साल 2015
एक सप्ताह के लिए श्रीलंका का टूर पर था। सैटरडे संडे वहीं रुकने का प्लान था। सामन्यात: सप्ताहांत पर, मैं कोई भी टूरिस्ट अट्रैक्शन की जगह पर पहुंच जाता हूं। मेरे वहां के मित्रों ने सलाह दी, मै एडम्स पीक भी जा सकता हूं।
ऐडम्स पीक श्रीलंका की दूसरी सबसे ऊंची चोटी है। उस चोटी के ऊपर एक चरण चिन्ह है, स्थानीय कथाओं के अनुसार, वह चरण चिन्ह गौतम बुद्ध की हैं। जब वह श्रीलंका पहुंचे थे, तो ऐडम्स पीक भी गए थे। क्रिश्चियनस के अनुसार यह चरण चिन्ह संत थॉमस की है, जो पहली शताब्दी में श्रीलंका गए थे। मुस्लिम्स के अनुसार यह एडम की है, जब उन्हें ईडन गार्डन से निकाल दिया गया था, वह यही लैंड किए थे, और हिंदू के अनुसार भगवान शिव की है। रावण ने वहीं पर भगवान शिव की तपस्या की थी, और भगवान शिव ने उन्हें दर्शन दिए थे। हालांकि रावण की राजधानी भी उस पहाड़ के समीप में ही थी।
लगभग 7000 सीढ़ियों को चढ़कर आप ऐडम्स पीक पर पहुंच सकते हैं। बेतरतीब सीढ़ियां हैं। एक तरफ ऊंची पहाड़ी, और दूसरी तरफ खाई। सिर्फ कहीं-कहीं आपको रेलिंग मिल सकती है, वह भी सरकार ने सुरक्षा की दृष्टि से लगवाया है। पत्थर को काटकर बनाई गई है सीढ़ियां, कोई कोई सीढ़ी आधा फीट की, और कोई डेढ फीट की है। कहीं-कहीं दो तीन सौ मीटर सिर्फ पगडंडी, कहीं-कहीं आपको झाड़ियों के बीच से होकर गुजरना पड़ता है। बीच-बीच में छोटी-छोटी दुकानें, जिसमें आपको पानी चिप्स बिस्कुट इत्यादि मिल सकती है। 7000 सीढ़ियां चढ़ते में मुझे 5 घंटे से ज्यादा लगे। मैं हर आधे घंटे में लगभग 10 मिनट का रेस्ट लेकर चढ़ाई कर रहा था। जैसे जैसे ऊपर जाते हैं, वैसे वैसे ऑक्सीजन की कमी होती जाती है, और मैं बहुत जल्दी हाँफ जा रहा था, मुझे भी कोई हड़बड़ी नहीं थी, मेरे पास पूरी रात थी। पूर्णिमा की रात थी, और अच्छी खासी भीड़ थी। लोगों का जत्था ऊपर चढ़ रहा था। अच्छी खासी संख्या में लोग ऊपर से नीचे भी लौट रहे थे। सभी में एक उत्साह था, नमो बुद्धा का उच्चारण करते हुए लोग आगे बढ़ रहे थे।
5 घंटे के बाद में ऊपर पहुंच गया था। ऊप्पर भी काफी भीड़ थी। मैंने भी चरण चिन्ह के दर्शन किए। लगभग 2 फीट के ब्यास में संगमरमर के पत्थर पर एक बेहद खूबसूरत चरण चिन्ह उकेरा गया था। चरण चिन्ह के ऊपर शंख चक्र गदा इत्यादि के निशान बने हुए थे। मैं थोड़ा और ध्यान से देखना चाहता था, लेकिन पीछे की भीड़ में मुझे धकेल कर आगे बढ़ा दिया।
लगभग 100 सीढ़ी नीचे उतर कर, एक किनारे में बनी हुई छोटी सी चाय की दुकान पर आकर रुक गया। यूं तो श्रीलंका में मौसम सालों भर घर में रहता है, लेकिन उस ऊंचाई पर अच्छी खासी ठंड थी। मैं शॉर्ट्स और टीशर्ट में था, मुझे कुछ ज्यादा ही ठंड महसूस हो रही थी, और हर 15 मिनट में नींबू चाय पी रहा था। और इंतजार कर रहा था सुबह होने की। मैं सनराइज देखकर वापस लौटना चाहता था, उस चाय वाले की लकड़ी की बेंच पर मैं शाल ओढ़ कर बैठा हुआ था।
