हिमालय के पहाड़ों में बसा एक बहुत ही खूबसूरत शहर है चमोली। यहां एक तरफ धार्मिक स्थल है, तो दूसरी तरफ हिल्स स्टेशन, झील-झरने और नदियां हैं।
गढ़वाल मंडल का चमोली प्राकृतिक खूबसूरती से भरा है। करीब 3525 वर्ग मील में फैला चमोली अपने आगोश में खूबसूरती का हर आयाम रखे है। चमोली की मुख्य नदी अलकनंदा है। चमोली को उत्तराखंड की शान कहा जाता है।
बद्रीनाथ धाम
चमोली का बद्रीनाथ धाम देश के प्रमुख धार्मिक जगहों में से एक है। बद्रीनाथ धाम भगवान विष्णु को समर्पित है जिसकी स्थापना शंकराचार्य ने की थी। ऐसी मान्यता है कि गंगा अवतरण के बाद 12 धाराओं में धरती पर आई थी, जिसमें से एक अलकनंदा है। भगवान विष्णु ने यहां कई सालों तक तपस्या की। तप के दौरान भारी बर्फबारी होने लगी। भगवान विष्णु को हिमपात से बचाने के लिए माता लक्ष्मी ने बेर के पेड़ का रूप ले लिया। तपस्या के बाद जब भगवान विष्णु को पता चला कि देवी लक्ष्मी ने उनकी रक्षा की है तो उन्होंने कहा कि आज से मेरे साथ देवी लक्ष्मी भी बद्री नाम से पूजी जाएंगी।
हेमकुंड
हेमकुंड साहिब सिखों के प्रसिद्ध धार्मिक स्थलों में से एक है। समुद्र तल से करीब 4632 मीटर ऊंचाई पर बसी ये जगह सात पर्वत श्रृंखलाओं से घिरी है। यहां विशिष्ट आकार-प्रकार का गुरुद्वारा है। ऐसी मान्यता है कि इस जगह पर सिखों के 10वें गुरू गोविंद सिंह ने तपस्या की थी। यहां साल भर बर्फबारी होती है। अक्टूबर से अप्रैल में रास्ता बर्फबारी की वजह से बंद रहता है।
फूलों की घाटी
फूलों की घाटी को पर्यावरण से लगाव रखने वालों के लिए जन्नत कहा जाता है। हिमालय श्रृंखला की यह घाटी फूलों की अलग-अलग प्रजातियों से मौसम के अनुकूल गुलजार रहती हैं। यहां के बारे में भी एक पौराणिक कथा है। कहा जाता है लक्ष्मण की रक्षा के लिए हनुमान यहां संजीवनी लेने आए थे। इस घाटी में फूलों की 521 प्रजातियां हैं। यूनेस्कों ने भी इस घाटी को विश्व धरोहर घोषित किया हुआ है।
विष्णु प्रयाग
विष्णु प्रयाग अलकनंदा और धौली गंगा का संगम स्थल है। ये जगह समुद्र तल से करीब 6,000 फुट की ऊंचाई पर है। विष्णु प्रयाग से जोशीमठ की दूरी करीब 12 किलोमीटर है।
जोशीमठ
जोशीमठ अपनी धार्मिक मान्यता से ज्यादा अपनी खूबसूरती के लिए जाना जाता है। आसपास हरे-भरे मैदान, बर्फ से ढके पहाड़ लोगों को अपनी तरफ आकर्षित करते हैं। जोशीमठ मे नरसिंह भगवान का मंदिर भी है, जिसे देखा जा सकता है। जोशीमठ के रास्ते से ही चोपता-तुंगनाथ जाया जाता है।