जड़ी-बूटियों के उत्पादन द्वारा बड़ा सकते हैं अपनी आय

कृषकों की आमदनी बढ़ाने हेतु अब उत्तराखंड चाय बोर्ड करेगा सहायता…

उत्तराखंड चाय विकास बोर्ड ने अब चाय की खेती के साथ साथ ही कृषकों की आमदनी बढ़ाने हेतु उन्हें जड़ी-बूटी की खेती करने के लिए भी प्रोत्साहित करने की भी योजना बनाई है। किसानों के अलग अलग छोटे छोटे समूह बनाकर उन्हें होम स्टे योजना से भी जोड़ा जाएगा। इस कार्य में चाय बोर्ड रामगढ़, पदमपुरी, कौसानी, जागेश्वर आदि स्थानों के किसानों को सहयोग करेंगे।

बोर्ड के वित्त अधिकारी अनिल खोलिया ने बताया कि बीती 21 जनवरी को प्रदेश की राजधानी देहरादून में हुई बैठक में अपर मुख्य सचिव मनीषा पवार ने बोर्ड के कार्यों की समीक्षा की थी। बोर्ड के द्वारा, चाय की खेती के विकास के लिए राज्य में तीन नए मॉडल पेश किए गए। जिनमें किसानों की भूमि तीस वर्ष के लिए लीज पर लेकर चाय बागान विकसित करने, काश्तकारों की ओर से स्वयं चाय बागान स्थापित करने के लिए राज्य और केंद्र सरकार से आर्थिक सहयोग और बोर्ड से सुविधाएं देने का प्रस्ताव था।

इसके अतिरिक्त पुराने और नए चाय बागानों के बीच में जड़ी-बूटियाँ जैसे दाल चीनी, काली मिर्च, बड़ी ईलाइची, लैमन ग्रास आदि जैसे जैविक उत्पादों की खेती भी करवाकर किसानों की आय में बढ़ोतरी के प्रयास किए जाएंगे। उत्तराखंड-टी की पैकिंग और मार्केटिंग के लिए मार्केटिंग सलाहकार को छह माह के अनुबंध पर लिया जाएगा, जिससे बोर्ड की भविष्य की विपणन नीति तैयार की जा सके। बोर्ड बाजार की मांग के अनुसार फ्लेवर्ड टी तुलसी, अदरक, लैमन ग्रास तैयार कर अच्छे टी-टेस्टिंग संस्थान से परीक्षण कराएगा, ताकि उत्तराखंड-टी को उसकी गुणवत्ता के तौर पर हेल्थ प्रोडेक्ट-टी के रूप में बाजार में उपलब्ध कराया जा सके। उन्होंने बताया कि बोर्ड चाय उत्पादक काश्तकारों के हितों को देखते हुए नई नीति भी तैयार कर रहा है, जिसमें काश्तकारों के सुझाव भी आमंत्रित हैं।

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