ब्लैक वाइट और यलो फंगस के बाद अब आया ग्रीन फंगस

Green fungus

कोरोनावायरस की दूसरी लहर के दौरान कोरोनावायरस के मरीजों में इलाज के दौरान अभी तक ब्लैक वाइट और यलो फंगस के मामले सामने आए हैं। लेकिन अब एक और नए टाइप का फंगस सामने आया है। इसे ग्रीन फंगस नाम दिया गया है। इससे पहले कई राज्यों ने ब्लैक फंगस को महामारी के रूप में घोषित कर दिया है।

मिली जानकारी के अनुसार स्वास्थ्य विभाग के एक अधिकारी ने बताया कि ग्रीन फंगस का पहला मामला इंदौर के एक अस्पताल में इलाज करा रहे एक मरीज में पाया गया है, जो कि लगभग डेढ़ महीने से अपना इलाज करा रहे हैं। फेफड़ों की जांच से पता चला कि उनके लंग में ग्रीन कलर का फंगस है। मरीज लगभग डेढ़ महीने से अपना इलाज करा रहे थे, लेकिन उनके फेफड़ों का लगभग 90% इंवॉल्वमेंट खत्म नहीं हो रहा था, जबकि उनका हर मुमकिन इलाज किया गया।

एक्सपोर्ट के अनुसार,एस्परजिलस फंगस को ही आम बोलचाल की भाषा में ग्रीन फंगस कहा जाता है। एस्परजिलस के कई प्रकार होते हैं, यह काली ,भूरे, नीली-हरी और पीली-हरी रंग की देखी जाती है। यह फंगस फेफड़ों को काफी तेजी से संक्रमित करता है। ग्रीन फंगस के कारण फेफड़ों में मवाद भर जाता है जो इस बीमारी के जोखिम को और बढ़ा देता है।

मिली जानकारी के अनुसार, अलग-अलग तरह के एस्परजिलस में अलग लक्षण पाए जाते हैं। यूएस सेंटर्स फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रीवेंशन के अनुसार सामान्य लक्षण अस्थमा जैसे होते है, खांसी, बुखार, सिर दर्द, नाक बहना, सांस लेने में दिक्कत, वजन घटना, नाक से खून आना, खांसी में खून आना कमजोरी और थकावट इसके लक्षण है।

फंगल इंफेक्शन से बचाव का सबसे बेहतर उपाय है कि अपने आसपास स्वच्छता और शारीरिक स्वच्छता को बनाए रखें। स्वच्छता रखने से ही फंगल इंफेक्शन को रोका जा सकता है। N95 मस्क लगाएं, दूषित संग्रहित पानी से बचें और धूल वाले स्थान से भी बचें, हाथों और चेहरे को साबुन पानी से समय-समय पर धोते रहें।

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