निर्धनता

निर्धनता क्या है?

​निर्धनता क्या है?

​ ​जैसा कि भारत दुनिया में सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्थाओं में से एक है, देश में गरीबी घट रही है, विश्व गरीबी घड़ी के अनुसार, हर मिनट में लगभग 44 भारतीय अत्यधिक गरीबी से बच रहे हैं। ब्रुकिंग्स की रिपोर्ट के अनुसार, भारत में 73 मिलियन लोग अत्यधिक गरीबी में रहते हैं, जो अपनी कुल आबादी का 5.5% हिस्सा बनाते हैं। मई 2012 में, विश्व बैंक ने उनकी गरीबी गणना पद्धति और दुनिया भर में गरीबी को मापने के लिए क्रय शक्ति समानता के आधार पर पुनरीक्षण और प्रस्तावित संशोधनों की समीक्षा की। प्रतिशत के लिहाज से यह न्यूनतम 3.6% था। 2020 तक, बहुआयामी गरीबी की घटनाओं में काफी कमी आई है, जो 54.7 प्रतिशत से घटकर 6 प्रतिशत हो गई है।

​निर्धनता एक वैश्विक समस्या है, यद्यपि विकासशील देशों में निर्धनता अधिक गम्भीर समस्या है, लेकिन कई विकसित देशों में भी निर्धनता है।

​निर्धनता क्या है? अगर सरकार की माने तो, ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाले और प्रति माह लगभग 1,640 रुपये से कम कमाने वाले पांच सदस्यों का एक परिवार गरीबी रेखा से नीचे होगा। आयोग के नवीनतम अनुमानों के अनुसार, शहरों में 28.65 रुपये और ग्रामीण क्षेत्रों में 22.42 रुपये से अधिक की दैनिक खपत वाले लोग गरीब नहीं हैं, ​सरकार के द्वारा निर्धनता को नहीं बल्कि निर्धन को ही समाप्त करने का एक कार्यक्रम चल रहा है, क्योंकि यदि हमारे देश से गरीबी कम होती तो डॉलर प्रति भारतीय रुपये और मजबूत न होता और न ही हमें विदेशों से पैसें लेने पड़ते। हमारी नामी कम्पनीज को बंद न होना पड़ता, निर्धनता (गरीबी) महज़ सरकारी दस्तावेजों से हटा देने से नहीं जाती, बल्कि गरीबी को मिटाने के लिए जो माप दण्ड तैयार किये गए हैं उनमें बदलाव करने की आवश्यकता है​।

स्वतंत्रता के 71 वर्ष पूरे होने पर भी हमारे देश के अधिकांश भाग में निर्धनता का वास है। देश के स्वतंत्र होने के बाद से हमें जिस दैत्य का सामना करना पड़ रहा है, वह है निर्धनता । हमारे देश में कर्णधारों ने इसी को नष्ट करने के लिए ‘आराम हराम है’ का नारा लगाया । स्वर्गीय “श्रीमती इंदिरा गांधी” ने निर्धनता मिटाने के लिए ‘गरीबी हटाओ’ केआह्वान किया । उन्होंने इसके लिए बैको का राष्ट्रीयकरण तथा पूर्व राजाओं के प्रिवीपर्स तक बन्द किए। उन्होंने इनके अतिरिक्त निर्धनता को समाप्त करने के लिए और भी अनेक कार्यक्रम अपनाए जैसे सम्पत्ति पर सीमा – निर्धारण, रोजगार के नए अवसर, बीमा कम्पनियों का राष्ट्रीयकरण करना आदि ।

 

​“देश में बढ़ती निर्धनता के अनेक कारण हैं –

पहला कारण है देश में सम्पत्ति का असमान वितरण, जिसके कारण एक और धनी वर्ग धनी होता जा रहा है, तथा निर्धन नित्य प्रति निर्धन होता जा रहा है । धनवान तो महलों में सुख भोग रहे है और दूसरी और निर्धनों के बच्चे रूखे – सूखे टुकडो को तरस रहे हैं ।

दूसरा कारण देश में जनसंख्या की असाधारण वृद्धि ।

तीसरा कारण लोगों में राष्ट्रीय भावना की कमी का होना।

परिणामतः – आए दिन राष्ट्रीय सम्पत्ति का विनाश जिसके पुन निर्माण में धन का अपव्यय। जिसके कारण निर्धनों के हिस्से का पैसा व्यर्थ हो जाता है ।

चौथा कारण है देश में व्याप्त भ्रष्टाचार । बड़े-बड़े भ्रष्टाचारी व्यापारी विदेशों में अपने बैंक खाते खोलकर विदेशियों का पेट भर रहे हैं तथा अपने देश को निर्धन बना रहे हैं ।

पाँचवां कारण है देश में कृषि व उद्योगों का उत्पादन कम होना । देश के कुटीर उद्योग प्रायः नष्ट से हो रहे हैं, जनसंख्या में वृद्धि का होना भी विशेष रूप से निर्धनता का कारण है ।”

​आज इस महंगाई के दौर में आपकी राय में प्रति दिन के आधार में शुल्क क्या होना चाहिए?

​क्या आज भी वही पुरानी नीति के आधार पर जिसमें यदि किसी परिवार में 5 व्यक्ति होने पर यदि उसकी मासिक 1640 ₹ से अधिक है, तो क्या वो परिवार गरीब नहीं है, सरकार अपनी गरीबी रेखा की गाइड लाइन में परिवर्तन करेगी ?

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1 comment

Chandar shekhar August 30, 2020 - 10:08 am
Good work Kumar ji
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