तो आईये जानते हैं आज ऐसे ही एक विश्व प्रसिद्द बुग्याल दयारा बुग्याल के बारे में, जो है देहरादून से लभगग 195 किलोमीटर पर, और समुद्र तल से लगभग 10 हजार फिट (3048 मीटर) की ऊंचाई पर स्थित। दयारा बुग्याल अपने घास के मैदान और बर्फ से ढके हिमालय की रेंज के लिए प्रसिद्द हैं। दयारा बुग्याल को उत्तराखंड सरकार ने ट्रैक ऑफ द ईयर-2015 भी घोषित किया था।
ऊप्पर ? दिये विडियो को पूरा देखने के बाद और इस लेख को पूरा पढ़ने के बाद, आप जानेंगे बुग्याल क्या होते हैं, बुग्याल की विशेषताएँ, दयारा बुग्याल कहाँ है, दयारा कैसे पहुंचे/ कहां रुके/ क्या तैय्यारी करें / कब जाएँ / क्या सावधानी बरतें/ और ट्रेक में साथ ले जाने के लिए जरुरी सामान की लिस्ट, और …और विडियो पूरा देखने के बाद आप को दयारा की खूबसूरती देख खुद मालूम चल जायेगा कि दयारा क्यों जाए।
आईये अब जाने है बुग्याल क्या होते हैं?
बुग्याल हिम रेखा और वृक्ष रेखा के बीच का क्षेत्र होता है, या दुसरे शब्दों में बुग्याल शब्द का अर्थ है – पहाड़ों की ऊंचाई पर स्थित घास के मैदान। आमतौर पर ये समुद्र तल से ये 8 से 10 हजार फीट की ऊँचाई पर स्थित होते हैं। बुग्याल देखकर यह आभास होता है कि मानो जैसे किसी ने इन पहाड़ों पर घांस के गद्दे बिछा दिए हों। भूगोल के शब्दों में इन्हें सवाना भी कहा जाता है, जहां चारों ओर सिर्फ घांस से भरे मैदान दिखाई देते हैं।
बुग्याल की पाए जाने वाले जीव और वनस्पतियाँ के बारे में
बुग्यालों में छोटे–छोटे फूल, पौधे और दुर्लभ किस्म की वनस्पति होती है। इन बुग्यालों में कई कई बहुमूल्य औषधि युक्त जडी–बू्टियाँ जैसे रतनजोत, कलक, वज्रदन्ती, अतीष, हत्थाजडी आदि भी पाई जाती हैं। इसके साथ–साथ इस क्षेत्र में पाये जाने वाले सामान्य जीव–जंतुओं में – लंगूर, लाल बंदर, भूरे भालू, लोमड़ी, बर्फीले चीते, बार्किंग डियर/ हिरण, सांभर, कस्तूरी मृग, साही, हिमालयी भेड़, हिरण, मोनाल, कस्तूरी मृग और घुरड़ जैसे जानवर भी देखे जा सकते हैं। विभिन्न रंगों की तितलियां तथा कीटें भी यहां पायी जाती हैं।
दयारा बुग्याल कहाँ है? और दयारा कैसे पहुचे?
