Home Miscellaneous दीदी की जुबानी-कुमाऊँ की कहानी

दीदी की जुबानी-कुमाऊँ की कहानी

by Himanshu Pathak

नमस्कार मेरे प्यारे बालकों ,युवाओं, मेरे मित्रगणों एवम् मेरे सभी सम्मानीय जनों, आपका स्नेह व आशीष मुझे समय-समय पर प्राप्त होता रहा है। इसके लिये आप सभी आत्मीय जनों  का हृदय से आभार।

कुमाऊँ की लोककथाओं से व दंतकथाओं से स्वयं को व आप सभी लोगों को परिचित कराने हेतु आज यानि हर रविवार को मैं ,आप सभी लोगों  को एक दंतकथा व लोककथा से परिचित कराऊँगा जिसे मैंने अपनी प्यारी दीदी सुशीला पाठक की जुबानी बचपन में सुनी थी। इसलिए  मैंने इस विषय-श्रंखला का शीर्षक ही रखा है ।

” दीदी की जुबानी-कुमाऊँ की कहानी”

जो हमें , परिचित कराएगी  हमारे इतिहास से ,हमारी संस्कृति से और हमारे पूर्वजों से।

आज की श्रंखला में  हम बात करते हैं गंगोलीहाट में  स्थित हाटकालिका में  घटित एक घटना की ।जिसका शीर्षक है।                    “वो रात”

रात भोजन करने के बाद सारे बच्चे छत में  दीदी के पास आ गये, गर्मियों की रातें  थी बच्चों की गर्मियों की छुट्टियाँ चल रही थी।बच्चें हर रात दीदी के पास आ जाते और दीदी से खूब कहानियाँ सुना करते।ये बच्चों के रोज का क्रम थाआज भी  दीदी  को पूरे मुहल्ले के  बच्चे घेर कर बैठ गये और आग्रह करने लगे  ,”दीदी कहानी सुनाओ ना”। दीदी मुस्कुराते हुए बच्चों को कहानी सुनाने लगी ,”ये घटना मेरे गाँव गंगोलीहाट की है मैं  अपनी ईजा के साथ रोज गांव में स्थित हाटकालिका के मंदिर में जाती थी।उस रात शारदीय नवरात्र की अष्टमी तिथि थी मैं और मेरी ईजा गाँव की अन्य महिलाओं के साथ हाटकालिका मंदिर रात्रि जागरण में  गये थे मंदिर में  भजन का कार्यक्रम चल रहा था मंदिर का सम्पूर्ण वातावरण माँमयी हो रहा था।  अर्द्ध-रात्रि का समय था तभी  दूर कही से शेर के गरजने की आवाज आ रही थी।  हमलोगों ने उस आवाज पर ज्यादा गौर नही करा, तभी शेर के गरजने की आवाज निकट आने लगी।हम लोग माँ के भजन मी तल्लीन थे हालांकि हम सब लोग भयभीत तो थे पर माँ पर विश्वास भी था।शेर की गर्जना अब मंदिर के निकट ही थी ,इससे पहले कि हम सब लोग संभल पाते शेर मंदिर के प्रांगण में आ चुका था हमारे पास कोई विकल्प नही बचा था,सिवाय इसके कि हम मंदिर में ही शान्त बैठ माँ का भजन करें, क्योंकि अब तो माँ ही हम सभी की रक्षा कर सकती थी और वो ही एक मात्र सहारा थी”। ये कहकर दीदी रूक गयी बच्चों में  उत्सुकता थी ये जानने के लिए कि आगे क्या हुआ होगा? शेर ने क्या किया होगा?परन्तु दीदी ने बच्चों  से कहा बच्चों चलो रात बहुत हो गयी है चलो सो जाओ बांकी की कहानी बाद में ।मुझे पता है कि बच्चों के साथ-साथ आप लोगों को भी उत्सुकता हो रही होगी आगे की कहानी जानने कि तो चलिये आगे क्या हुआ ये हम जानेगें अगले रविवार को दीदी की जुबानी-कुमाऊँ की कहानी ।

तब तक के लिये आज्ञा दीजिये नमस्कार

धन्यवाद

आपका- हिमांशु पाठक ।

 

You may also like

Leave a Comment

-
00:00
00:00
Update Required Flash plugin
-
00:00
00:00