आखिर क्यों है, ये मंदिर इतना चर्चा में…..

उत्तराखंड के पिथौरागढ़ जिले से करीब 10 किलोमीटर की दुरी पर कुसौली है और वंहा स्थित है माँ कामख्या देवी का निवास स्थान जहाँ माता का मंदिर है यह स्थान चारों ओर से पहाड़ों से घिरा हुआ है और यहाँ आने वाले पर्यटकों को बहुत भाता है। जिस कारण यहाँ हर साल कई हज़ारों की संख्या में सैलानी मंदिर में आशिर्वाद लेने आते हैं और अपनी मुरादों को पूरा करते हैं कामख्या देवी की स्थापना सन 1972 में हुई, 1972 में यहाँ छः मुखी मूर्ति की स्थापना उन्होंने राजस्थान से लाकर की थी। उस समय एक छोटे से मंदिर के रूप में इसकी स्थापना हुई थी परन्तु अब गांव वालों के अथक प्रयास के बाद यहाँ एक बहुत विशाल और मनभावन मंदिर का निर्माण कर उसी मंदिर को बड़ा बना दिया गया है, यह मंदिर नारित्व का प्रतिक है और पुरे उत्तराखंड में यह एक ही मंदिर है, जो की पिथौरागढ़ जिले स्थित है।

कामख्या देवी मनचाहा फल देने वाली देवी है और माना जाता है की जो भी व्यक्ति यहाँ सच्चे मन से मन्नत लेकर आता है उसकी मनोकामना अवश्ये पूर्ण होती है और देवी मनचाहा फल देती है, मंदिर में शिव, बटुकदेव, भैरव, हनुमान और लक्ष्मीनारायण की भी मूर्तियां हैं। इस मंदिर की व्यवस्था वर्तमान में भी शर्मा परिवार ही देखता है, इसकी स्थापना शर्मा परिवार के “मदन मोहन शर्मा” के प्रयासों से हुई थी। इस मंदिर के निर्माण कार्य में 69 माउंटेन ब्रिगेड ने भी अपना योगदान दिया है।
नवरात्रियों के दिनों इस मंदिर की रौनक देखने लायक होती है, यहाँ नवरात्रि के दिनों दस दिनों तक अखण्ड ज्योति जलाने के साथ अष्टोतर पूजा भी की जाती है । यहां प्रत्येक नवरात्रि में भोग लगाया जाता है, नवरात्रि के अतिरिक्त यहां मकर संक्रान्ति, शिवरात्रि, जन्माष्टमी में भी विशेष पूजा अर्चना की जाती है, मंदिर में इन दिनों भजन और कीर्तनों का भी आयोजन होता है। देवी कामख्या का मंदिर सिर्फ धार्मिक स्थल के रूप में ही नहीं बल्कि शहर के बहार से आने वाले सैलानियों के लिए भी यह मंदिर और यहाँ की सुंदर वादियां पर्यटकों का मन मोह रही हैं ।

मंदिर निर्माण में इनकी रही महत्वपूर्ण भूमिका –
01- मदन मोहन शर्मा (मंदिर निर्माण)
02- कर्नल एस0 एस0 शेखावत (मुख्य छत्री निर्माण)
03- डी एल साह (आर्किटेक्ट)
04- समस्त ग्रामवासी

कैसे पहुँचे-
पिथौरागढ़ झूलाघाट मार्ग पर स्थित सैनिक छावनी के ठीक ऊपर पहाड़ी पर स्थापित है
निकटतम रेलवे स्टेशन काठगोदाम और टनकपुर रेलवे स्टेशन जहाँ से आपको बस और टैक्सी आसानी से मिल जाती हैं ।
पिथौरागढ़ –
निकटतम हवाईअड्डा नैनीसैनी पिथौरागढ़ से करीब 5 किलोमीटर की दुरी पर है।

Related posts

Black Friday ब्लैक फ़्राइडे कहाँ से और कैसे शुरू हुआ!

Binsar: Unveiling the Himalayan Splendor in Uttarakhand’s Hidden Gem

Uttarakhand: Discover 50 Captivating Reasons to Visit