दयारा बुग्याल, उत्तराखंड राज्य के गढ़वाल मंडल में, उत्तरकाशी जिला मुख्यालय से लगभग 45 किलोमीटर पर, भटवारी गाव के समीप बरसू गाव उत्तरकाशी से 45 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है।
नजदीकी एअरपोर्ट – जॉली ग्रांट, देहरादून 195 किलोमीटर,और नजदीकी रेलवे स्टेशन ऋषिकेश से 180 किलोमीटर है। दिल्ली से दयारा की दुरी लगभग 443 किलोमीटर है और उसके बाद लगभग 9 किलोमीटर का ट्रेक तय कर यहाँ पहुंचा जा सकता है।
हमने अपने सफ़र की शुरुआत देहरादून से की। देहरादून बस, टैक्सी, ट्रेन या फ्लाइट से आसानी से पंहुचा जा सकता है। देहरादून से बेस कैंप तक पहुंचने के लिए लगभग 7-8 घंटे की ड्राइव है। देहरादून से दयारा पहुचने के लिए हम राजपुर रोड देहरादून से मसूरी होते, चंबा- उत्तरकाशी से आगे भटवारी और फिर बरसू गांव पहुचें। वाहन द्वारा बरसू तक ही जाया जा सकता है। बरसू गाँव, इस ट्रैकिंग के मार्ग में पड़ने वाला आखिरी गाँव है, फिर शुरू होती है 8 से नौ किलोमीटर की ट्रैकिंग। तो कुल ट्रेकिंग लगभग 18 किलोमीटर की हो जाती है- 9 किलोमीटर जाना और 9 किलोमीटर आना।
सर्दियों के दौरान पर्यटक लगभग 28 वर्ग किमी में फैले इस क्षेत्र में आप ढलानों पर स्कीइंग का आनंद ले सकते हैं। दयारा बुग्याल से 30 किमी की दूरी पर स्थित दोदीताल (एक ताजे पानी की झील) की यात्रा भी पर्यटकों के मध्य काफी लोकप्रिय है।
बरसू विलेज के बाद घने जंगलो के बीच से लगभग 8 से 9 किलोमीटर का ट्रेक पूरा करने के बाद, जब आप हरे भरे घास से भरे मैदान नुमा ढलान में पहुचते हैं तो आपकी साँसे थम जाती है, आँखे खुली रह जाती है, और आप चाहते की आप इस सब को अपने दिल और दिमाग में समां लें। 28 वर्ग किलोमीटर में फैला दयारा बुग्याल का मखमली घास का मैदान बुग्यालों में पौधे एक निश्चित ऊँचाई तक ही बढ़ते हैं। जलवायु के अनुसार ये अधिक ऊँचाई वाले नहीं होते। यही कारण है कि इन पर चलना बिल्कुल मखमली गद्दे पर चलना सा लगता है। यहाँ प्रकृति का सौंदर्य देख आप सम्मोहित हो जाते हैं, चारो और फैली हरियाली और ऊँचे ऊँचे पहाड़, प्रकृति की ये रूप किसी चित्र के समान लगता है। यहाँ से / भागीरथी, बंदरपुंछ, ब्लैक पेक और अज्ञात चोटियों दिखती हैं।
कहाँ रुके!
एक ट्रेकिंग डेस्टिनेशन होने के नाते, दयारा बुग्याल में कोई होटल या गेस्टहाउस उपलब्ध नहीं हैं। इसलिए ट्रेकेर्स को अपने साथ टेंट और स्लीपिंग बैग ले जाना होता है, जो दयारा बुग्याल के मैदान पर लगाया जा सकता है। बरसू गांव इस ट्रेक के बेस कैंप है। रुकने के लिए आप उत्तरकाशी या भटवाड़ी में रुक सकते हैं। इसके अलावा 20 से 30 किलोमीटर की दुरी पर हर्षिल, और गंगोत्री मार्ग पैर कई होटल/ गेस्ट हाउसेस और होम स्टे मिल जायेंगे।
दयारा जाने का आदर्श समय!
सर्दी, गर्मी, बरसात हर मौसम में यहाँ प्रकृति का अलग रूप दिखाई देता है, बारिश के मौसम में यहाँ जाना रिस्की हो सकता है, रास्ते फिसलन भरे हो जाते हैं, ठण्ड बड़ जाती है। दिसंबर से मार्च माह के पहले पखवाड़े तक बर्फबारी जारी रहती है। इससे यहां बर्फ की मोटी चादर बिछ जाती है, जो अप्रेल के बाद ही पिघलती है। दयारा बुग्याल में दो किलोमीटर लंबे कई ढलान हैं जिनमें स्कीइंग हो सकती हैं। हरियाली और फूलों का मजा़ लेना हो तो मई–जून का समय सबसे बढिया है। सितंबर–अक्टूबर में बारिश के बाद पूरी प्रकृति धुली–धुली सी लगती है। उसके बाद बर्फ गिरनी आरंभ हो जाती है। मौसम के अनुसार ही आपको भी अपनी तैयारी करनी होगी। इनकी सुन्दरता यही है कि हर मौसम में इन पर नया रंग दिखता है।
