जातिवाद एक अभिशाप

जातियां क्या है? ये जातियां क्या किसी को पता भी है? क्या कोई जानता भी है? बस सब इसी में लगे रहते है मैं बड़ा तू छोटो तू नीच मैं उच्च, ​क्या कभी किसी ने सोचा है की ये ऊंच-नीच किसने बनाया है, या फिर हम सिर्फ अपने कुल की प्रतिष्ठा बनाये रखने के लिए इस जातिवाद में उलझ के रह गए है. हम बात करते है की समाज क्या कहेगा? और क्या सोचेगा! अरे आप और हम से ही तो समाज बनता है आप और हम ही तो इसी के निर्माता हैं! क्या आपकी जाति और समाज ही आपके लिए सर्वप्रथम है?

 क्या हम कभी इस देश से अपने दिलों से जातिवाद निकल पाएंगे? ये सभी सवाल हमे खुद से पूछने चाहिए और ये प्रण करना चाहिए की हमे सबको एक दूसरे के कन्धे से कन्धा मिलाकर चलना है और अपने और सभी के जीवन के लिए एक प्रेरणा स्त्रोत बनकर उभारना है!

मैंने कभी बचपन से जात-पात का अनुभव नहीं किया था क्योंकि मेरे पिताजी एक पुलिस अधिकारी रहे है, और पहले वे उत्तरप्रदेश पुलिस मे रहे और विभाजन के पश्चात उत्तराखंड पुलिस का हिस्सा बने हम हमेसा कभी इस शहर तो कभी उस गाँव जैसे-जैसे पिताजी का तबादला होता, हमारा भी बोरिया बिस्तर बन्ध जाता इसी दौरान मेरी परीक्षा के लिए मुझे उत्तराखंड के श्रीनगर जाने का शुभ अवसर प्राप्त हुआ कुछ दिन वँहा की शुद्ध हवाओं में रहने के पश्चात मझे ऐसा लगने लगा की अगर मन की शांति कहीं है तो वो इसी जगह है, फिर मैं और घूमने टिहरी की और चल दिया, पर मैं क्या सुनता हूँ की ​उत्तराखंड के टिहरी जिले में एक २३ वर्षीय दलित की रविवार को अस्पताल मे मृत्यु हो गई जब उसे कथित तौर पर ऊँची जाति के लोगों द्वारा “उनके पास बैठने और शादी में भोजन करने की हिम्मत” के लिए कथित तौर पर पिटाई की गई थी।

 ​इस बारे में कई जगहों पर बातचीत हुई कई लोगों ने शोक भी जताया, कई ने विरोध भी किया ​भले ही सामाजिक समानता के लिए कितने ही प्रयास क्यों न कर ले,हम परन्तु जब तक हमारे समाज में कुछ असमाजिक तत्व और कुछ असमाजिक कुरीतियां समाज में रहेंगी तब तक हमे हमारा अस्तित्व खतरे में लगेगा चाहे वो किसी दल की आर्मी हो या कोई भी दल , ​आखिर हमें इनकी जरुरत क्यों है?​ क्या हम खुद को इतना कमजोर कर चुके है की कुछ राजनैतिक दल हमारे आने वाले कल व हमारी आने वाली पीढ़ी को कभी एक नहीं होने देंगे।

मुझे ख़ुशी है की मैं उत्तराखंड के कुमाऊँ क्षेत्र में रहता हु, जंहा सभी एक दुसरे के साथ बहुत ही प्रेम और आदर से रहते है और एक जुटता का पैगाम देते है,​ आज हर जाति हर समाज में सिर्फ एक ही जाति होने की मांग है वो है भारतीय, और हमारा राज्य उसी की और अग्रसर है, मैं अपने सभी देशवासियों से ये निवेदन करना चाहता हूँ की अपने दिलों से ये जातिवाद निकाल एक जुट होये और एक सशक्त राज्य बनाने में मदद करें।

 जय हिन्द

(नोट): इस आर्टिकल से किसी जाति या समुदाय को ठेस पंहुचाने की कोई धारणा नहीं है!

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5 comments

Navlesh agri August 11, 2020 - 4:35 pm
Great bahut accha likha ha
Gaurav.chandra2018@gmail.com August 12, 2020 - 10:30 am
Niceee
nirmay August 14, 2020 - 5:47 pm
nice thought sir
nirmay August 17, 2020 - 6:25 pm
cast hi na ho to kitna acha hoga....
कुमार August 27, 2020 - 6:29 am
well said
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