अपनी बोली बात निभाएँ, रिश्ते स्वयं ही बन जाएंगे…

साल 2007
मैं 4 दिन के लिए नेपाल की राजधानी काठमांडू में था। मैं काठमांडू मार्केट का सर्वे करना चाहता था। काठमांडू हिमालय की तराई में बसा हुआ एक खूबसूरत शहर है। लगभग 10 लाख की आबादी वाला यह शहर, किसी भी आम भारतीय शहर की तरह ही लगता है, और आपको ऐसा महसूस नहीं होगा कि आप हिंदुस्तान के बाहर हैं।  काठमांडू प्रसिद्ध है, पशुपतिनाथ मंदिर, स्वयंभूनाथ नाथ मंदिर और बौद्ध नाथ मंदिर के लिए। अच्छी खासी संख्या में, यहाँ यूरोपियन टूरिस्ट भी आते हैं, और ट्रैकर्स का तो यह स्वर्ग है।
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काठमांडू में मेरे कंपनी के एक डीलर हुआ करते थे, मैं उनसे मिलने भी पहुंचा। मारवाड़ी सज्जन थे, उम्र लगभग मेरे आस-पास ही थी, लेकिन 3 – 4 जेनरेशन से नेपाल में रह रहे थे। उन्होंने सम्मान के साथ मुझे बिठाया, हालचाल जानने के बाद, मैं थोड़ा पारिवारिक पृष्ठभूमि के बारे में भी बातें करता हूं। पता चला सज्जन दो भाई हैं और पिताजी ऑलमोस्ट रिटायर हो चुके हैं। दोनों भाई बिजनेस देखते हैं। लगभग 200 रिटेल आउटलेट को मैटेरियल सप्लाई करते हैं, पूरे नेपाल में। मेरा काम बहुत छोटा सा था। मैंने उनसे मेरे प्रोडक्ट्स के कम सेल्स के बारे में पूछा। उनका कहना था कि आपकी कंपनी जो प्राइस में प्रोडक्ट सप्लाई करती है, उसके बाद मुझे कस्टम ड्यूटी, फ्रेट, इंश्योरेंस, लोकल टैक्स इत्यादि देने के बाद, मैं मार्केट में competitive प्राइस में बेच नहीं सकता हूं, क्योंकि जिसको भी जरूरत होती है वह इंडिया जाकर ले आता है। वह थैले में सामान डालकर ले आता है, उसे कोई कस्टम ड्यूटी भी देने की जरूरत नहीं पड़ती है। बॉर्डर टाउन में मैटेरियल्स स्मगलिंग से आ जाता है। आपकी प्राइसिंग पर मैं बहुत ज्यादा बिजनेस नहीं कर सकता हूँ।
दोपहर हो चुकी थी, खाना खिलाने के लिए वे एक रेस्टोरेंट में लेकर गए। बातचीत के दौरान कहा, मुझे 20 लाख रुपए का ऑर्डर दे सकते हैं, यदि उन्हें एक्जिस्टिंग प्राइस पर कम से कम 10 परसेंट डिस्काउंट दिया जाए तो। मैंने कहा सर यह मेरे कंट्रोल में नहीं है और मैं आपको कोई भी कमिटमेंट नहीं कर रहा हूं। लेकिन यह वचन दे रहा हूं  कि मैं टॉप मैनेजमेंट को आपकी केस को प्रॉपर तरीके से प्रेजेंट करूंगा, और जो भी डिसीजन होगा मैं आपको कन्वे करूंगा। उन्होंने मुझे बहुत कन्वेंस करने की कोशिश की एडिशनल डिस्काउंट के लिए लेकिन मैंने हाथ जोड़ दिये।

काठमांडू से पोखरा और पोखरा से वापस इंडिया आ गया। पूरी सर्वे की डिटेलड रिपोर्ट बनाकर मैंने अपने रीजनल मैनेजर, डिविजनल हेड और वाइस प्रेसिडेंट को भेज दिया। डिविजनल हेड का फोन आया, और उन्होंने लगभग आधा घंटा मुझसे बात भी की। एडिशनल डिस्काउंट का डिसीजन उन्होंने एक्सपोर्ट हेड के ऊपर छोड़ा। एक्सपोर्ट हेड से बात हुई, उन्होंने एडिशनल डिस्काउंट के लिए साफ साफ मना कर दिया। खैर मैंने काठमांडू में सज्जन को फोन करके वस्तुस्थिति बता दी और मेल भी कर दिया कि हम एडिशनल डिस्काउंट आपको ऑफर नहीं कर सकते हैं, इसके लिए हम क्षमा प्रार्थी हैं।
2008 में मैं अफ्रीका चला गया, लेकिन उन सज्जन के साथ टच में था। 2017 में मैंने खुद का बिजनेस शुरू किया, इस दौरान में होली, दिवाली, न्यू ईयर की मैसेज आते जाते रहते थे, और कभी कभार फोन पर भी बात हो जाती थी। मैंने उन्हें इनफॉर्म किया अपने बिजनेस के बारे में, सिर्फ 2 दिन के अंदर नेपाल से पहला आर्डर उनका था और हम तबसे बिजनेस कर रहे हैं।

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