रूस का DEAD HAND सिस्टम

क्या है रूस का DEAD HAND सिस्टम? भारत को भी ऐसे ही एक सिस्टम की जरूरत है जो आने वाली कठिन समय में देश की मदद करेगा।

डेड हैंड को रूस में पेरिमीटर के नाम से भी जाना जाता है अन्य देशो में इसे डेड हैंड के नाम से जाना जाता है, यह एक ऐसा सिस्टम जो युद्ध के समय आटोमेटिक न्युक्लेअर मिसाइल दुश्मन देश की और भेज देगा। 

सबसे पहले इस सिस्टम को USSR ने ही कोल्ड वॉर के समय 1970 से 1980 के बीच डेवेलोप किया था अब इसका एक अपडेटेड वर्जन (USSR) बना चूका है। आने वाले समय में यदि कोई देश रूस पर न्युक्लेअर अटैक करता है तब यह सिस्टम ऑटोमेटिकली एक्टिवेट होकर उस देश पर न्युक्लेअर मिसाइल की बौछार कर देगा।

इस सिस्टम  को बनाने के पीछे का कारण बहुत पुराना है। रूस के “विक्टर येसींन” तब के “स्ट्रेटेजिक रॉकेट फाॅर्स” के कमांडर ने 1990 में  एक न्यूज़ पेपर को दिए इंटरव्यू कहा था , की यदि USA अपने देश से कोई न्युक्लेअर मिसाइल रूस की और भेजता है तो तब रूस को जवाबी करवाई करने का समय मिलता है। लेकिन यदि USA किसी नाटो के सदस्य देश से मिसाइल रूस की तऱफ भेजता है तो उसे जवाब देने का समय नहीं मिल पायेगा। इसलिए ऐसे सिस्टम की जरूरत रूस को महसूस हुई जो रूस के किसी भी हिस्से  में मिसाइल गिरने के बाद स्वतः ही एक्टिवेट होकर मिसाइल दुश्मन देश की ओर भेजता जाये।

इसको एक उदहारण से समझा जा सकता है यदि USA अपने देश से 100 न्युक्लेअर मिसाइल रूस की भेजता है तब रूस को जवाबी करवाई करने के लिए 10  से 15 मिनट का वक़्त मिलेगा। जो की देश के टॉप लीडर्स को आर्मी कमांड देने के लिए बहुत है। लेकिन यदि USA रूस के किसी नजदीकी नाटो देश से ऐसा अटैक रूस पर करता है तब रूस के पास 2 से 3 मिनट ही होंगे जो जवाबी करवाई के लिए बहुत कम होंगे तब बिना किसी टॉप लीडर की कमांड के ये सिस्टम ऑटोमेटिकली काम करेगा।

लेकिन इसके द्वारा जवाबी करवाई में भेजी गई मिसाइल दुश्मन देश के पडोसी देशो में भी गिर सकती है।  जैसे USA के साथ ब्राज़ील ,मेक्सिको जैसे देश भी इसकी चपेट में आ सकते है। जो की एक भयानक स्थिति होगी इसीलिए इस सिस्टम का नाम डेड हैंड रखा गया है।  इस पर एक किताब भी प्रकशित है THE DEAD HAND ( DAVID .E . HAFFMIN ) इस किताब को पुलित्ज़र पुरुस्कार से भी सम्मानित किया गया है  

डेड हैंड सिस्टम एक सीक्रेट जगह पर रूस द्वारा बनाया गया है जिसमें कुछ आर्मी ऑफिसर्स हर वक़्त इसके डेटाबेस पर नजर बनाये रखते है। इसकी सभी मिसाइल समुद्र के अंदर रहती है। इमरजेंसी के वक़्त ये सिस्टम इन मिसाइल को ऑटोमैटिक्ली लांच कर देता है।

भारत को भी इसी प्रकार के एक सिस्टम को विकसित करने की जरूरत है जो किसी भी बड़े शहर में न्युक्लेअर अटैक होने के तुरंत बाद जवाबी करवाई कर सके।

Related posts

इस सदी के आविष्कार

हवाई जहाज पर इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों को बंद क्यों करना पड़ता है?

क्या है Wi-Fi कैसे काम करता है?