जागर एक उत्तराखंड मैं गाए जाने वाला एक लोकगीत जिसमें देवताओं का आवाहन किया जाता है, मान्यता है कि जागर में स्वयं साक्षात भगवान पधारते हैं।
पौराणिक काल से चली आ रही यह परंपरा अनेक समस्याओं का समाधान देने में सहायक है, और इन लोकगीतों मैं उत्तराखंड की संस्कृति साफ झलकती है।
आवाहन के लिए वाद्य यंत्रों का प्रयोग किया जाता है। जिनमें ढोल, दामोव, हुड़क,थाली आदि प्रमुख है। ढोल बजाने की ऐसी कला सिर्फ स्थानीय कलाकारों के पास पाई जाती है।
दास (ढोल बजाने वाला तथा आवाहन लगाने वाला व्यक्ति हैं ) ढोल बजाने के साथ ही देवताओं को बुलाने की कला में भी निपुण होता है। आवाहन में देवताओं के साथ प्राचीन उत्तरांचल के राजाओं का भी स्मरण किया जाता है। इसके पश्चात देवी देवताओं का किसी व्यक्ति विशेष पर अवतरण होता है, इसकेे पश्चात उनकी आरती उतार कर आवाहन कराने का कारण बताया जाता है।
सवाल जवाब के सिलसिले के बीच अपने ईष्ट गणों से समाधान तथा आशीर्वाद लिया जाता है। संतुष्टि /सामाधान के पश्चात विशेष विनती द्वारा देवताओं को विदा किया जाता है, तथा उनका धन्यवाद किया जाता है।
मौका खुशी का हो या फिर हालात बुरे हो जागर हमेशा ही एक रास्ता दिखाती है।
देखिये इस की विस्तार से जानकारी देता विडियो ?
उत्तरापीडिया के अपडेट पाने के लिए फ़ेसबुक पेज से जुड़ें।