अनकही बातें..(कविता निर्मला जोशी )

कह डालो,
कह डालो
जो कहना है
बाहर निकालो
पर रोक लिया
अंगद के पैर से
जमे हुवे संस्कारों ने
और…..

अनकही रह गईं कुछ बातें
उन अनकही बातों का स्वाद
जब उभरता है आज
तब बड़ा सुकून मिलता है
अच्छा ही हुआ जो
अनकही रह गई
कुछ बातें
वरना आज वो स्वाद जाने
कितने रिश्तों को
कर जाता कड़ुवा
और कसैला
आज बहुत मीठा लगता है
उन अनकही बातों का स्वाद।

निर्मला जोशी ‘निर्मल’
हलद्वानी, देवभूमि, उत्तराखंड।

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