Gorkhnath गोरखनाथ, चंपावत, उत्तराखंड

उत्‍तर प्रदेश में गोरखपुर में स्थित नाथ संप्रदाय का गोरखनाथ मंदिर विश्‍व प्रसिद्ध है। इसी संप्रदाय एक गोरक्षपीठ उत्‍तराखंड में चम्पावत जिले में चम्पावत-तामली मोटर मार्ग पर जिला मुख्यालय से 40 किमी दूर यह स्थान ऊंची पर्वत चोटी पर स्थापित है।

मंदिर से पूर्व मार्ग में अष्ट भैरवों की स्थापना है। जिन्हें क्षेत्रीय लोग रक्षक के रूप में वर्षों से पूजते आए हैं। मंदिर का मार्ग घने वन से घिरा है, जिसमे अनेकों प्रजाति के वृक्ष और औषधीय पौधे है।

गुरु गोरखनाथ जी पर नेपाल के लोगों की भी गहन आस्था हैं। बाबा के नाम पर ही नेपाल के गोरखाओं ने नाम पाया। नेपाल में एक जिला गोरखा नाम का है जिसका  नाम भी गुरु गोरखनाथ के नाम से है।

माना जाता है कि गुरु गोरखनाथ में गोरखा जिला में एक गुफा में ध्यान किया था  जहाँ गोरखनाथ का पग चिन्ह है और उनकी एक मूर्ति भी है। दुनिया में अपनी बहादुरी के लिए प्रसिद्ध नेपाल की गोरखा रेजिमेंट भी गुरु गोरक्षनाथ के नाम पर गठित हुई थी। नेपाल का राज परिवार  गुरु गोरखनाथ को अपना राजगुरु मानता है।

कहा जाता है  कि सतयुग में गोरख पंथियों ने नेपाल के रास्ते आकर इस स्थान पर धूनी रमाई थी। पहले धूनी का मूल स्थान पर्वत चोटी से नीचे था। लेकिन बाद में उसे वर्तमान स्थान पर लाया गया। जहां आज भी अनवरत धूनी प्रज्वलित है।

चंपावत स्थित गोरखनाथ मंदिर में जलती अखंड धूनी की राख को प्रसाद के रूप में श्रद्धालुओं में बांटा जाता है। मंदिर की अखंड धूनी में जलाई जाने वाली बांज की लकड़ियां पहले धोई जाती हैं। धाम में नाथ संप्रदाय के साधुओं की आवाजाही रहती है। सुबह शाम मठ में पूजा होती है।

मंदिर में करीब 400 वर्ष पूर्व चंद राजाओं ने यहां यह बड़ा घन्टा चढ़ाया था। गुरु गोरखनाथ धाम को गोरक्षक के रुप में पूजे जाते है, क्षेत्र की कोई भी उपज हो या दूध, सबसे पहले धाम में चढ़ाया जाता है।

दूर – दूर से यहाँ श्रदालु दर्शन को आते है, हालाकिं मंदिर में आने वाले ज्यादातर श्रदालू सुबह अथवा दोपहर में मंदिर पंहुच कर आसानी से लौट जाते है, साथ ही यहाँ भी रुकने के लिए 3-4 कमरे/ हाल है, फर्श में बिछाने के लिए गद्दे और ओढने के लिए कम्बल मिल जाते है।

आगंतुकों को किचन के साथ भोजन बनाने के लिए बर्तन उपलब्ध हो जाते है लकड़ी के चूल्हे में भोजन बनाने की व्यवस्था है। कोई भोजन सामग्री न लाया हो तो वो भी माठ से प्राप्त कर सकता है।

हिन्दू-धर्म, दर्शन, अध्यात्म और साधना के अन्तर्गत विभिन्न सम्प्रदायों में नाथ सम्प्रदाय का प्रमुख स्थान है। हमारे देश के सभी कोनों के साथ नेपाल में भी नाथसम्प्रदाय के सिद्धों या योगियों ने अपनी चरण रज से पवित्र किया हो।

देश के कोने-कोने में स्थित नाथ सम्प्रदाय के तीर्थ-स्थल, मन्दिर, मठ, आश्रम और  गुफा आदि इस बात के प्रत्यक्ष प्रमाण हैं कि नाथ सम्प्रदाय भारतवर्ष का एक अत्यन्त गौरवशाली, महलों से कुटियों तक फैला सम्पूर्ण मानवता के कल्याण का मार्ग प्रशस्त करने वाला लोकप्रिय प्रमुख पंथ रहा है।

नाथ सम्प्रदाय की उत्पत्ति आदिनाथ भगवान शिव द्वारा मानी जाती है। आदिनाथ शिव से तत्वज्ञान श्री मत्स्येन्द्रनाथ ने प्राप्त किया था, उसे ही शिष्य के रूप में शिवावतार बाबा गोरक्षनाथ ने ग्रहण किया तथा नाथपंथ और साधना के प्रतिष्ठापक परमाचार्य के रूप में सिद्दी और प्रसिद्धि प्राप्त की।

गोरखनाथ मंदिर, चंपावत और आस पास की जगह के बारे में जानने के लिए वीडियो देखें।

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