भट्ट दाल: अलग-अलग तरीके से बनाई जाती हैं बेहद स्‍वादिष्‍ट और सेहतमंद

उत्तराखंड एक हिमालयी राज्य हैं, यहाँ आपको कई गुणों से परिपूर्ण खाने की सामग्री मिल जाएगी। पहाड़ी भोजन जितना स्‍वादिष्‍ट होता है, उतना ही सेहतमंद भी होता है। चाहे पहाड़ी सब्जियां हों या फ‍िर दाल सभी में औषधीय गुण छिपे रहते हैं। इसकी तासीर गर्म है, सर्दियों में यह अत्यंत चाव से खायी जाती है।

इसी क्रम में उत्तराखंड की एक दाल हैं जो बेहद स्‍वादिष्‍ट दाल हैं, भट्ट की दाल। सफ़ेद और काले रंग की होती है, ज़्यादा प्रसिद्ध काले रंग की भट्ट है। पहाड़ों में आने वाले लोग जो इससे परिचित नहीं होते, काले रंग की इस पहाड़ी दानों से बने लोकप्रिय डाल को देखकर हैरान हो जाते है।

यह दाल बेहद गुणकारी है और इसे कई तरीकों से बनाया जाता है। यह पहाड़ की सबसे पसंदीदा दालों में से हैं, प्रवासी  उत्‍तराखंडी भी इसे पहाड़ों से यह दाल मंगाना नहीं भूलते हैं।

भट्ट की दाल को कई तरीकों से बनाया जाता हैं, हर तरीके का नाम और स्वाद अलग-अलग होता हैं, और खाने में ये सब एक से बढ़कर एक हैं।

भट्ट के डुबके:

पहले तरीकें में दाल को रातभर पानी में भिगोने के बाद, सुबह दाल को सिल-बट्टे या मिक्सी में पीसा जाता हैं। लोहे की कढ़ाई में घी या सरसों का तेल गरम करें। तेल में लहसुन, प्याज, जखिया, कढ़ी पत्ता का तड़का लगा लें। अब स्‍वाद के अनुसार नमक, मिर्च व अन्य मसाले भी डाल दें। थोड़ा पानी डाल लें। ग्रेवी बनने पर पानी में घुली दाल को कढ़ाई में डाल दें। लगातार करछी चलाते रहें नहीं तो डुबका तले में चिपक जाएगा। इसे कम आंच में पकने दें, जिससे इसका स्वाद और भी ज्यादा हो जाता हैं। जैसे ही डुबके का रंग थोड़ा काला होने लगे और खुशबू आने लगे तो आपका डुबका बन चुका है।

भट्ट के डुबके बनाने का दूसरा तरीका:

दूसरे तरीके में दाल को चक्की में पीस लें और पाउडर बना लें। लोहे की कढ़ाई में घी डालें और उसमें वह पाउडर डालें। अब इसे हल्की आंच में भूनें। हल्का भूरा होने पर इसमें नमक, मिर्च, धनिया व जीरा डालें। थोड़ा गाढ़ा होने पर उसमें दो-तीन चम्मच गेहूं का आटा मिलाएं और भून लें। आटा भून लेने के बाद अब कढ़ाई में अंदाजे से पानी डालें। पानी जितना भी डालना है एक बार में ही डालें। डुबका कढ़ाई के तले में न चिपके, इसलिए करछी से चलाते रहें। जब कढ़ाई के ऊपरी हिस्से में डुबका ज्यादा चिपकने लगे और पपड़ी बनने लगे तो डुबका तैयार है।

भट्वाणी या चुड़कानी:

उत्तराखंड में सबसे पसंदीदा भोजन भट्वाणी या चुड़कानी हैं, सर्वाधिक पसंद किया जाता है। भट्ट की दाल को तेल या घी में कढ़ाई या तवे में भूनकर, अब लोहे की कढ़ाई में प्याज, लहसुन, जीरे का तड़का लगाएं। अब टमाटर डालकर जरूरत के हिसाब से नमक, मिर्च व अन्य मसाले डालें। ग्रेवी तैयार होने के बाद इसमें भुने भट्ट डाल दें। फिर ढक्कन लगाकर थोड़ी देर तक पकाएं।

भट्ट का जौला:

यह ज्यादातर पहाड़ों में ठंड के दिनों में खाया जाता हैं। जौला भट्ट व चावल से बनता है। रात को भट्ट की दाल भिगोकर रख दें। सुबह इसका छिलका हटा लें।या छिलके के साथ ही आप इसे बना सकते हैं। दाल को पीसकर लोहे की कढ़ाई में डालने के बाद इस पिसी दाल को पकाएं। साथ में जरूरत के हिसाब से चावल भी मिला लें अब इस मिश्रण को पकाते रहें। जब यह पककर बिल्कुल थोड़ा थिंक हो जाते तो इसके साथ लहसुन वाला हरा नमक मिलाकर खाएं।

भटुला:

भटुला डुबके जैसा ही होता है, लेकिन इसे अलग तरीके से बनाया जाता है। इसे बनाने के लिए भट्ट के आटे को पानी में घोलकर रखा जाता हैं। अब लोहे की कढ़ाई में घी या तेल डालकर प्याज, लहसुन व जीरा का तड़का लगाकर  इसमें नमक, मिर्च व अन्य मसाले भी भून लिए जाते हैं। भट्ट के आटे के घोल का छौंक लगा लिया जाता है। अंदाज से पानी डालकर इसे पकाते रहें और करछी चलाते रहें। 15-20 मिनट में यह तैयार हो जाएगा।

भट्ट की दाल में पाये जाने वाले पोषक तत्व है – फास्फोरस (Phosphorus), आयरन (Iron), कैल्शियम (Calcuim), कार्बोहाइड्रेट (Carbohydrate) आदि

 

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