उत्तराखंड में गोरखा शासन का इतिहास

उत्तराखंड में गोरखा शासन की शुरुआत 17 से 90 ईसवी से हुई गोरखा शासन बहुत ही क्रूर अत्याचार युक्त माना जाता है गोरखा मूलत: नेपाल के थे व नेपाल सरकार द्वारा नियुक्त किया गया गोरखा सूबेदार उत्तराखंड में शासन करते थे।

गोरखा नेपाली मूल के थे जिन्हें गोरखा के नाम से जाना जाता है।यह अत्यंत लड़ाकू थे वह इनकी सत्ता सैनिक शासन पर आधारित थी।नेपाल में 24 रियासत थी जिन्हें 24 के नाम से जाना जाता है।नेपाल के प्रथम राजा पृथ्वी नारायण शाह (1743 से लेकर के 1775)पृथ्वी पति नारायण शाह के बाद प्रताप सिंह ( 1775 से लेकर 78) राजा बना।

कुमायूं में गोरखा शासन( 1790 से 1815)

  1. गोरखाओ ने कुमायूं पर 1790 ईसवी में आक्रमण किया।इस समय गोरखा राजा राण बहादुर शाह (स्वामी निर्गुण आनंद) थे।
  2. गुड़गांव शासन का नेतृत्व इस समय अमर सिंह थापा, जगजीत पांडे, सुर सिंह थापा आदि सैनिकों ने किया।इस समय कुमायूं में चंद्र राजा महेंद्र चंद्र का शासन था।
  3. 1790 ईसवी में हवालबाग मैदान में कुमार युवा गोरखा सेना आमने-सामने थी इस युद्ध में कुमायूं शासन महेंद्र सहदं मारा गया।

इस प्रकार 1790 इसी में कुमायूं पर गोरखा शासन स्थापित हो गया।

कुमायूं में 1790-1815 तक के गोरखा सूबेदार

  1. उत्तराखंड पर नेपाल के राजा के प्रतिनिधि शासन करते थे जिन्हें सूबेदार या सुब्बा कहते  थे।
  2. कुमायूं का प्रथम सूबेदार जोगा मल शाह (1791-92)
  3. कुमायूं का द्वितीय सूबेदार काजी नरसिंह थे।
  4. हुमायूंका तृतीय सूबेदार अजब सिंह थापा,रूद्र वीर सिंह ,धौकल सिंह, गोरेश्वर ऋतुराज।
  5. बमशाह गढ़वाल में कुमार का अंतिम नेपाली सुब्बा था।

गढ़वाल पर गोरखा शासन (1804-1815)

  1. 1791 ईसवी मैं गढ़वाल पर प्रथम गोरखा युद्ध (लंगूर गढ़ युद्ध) हुआ।
  2. 1803 ईस्वी में गढ़वाल पर द्वितीय गोरखा युद्ध बाणहट युद्ध (उत्तरकाशी) में हुआ।
  3. गढ़वाल व गोरखा सेना के बीच तीसरा युद्ध जमुआ (चंबा) में हुआ।
  4. 14 मई 1804 ईसवी को खुड़बुडा नामक मैदान (देहरादून) में गोरखा सेना गढ़वाल सेना फिर एक बार आमने सामने थी। इस युद्ध में गढ़वाल शासक प्रद्युमन शावा वीरगति को प्राप्त हो गए और इस युद्ध के पश्चात संपूर्ण गढ़वाल व कुमाऊं पर गोरखा शासन स्थापित हो गया।
  5. गोरखाओ के गढ़वाल पर अधिकार के समय नेपाल का राजा गीवार्ण विक्रम शाह था।

 

Related posts

Black Friday ब्लैक फ़्राइडे कहाँ से और कैसे शुरू हुआ!

Binsar: Unveiling the Himalayan Splendor in Uttarakhand’s Hidden Gem

Uttarakhand: Discover 50 Captivating Reasons to Visit