आत्मनिर्भर महिला

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मैं भूटान की राजधानी थिंपू से इंडिया बाय रोड लौट रहा था, शाम को 5:00 बजे जयगांव पहुंचा। जयगांव भूटान के बॉर्डर पर स्थित है और भारत का आखिरी शहर है, जहां से आप भूटान जा सकते हैं। भारत की ओर की सीमा का शहर जयगांव, और भूटान की ओर की सीमा का शहर फूंटशोलिंग है। जहां भूटान का हिस्सा आपको साफ सुथरा और व्यवस्थित मिलेगा, वहीं जयगांव में टूटी फूटी सड़कें, गंदा सा अव्यवस्थित हालत है।

जयगांव में मुझे दो लोगों से मिलना था, इसलिए मैं एक होटल में ठहर गया। बैग होटल में रखकर शहर देखने के उद्देश्य से बाहर निकला। शाम को लगभग 6:00 बज गए, सड़कों पर काफी भीड़भाड़ थी। गाड़ियों की हार्न और प्रदूषण अत्याधिक था। मेरा होटल भूटान गेट के ठीक सामने था और मैं होटल से लगभग 1 किलोमीटर पैदल इधर उधर की दुकानें देखता हुआ जा रहा था। लगभग 1 किलोमीटर के बाद भीड भाड थोड़ी कम हो गई थी, मैंने वापस लौटने की सोची, सड़क क्रॉस कर वापस लौटने लगा।

सड़क के किनारे एक छोटा सा कैनोपी लगा हुआ था। सफेद कलर की कैनोपी के ऊपर लिखा हुआ था, गरम समोसा चाट, आलू चाट… इत्यादि इत्यादि। एक सप्ताह भूटान में दाल चावल खाकर गुजारा था। समोसा का बोर्ड देखते ही कदम खुद-ब-खुद उस दिशा में मुड़ गए। नजदीक पहुंचने पर देखा, कैनोपी के भीतर एक 20 – 22 साल की लड़की, गोरी चिट्टी, थोड़ी भारी बदन की, फटाफट आलू के मसाले को मैदे की रोटी में डालकर, त्रिकोण समोसा बना रही है। बीच-बीच में कड़ाही में तली जा रहे समोसों को भी हिला डूला रही है। स्टील के प्लेट में फटाफट समोसा, प्याज, मिर्ची, खट्टी मीठी चटनी मिला रही है, कस्टमर्स को दे रही है। कस्टमर से पैसे भी ले रही है, तीन-चार कस्टमर खड़े हैं, उसके साथ में सिर्फ एक असिस्टेंट लड़की है, जो प्लेटेस धो रही है। एक ही लड़की समोसा तल रही है, कस्टमरस को सर्व कर रही है, पैसे भी ले रही है, चाट बना रही है… कंप्लीट मल्टीटास्किंग

मैं खड़ा होकर उसकी पूरी प्रक्रिया को गौर से देख रहा था। मुझ पर उसकी नजर पड़ी और उसने बांग्ला में पूछा- “दादा, आप चाट लेंगे या समोसा?” यूं तो बांग्ला में समझ लेता हूं, लेकिन बोलने में मुझे दिक्कत होती है। मैंने हिंदी में कहा मैडम मुझे एक समोसा दीजिए। उसने फिर मुझसे हिंदी में पूछा – “आप भूटान से हैं क्या?” मैं बोला – “नहीं मैडम बिहार से”। वह बोली – “एक नहीं दो समोसा खाइए।” मैं बोला – “मैडम अच्छा लगेगा तो दूसरा भी ले लूंगा।” उनका कहना था – “अगर आपको अच्छा नहीं लगे तो आप मुझे पैसे मत देना।” और एक प्लेट में दो समोसा, थोड़ा सा बारीक कटा हुआ प्याज, हरी चटनी, मीठी चटनी और एक तली हुई मिर्च मेरी ओर बड़ाई।

बिल्कुल गरम समोसा, तोड़ने में लगा जैसे उंगली जल जाएगी, अंदर से भाप निकल रही थी, पीले रंग के मसाले की खुशबू हवा में तैर रही थी। मैंने मुंह में एक छोटा टुकड़ा डाला, क्या ही लाजवाब स्वाद था! गर्म होने के कारण मैं धीरे-धीरे समोसा खा रहा था। दो समोसा खाने के बाद मैंने कहा, मैडम मुझे दो समोसा और चाहिए। उसका कहना था – “आपको अच्छा लगा ना, मैंने पहले ही कहा था। आप मेरा समोसा चाट खा कर देखिए।” मैंने कहा- “मैडम ओके”, काबुली चना का बेहतरीन चाट, तीखी मीठी चटनी, समोसा तोड़कर डाली, बारीक कटी हुई प्याज, मिर्च, खीरे और गाजर का सलाद और उसके ऊपर में थोड़ी सेव और अनार दाना। चाट भी लाजवाब थी। अब तक मैंने सोच लिया था कि डिनर नहीं लूंगा। मैंने कहा मैडम एक चाट और चाहिए। वे मुस्कुराई और कहा – “आपको अच्छा लगा, मुझे खुशी हुई।” मैंने कहा – “मैडम आपने रियली बहुत अच्छा बनाया है। यह स्टॉल आप ही चलाते हैं।” उनका कहना था – “नहीं सर, मेरे पिताजी चलाते थे, लगभग साल भर पहले उनका देहांत हो गया। हमारे पास में आमदनी का कोई और जरिया नहीं था, हम दो बहने हैं, दोबारा शुरू कर दिया। स्टॉल साफ करके, नए बोर्ड बनवाए, क्वालिटी सुधारी। मैं खुद ही बाजार से बढ़िया क्वालिटी का आलू, कच्ची घानी की सरसों तेल, अच्छी क्वालिटी के चने और शुद्ध मसाले लाती हूं। मां घर में मसाला तैयार करती है। हम दोनों बहने दिन में कॉलेज जाते हैं, और शाम को 4:00 बजे से रात में 8:00 बजे तक स्टाल लगाते हैं।” मैंने कहा  – “मैडम, आपके यहां तो बहुत अच्छी भीड़ है, आप अच्छी सेल करते हैं।” उनका कहना था – “सर 500 समोसे हम रोज बेच लेते हैं।”

मैंने समोसे का पैसे देकर उनके उज्जवल भविष्य की कामना की। दोनों बहनों ने भी मुझे हाथ जोड़ कर नमस्कार किया। मुझे खुशी हुई उनकी कर्मठता को देखकर। ईश्वर उन्हें सफलता प्रदान करें


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