अपड़ु मुलुक अपड़ी भाषा (हिंदी – गढ़वाली कविता)
आजकल गांव से शहरों में भाग रहे हैं लोग,और सब को लगता है कि…
आजकल गांव से शहरों में भाग रहे हैं लोग,और सब को लगता है कि…
भगत सिंह का बलिदान, लोकतंत्र के वर्तमान स्वरुप पे हो गया कुर्बान, युवा पर…
हां मैं नहीं कर सकता गौर, तुम्हारी कानों की नई इयररिंग्स को। हां मै…
बस की किनारे वाली सीट की खिड़की से, बाहर झांकती वो लड़की। पीछे छुटते…
दो कमरों का ही सही लेकिन, खुद का मकान चाहिए। भेड़ चाल चलती दुनिया…