वहां की सनराइज अद्भुत था, लाल सूरज की पहाड़ियों के बीच से धीरे-धीरे ऊपर उठना, उसकी किरणों को आप तक पहुंचना, एक स्वर्णिम आभा का निर्माण होना। उस ऊंचाई पर हवा की ताजगी, पेड़ की पत्तियों पर ओस की बूंदे, चिड़ियों की चहचहाट, हल्की ठंड, हरी धरती, दूर तक फैली पहाड़ की श्रृंखला, तलहटी में दिखाई पड़ते छोटे-छोटे गांव, बीच-बीच में तालाब पर सूरज की रोशनी पड़ते ही सुनहरे रंग का पानी दिखाई पड़ता था। अद्भुत प्राकृतिक आभा थी। वह क्षण सिर्फ आप अनुभव कर सकते हैं।
इंतजार के दौरान में मेरी मुलाकात हुई एक आयरलैंड के निवासी से। वह भी उस चाय दुकान में बैठक सूर्योदय का इंतजार कर रहा था। उसने मुझे श्रीलंकन समझा, और मुझसे श्रीलंका के बारे में जानकारी चाही। जब उसे पता चला मैं हिंदुस्तान से हूं, तो बहुत खुश हुआ। वह 15 दिन के लिए हिंदुस्तान आने वाला था वह जानना चाहता था … उसे कौन सी जगह देखनी चाहिए। जब मैंने उससे उसके बारे में जानकारी मांगी, तो उसने बताया, वह आयरलैंड का निवासी है, बाय प्रोफेशन रेस्टोरेंट मैनेजर है, और फिलहाल न्यूजीलैंड की रेस्टोरेंट में कार्यरत है। वह वेगन है और जानवरों से बनी कोई भी वस्तु का इस्तेमाल नहीं करता है। साल के 10 महीने नौकरी करता है, और 2 महीना छुट्टियां लेकर दुनिया में घुमने निकलता है। उसके पास सिर्फ एक बैक पैक है, जिसमें उसकी जरूरत का सारा सामान होता है। दो जींस, चार टीशर्ट, हवाई चप्पल, कैमरा, दो तीन किताबें, चार्जर और पावर बैंक होता है। एक छोटी सी फाइल जिसमें टिकट्स, होटल बुकिंग और पासपोर्ट होता है।
10 महीने काम करने के बाद वह 2 महीने की छुट्टियां लेता है। और अगर छुट्टियां नहीं मिलती है तो नौकरी छोड़ देता है। लगभग 6 महीना पहले वह टिकट बुक कर लेता है। रेगुलर टिकट की तुलना में उसे टिकट आधे दाम में मिल जाती है। सस्ते होटल में, डोरमेट्री मे स्टेशन पर कहीं भी सो जाता है। और जो भी वेगन ऑप्शन उपलब्ध होता है, खा लेता है। अपनी यात्रा की प्लानिंग ऐसा करता है, जिससे कि वह टीम में घूम सके। और रात में ट्रेनों में यात्रा करते रहे, वह 2 महीने में 5 से 6 देशों की यात्रा करता है। अभी तक वह 82 कंट्रीज की यात्रा कर चुका था और जिंदगी में वह 200 देशों की यात्रा करना चाहता है। उसकी उम्र 36 साल थी। वह लगभग 60 साल की उम्र तक 200 देश की यात्रा कर लेगा, ऐसा उसका प्लान था। वह आने वाली पीढ़ियों को यह बताना चाहता था उसने दुनिया देखी है। उससे मिलकर मजा आ गया, उसकी यात्राओं और कहानियों ने मुझे काफी प्रेरित किया। अंदर से मैं भी उसकी जिंदगी जीना चाहता हूं।
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