अपड़ु मुलुक अपड़ी भाषा (हिंदी – गढ़वाली कविता)
आजकल गांव से शहरों में भाग रहे हैं लोग,और सब को लगता है कि…
आजकल गांव से शहरों में भाग रहे हैं लोग,और सब को लगता है कि…
आंसुओं को बंया कर नही सकता, आंसुओं को कहने का नहीं मैं वक्ता, आंसुओं…
क्या खोया क्या पाया, हिसाब ये किसने है लगाया? जो भी मिल गया इस…
आओ नूतन वर्ष मनाएं दस्तक देने लगा द्वार पर फिर से नूतन वर्ष कुछ…
बहुत भारी पड़ेगा तुम्हे किसानों के दिल से खेलना आये दिन उनके नाम पर…