उत्तराखंडः वन विभाग में 10 हज़ार नौकरियां

by Deepti Pandey
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उत्तराखंड सरकार द्वारा घर लौटे प्रवासियों के रोजगार सृजन हेतु कई सी योजनाएं लागू की हैं, किन्तु जो इन योजनाओं का लाभ उठाने से चूक गए उनके लिए भी सरकार रोज़गार का ज़रिया खोज लाई है। सरकार वन विभाग में लगभग दस हजार युवाओं को बतौर वन प्रहरी नियुक्त करने जा रही है। ये वन प्रहरी गमिर्यों में फायर वॉचर का भी काम करेंगे, और शेष दिनों में प्लांटेशन और जंगलों की चौकीदारी का काम करना होगा। विभाग इन्हें हर महीने 8000 रुपये मानदेय देगा। इस योजना का ड्राफ़्ट लगभग लगभग तैयार हो चुका है। इसी वर्ष नवंबर आखिरी या दिसंबर शुरुआत में नियुक्ति प्रक्रिया शुरू कर दी जाएगी। इसमें प्राथमिकता प्रवासियों को दी जाएगी.

कैंपा फंड से मिलेगा पैसा

हेड ऑफ फॉरेस्ट डिपार्टमेंट जयराज का कहना है कि इसके लिए बजट की व्यवस्था भी कर ली गई है. इन्हें वेतन कैंपा हेड से दिया जाएगा।  इसके लिए 210 करोड़ के प्रस्ताव को कैंपा की कार्यकारी समिति ने मंजूरी भी दे दी है। अब 12 अक्टूबर को इसे चीफ सेक्रेटरी की अध्यक्षता वाली संचालन समिति से पास कराकर भारत सरकार को भेजा जाएगा।
मालूम हो कि विकास योजनाओं के लिए जो वन भूमि अधिगृहित की जाती है, उसका पैसा कैंपा फंड में जाता है। इसके इस्तेमाल के लिए राज्य सरकारें अपना प्रस्ताव केंद्र को भेजती हैं और केंद्र राज्य के कैंपा हेड से पैसा रिलीज करता है। हालांकि बाध्यता यह है कि कैंपा की धनराशि कुछ चुनिन्दा मदों में ही खर्च की जा सकती है।

पुराना पैसा ही खर्च नहीं हुआ 
राज्य सरकार की मांग पर साल 20-21 के लिए केंद्र ने 225 करोड़ की राशि स्टेट कैंपा को दी थी। इस धन को 31 मार्च तक खर्च किया जाना है लेकिन अभी लगभग 125 करोड़ की धनराशि ही खर्च हो पाई है। इसके बावजूद इसके 210 करोड़ का अनुपूरक प्रस्ताव फिर कैंपा हेड में केंद्र को भेजा जा रहा है।

इसी 210 करोड़ की धनराशि में से बड़ा हिस्सा वन प्रहरी के रूप में लगाए जाने वाले 10 हजार बेरोज़गारों के वेतन पर खर्च किया जाएगा। यानी कि पहले तो इस पैसे को रिलीज होने में अगर दिसम्बर तक का भी समय लगता है तो चालू वित्तीय वर्ष के शेष तीन महीनों में ये 210 करोड़ खपाने होंगे।

इन वन प्रहरियों को वेतन देने के बाद जो बजट बचेगा उसे गैरसैंण के भराड़ीसैंण समेत विभिन्न क्षेत्रों में नेचर वन की स्थापना करने की योजना है. इसके अलावा 2000 स्कूलों में ईको क्लब की स्थापना की जाएगी। जन जागरूकता के लिए इन विद्यालयों को फंडिंग करने का प्लान है। इसी तरह यह पैसा कोसी, सुखरो, मालन, नयार नदी, गंडक नदी,  मालन व गरुड़ गंगा के पुनर्जीवन पर खर्च किया जाएगा। इसी क्रम में दिसंबर तक 10 हज़ार खाली हाथों को सरकार काम सौंपने जा रही है।



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