साइबर क्राइम : हर चौथे घंटे एक व्यक्ति हो रहा शिकार

सूचना और सुविधा के इस दौर में जहां तकनीक ने सभी को सुविधा, आराम और कम समय में अधिकतर सेवायें घर बैठे बैठे उपलब्ध कराईं हैं, वहीं इसका एक दूसरा पहलू भी है और जो इस दूसरे पहलू से अंजान हैं उन्हे इसका खामियाजा भी उठाना पड़ सकता है, साथ में जाने कैसे इस से बचा जा सकता है। पढ़िये पूरी जानकारी…

साइबर क्राइम : देहरादून में तीन साल में कई गुना बढ़े मामले

उत्तराखंड की राजधानी देहरादून में हर चौथे घंटे एक व्यक्ति की गाढ़ी कमाई साइबर ठगों के खाते में जा रही है। साइबर अपराध की रफ्तार इतनी तीव्र है कि मामले तीन सालों में तीन गुने से ज्यादा बढ़ चुके हैं। पिछले वर्ष करीब 2200 व्यक्तियों को साइबर ठगों ने अपना शिकार बनाया था। कुछ मामलों में तो लोगों को तुरंत राहत मिल जाती है, परंतु ढेरों केस अदालतों में चल रहे हैं।

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राजधानी देहरादून में बीते एक दशक में संगठित अपराध का ग्राफ गिर रहा है। चोरी, लूट, डकैती, हत्या जैसे मामलों में ठीक ठाक गिरावट दर्ज की गई है। पर, धीरे-धीरे साइबर अपराध की जड़ें गहरी होती जा रही हैं। पहले ऑनलाइन लॉटरी, फिर एटीएफ फ्रॉड, ओटीपी क्राइम और अब सोशल मीडिया के माध्यम से साइबर ठग लोगों के खातों में सेंध लगा रहे हैं।

पुलिस के आंकड़ों पर नजर डालें तो वर्ष 2018 से 2020 तक राजधानी देहारादून में साइबर अपराध लगभग 33% की दर से बढ़ा है। पुलिस के बताए अनुसार कुछ मामलों में लोगों की रकम वापस करा दी जाती है, लेकिन, कुछ मामलों में मुकदमा दर्ज कर लिया जाता है।

हालांकि, दर्ज मुकदमों की संख्या आने वाली शिकायतों के सापेक्ष नगण्य हैं। वर्ष 2020 में विभिन्न स्तरों पर लगभग 2200 शिकायतें दर्ज की गयी थी। इस हिसाब से हर चौथे घंटे साइबर ठग एक व्यक्ति को शिकार बना रहे हैं, परंतु जिले में साइबर अपराध की श्रेणी में कुल 61 मुकदमे दर्ज किए गए।

साइबर सेल के पास आईं शिकायतें

   वर्ष 2018: 736
   वर्ष 2019: -1308
   वर्ष 2020: 2119
   वर्ष 2021: 182 (अब तक)

दर्ज मुकदमे

   वर्ष 2018: 61
   वर्ष 2019: 28
  वर्ष 2020: 69 (अब तक)

साइबर थाने में आती हैं औसतन हर दिन 5 शिकायतें
साइबर क्राइम पर अंकुश लगाने के उद्देश्य से वर्ष 2015 में देहरादून में साइबर थाने की स्थापना हुई थी। यहां प्रतिदिन लोग अपनी शिकायतें लेकर पहुंचते हैं। साइबर थाने में सात लाख रुपये से अधिक के फ्रॉड के मामले दर्ज किए जाते हैं। लेकिन, वर्तमान में यहां पर जीरो एफआईआर दर्ज होने लगी हैं।

एसएसपी एसटीएफ अजय सिंह ने बताया कि वर्तमान में यहां पर हर रोज करीब चार से पांच शिकायतें पहुंच रही हैं। इनमें ज्यादातर मामलों में लोगों के पैसे वापस करा दिए जाते हैं। लेकिन, बाकी में एफआईआर दर्ज करा दी जाती है।

साइबर ठगों के कुछ पैंतरे

  • बैंक अधिकारी बनकर जान लेते हैं ओटीपी।
  • फेसबुक पर लॉटरी का देते हैं लालच।
  • लॉटरी में कस्टम के नाम पर मांगते हैं पैसा।
  • क्यूआर कोड भेजकर मांगते रकम।
  • एटीएफ क्लोनिंग कर उड़ा लेते हैं खाते से रकम।

यह है स्थिति

वर्ष शिकायतें मुकदमे
2018 – 736 – 61
2019 – 1308 – 28
2020 – 2119 – 69
2021 – 182 (अब तक)

साइबर ठगी से ऐसे बचें
एसएसपी एसटीएफ अजय सिंह ने बताया कि अगर थोड़ी सी सावधानी बरती जाए तो साइबर ठगी से बचा जा सकता है। इसके लिए जरूरी है कि जिस एप, वेबसाइट आदि पर आप काम कर रहे हैं उसकी सही जानकारी हो। इसके लिए कुछ बातें ध्यान में रखने की जरूरत है…

  • कभी भी अपनी व्यक्तिगत या बैंक डिटेल्स फोन व वाट्सअप कॉल पर किसी से भी साझा न करें। कोई भी बैंक या वॉलेट आपको फोन कर आपकी बैंकिग डिटेल नहीं मांगता।
  • गूगल या अन्य किसी सर्च इंजन पर किसी कंपनी/बैंक का कस्टमर केयर नंबर न ढूंढें। कस्टमर केयर का नंबर संबंधित कंपनी/बैंक की अधिकारिक वेबसाइट से ही देखें।
  • फेसबुक, मेट्रीमोनियल साइट्स, डेटिंग एप व अन्य सोशल साइट्स में किसी भी अज्ञात व्यक्ति/महिला से मित्रता न करें न ही उसके बहकावे में आएं।
  • कभी भी किसी से अपने डेबिट कार्ड/क्रेडिट कार्ड की जानकारी शेयर न करें।
  • किसी भी वैबसाइट में अपने credit card/ एटीएम कार्ड की जानकारी देने से बचें।

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