ओमकारेश्वर मंदिर उखीमठ : भगवान केदारनाथ जी का शीतकालीन प्रवास

शीतकाल में लगभग ६ माह के लिए, उत्तराखंड में प्रसिद्ध मंदिर – केदारनाथ जी के कपाट बंद हो जाते हैं, और तब जिस जगह बाबा केदारनाथ की आराधना कहाँ  होती हैं, इस लेख द्वारा जानेंगे।  

बेहद खुबसूरत वादियों से घिरी जगह है उखीमठ, प्रदेश के राजधानी देहरादून से लगभग 225 किलोमीटर की दुरी पर स्थित एक छोटा सा शांत और सुरम्य स्थल है।  

यहाँ छोटी सी बाजार है, जहां दैनिक उपयोग के सामान उपलब्ध कराती कुछ दुकानें, और ठहरने के लिए हैं कुछ होटल गेस्ट हाउस आदि उपलब्ध हैं, ओंकारेश्वर मंदिर के निकट छोटा सा पार्किंग स्पेस हैं, जहाँ से मंदिर की दूरी कुछ कदम है।

 ओमकेरेश्वर मंदिर, उखीमठ समुद्रतल से लगभग 1311 मीटर (4300 फ़ुट) की ऊंचाई पर उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग ज़िले में स्थित है।

यही स्थित विशेष धार्मिक स्थल ओम्कारेश्वर मंदिर में केदारनाथ मंदिर के शीतकाल  में लगभग 6 माह के लिए  कपाट बंद होने के बाद भगवन शिव को यहाँ पूजा जाता है। भगवान केदारनाथ की शीतकालीन पूजा और पूरे साल भगवान ओंकारेश्वर की पूजा यहीं की जाती है

यह मंदिर, देश के सबसे प्राचीन मंदिरों में से एक है, मंदिर की बाहरी द्वार का रंगों का texture बदरीधाम मंदिर से मिलती है। 

ओंकारेश्वर मंदिर में के मुख्य द्वार से अंदर प्रवेश कर मुख्य मंदिर और उसके आस पास अन्य मंदिरों की समूहों को देखा जा सकता है।   

मान्यता है कि – यह मंदिर १२ वी शताब्दी का  है। कहा जाता है कि केशव मंदिर में जो समुख शिवलिं है, वह कत्यूरी शासन के समय का है। मंदिर का वर्तमान भवन अधिक प्राचीन नहीं है। कहा जाता है कि उखीमठ स्थान का मूल नाम ‘उषा’ या ‘उषा मठ’ था, जो अपभ्रंश होकर उखीमठ हो गया

यह स्थान पंच केदार का भी मुख्य पड़ाव है, यहाँ पर भगवान शंकर ने राजा मान्धाता की तपस्या से प्रसन्न होकर ओंकार रूप में दर्शन दिये थे तब ये मंदिर ओंकारेश्वर मंदिर कहलाया

यहाँ से जुडी एक अन्य पौराणिक कथा के अनुसार बाणासुर की बेटी – उषा  और भगवान कृष्ण के पौत्र –  अनिरुद्ध की शादी यहीं हुई थी। उषा के नाम से इस जगह का नाम उखीमठ पड़ा। 

इसी तरह जब द्वितीय केदार भगवान मद्महेश्वर के शीतकाल में कपाट बंद हो जाते हैं, तो ओंकारेश्वर मंदिर में उनकी पूजा होती है। अक्टूबर आखिरी से लेकर अप्रैल-मई तक भगवान केदारनाथ और मद्महेश्वर की पूजा यहां होती है। 

इस वर्ष (2020 में) केदारनाथ धाम जी के कपाट सोमवार, 16 नवम्बर 2020 को (भैया दूज के दिन) बंद होंगे और उनकी डोली ओंकारेश्वर मंदिर, उखीमठ लायी जाएगी। Kedarnath Dham will be closed Monday, 16 Nov 2020 – Monday (Evening of Bhaiyya Dooj).

उखीमठ कैसे पहुचें!

उखीमठ रुद्रप्रयाग से 41 किलोमीटर की दूरी पर है और गुप्तकाशी से 13 किलोमीटर दूरी पर हैउखीमठ सड़क मार्ग मार्ग से अच्छी  तरह से जुड़ा है। बद्रीनाथ से उखीमठ की दुरी चोपता, गोपेश्वर, पीपलकोटी, जोशीमठ, गोविन्दघाट, पांडूकेश्वर होते हुए  होते हुए  लगभग 170 किलोमीटर है

केदारनाथ से समीप सोनप्रयाग से लगभग 45 किलोमीटर

कर्णप्रयाग से रुद्रप्रयाग होते हुए 75 किलोमीटर

देहरादून से ऋषिकेश, देवप्रयाग, श्रीनगर – रुद्रप्रयाग – अगस्त्यमुनि होते हुए 225 किलोमीटर

दिल्ली  से रूडकी – हरिद्वार होते हुए लगभग 420 किलोमीटर

काठगोदाम से रानीखेत- चौखुटिया – कर्णप्रयाग होते हुए लगभग 281 किलोमीटर।

बाय एयर

उखीमठ से निकटतम हवाई अड्डा जोली ग्रांट एयर पोर्ट देहरादून (अनुमानित 200 किमी) है।

ट्रेन द्वारा

उखीमठ के निकटतम रेलवे स्टेशन ऋषिकेश 180 किमी की दूरी पर है।

यहाँ से एक मार्ग उन्नियाना होकर अन्य केदार मदमहेश्वर भी जाता है लेकिन उसके लिये पहले बीस किमी सड़क मार्ग है जिसके बाद 40 किमी आने-जाने के मिलाकर पद यात्रा करनी पड़ती है।


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