Dayara Bugyal Trek In Summers
ये जगह हरे भरे और अच्छी धुप वाली है, ये सुझाव है कि आप अपने संग सनस्क्रीन, एक कैप जिससे धुप सीधे आपकी आँखों पे ना पड़े, sunglasses, रेन कोट आदि रख लें, गर्मियों में अभी भी रातें ठंडा हो सकती हैं इसलिए गरम कपड़े आवश्यक हैं।
Dayara Bugyal Trek In Monsoon
मानसून के दौरान यहाँ न जाने की सलाह दी जाती है, क्यूंकि रास्ता और घास फिसलन भरी हो सकती है, और थोड़ी सी लापरवाही से आप घायल हो सकते हैं, पर अगर आपने आना तय ही कर लिया है तो थोडा बहुत अतिरिक्त तैय्यारी के साथ आप जा सकते हैं, जैसे waterproof bags, अच्छी ग्रिप के शूज, रेनकोट, waterproof ग्लव्स जरुर रख लें।
Dayara Bugyal Trek In Winter
इस मौसम में यहाँ snowfall होता है, इसलिए गरम कपडे रखने अति अवश्यक हैं, और long बूट्स भी जिससे चलते हुए बर्फ अन्दर प्रवेश ना हो।
और अब कुछ जरुरी सुझाव
- हालाकिं दयारा बुग्याल आसान ट्रेकिंग के श्रेणी में आता है, फिर भी आपको अपने शरीर को ट्रेकिंग के लिए तैयार करना ही बुद्दिमानी है। इसके लिए आप जब भी ऐसे किसी ट्रेक के लिए जाए तो कुछ दिनों पहले से ही जॉगिंग, साइकिलिंग और स्विमिंग का अभ्यास करें, जिससे आपका स्टैमिना बड़े।
- अनजान ट्रैकिंग और रास्तों का आईडिया ना होने से ये बेहतर रहता है कि, आप अपने साथ पूरा रूट मैप और कोई अनुभवी ट्रेकर अथवा गाइड ले चलें, जिससे आपका ट्रेकिंग खुशनुमा और आसान बना रहे।
- अकेले जाना अवॉयड करें, 2 या 2 से ज्यादा के ग्रुप में जाए, और इसके साथ ये भी सुनिश्चित करें कि आपने अपने ट्रेकिंग के बारे में अपने किसी परिचित को सूचित किया हो, जिससे किसी अनचाही और आपातकालीन परिस्थिति पर जरुरी मदद मिल सके।
- इस उचाई पर आपको कोई रेस्त्रेरौंट या अन्य खाने पीने का सामन नहीं, क्यूंकि यहां इंसानी आबादी नहीं है। इसलिए ट्रेक्केर्स, राशन व खाध्य सामग्री और ईधन अपने साथ ही ले जाते हैं। आप साथ में रसोइया भी ले जा सकते है, इसके अलावा पैकेज्ड फ़ूड जैसे नूडल्स, स्नैक्स, चॉकलेट्स, कूकीज आदि भी आप साथ ले जा सकते हैं।
सार
उत्तरकाशी जिले में स्थित दयारा बुग्याल, भारत में सबसे खूबसूरत घास के मैदानों में से एक है, और किसी भी प्रकृति प्रेम ट्रैकर को, कभी भी यहां आने का मौका नहीं छोड़ना चाहिए। यहाँ कभी भी बर्फ़बारी हो सकती है, इसलिए ये सुझाव है कि रेन कोट और एक एक्स्ट्रा पाली बैग आप साथ रखे जिसमे में गीले कपडे रखे जा सकें। गर्म कपड़े जो वजन में हल्के हों अपने साथ जरुर रखे।
अगर आपको पहले कभी ट्रैकिंग का अनुभव न रहा हो तो दयारा बुग्याल का ट्रेक आपके लिए सही विकल्प हो सकता है, क्योंकि ये ट्रेक, अन्य कठिन ट्रेक जैसे पिंडारी, रूपकुंड ट्रेक की आदि की तुलना में में आसान है।
साथ ही आप उत्तराखंड के कुमाऊँ क्षेत्र के मुनस्यारी के समीप खलिया टॉप का भी विडियो देख जानकारी पा सकते हैं। ?
अभी के लिए इतना ही, फिर मिलते हैं, नयी जानकारी के साथ, दयारा बुग्याल की जानकारी देता विडियो देखने के लिए यहाँ पर क्लिक करें।
धन्यवाद।
उत्तरापीडिया के अपडेट पाने के लिए फ़ेसबुक पेज से जुड़ें।