने पापो का प्रायश्चित करने के लिए पांडवो ने यहां आके भगवान शिव की पूजा की थी तब जाकर भगवन शिव बेल के रूप मैं प्रकट हुए थे । तब से बेल रुपी शिव का पिछला भाग केदारनाथ मैं पूजा जाता है । शरद ऋतु मैं यहाँ के कपाट बंद रहते है। व अप्रैल-मई में श्रद्धालुओं के लिए कपाट खोल दिए जाते हैं।
दर्शनीय स्थल –
केदारनाथ मंदिर – आदि गुरु शंकराचार्य ने इस मंदिर का निर्माण 8वी शताब्दी में कराया था यह मंदिर पांडवो द्वारा निर्मित मंदिर के पास ही स्थित है । इस मंदिर में नंदी शिवलिंग गर्भगृह के दर्शन भी किये जा सकते हैं ।
शंकराचार्य मंदिर – केदारनाथ मंदिर के पीछे आदि गुरु शंकराचार्य की समाधी है । माना जाता है । की चार धाम की यात्रा के बाद वह 32 वर्ष की आयु में ही समाधी मैं लीन हो गए थे ।
भीमशिला – जब केदारनाथ मंदिर में आपदा आयी थी तब इसी शिला ने मंदिर को क्षतिग्रस्त होने से बचाया था यह शिला मंदिर के ठीक पीछे लगी हुए है ।
कैसे पहुंचे –
निकटतम हवाई अड्डा – जोलीग्रांट देहरादून (239किमी )
निकटतम रेलवे स्टेशन – ऋषिकेश (221 किमी )
सड़क मार्ग – यह स्थान देहरादून ऋषिकेश हरीद्वार कोटद्वार से व हल्द्वानी रानीखेत द्वाराहाट से भी सड़क मार्ग द्वारा जुड़ा हुआ है ।