अफ्रीका में, जो मैंने सीखा

by Yashwant Pandey
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साल 2008
मैं अपने जीवन में पहली बार अफ्रीका जा रहा था। उसके पहले सिर्फ नाम सुना था, अफ्रीका द ब्लैक कॉन्टिनेंट। मैं बड़ा खुश था। मेरे कुछ दोस्तों ने समझाया, अरे भाई मत जा, वहां कैनिबल्स रहते हैं। कुछ रिश्तेदारों ने भी सलाह दी, अच्छी भली नौकरी घर में कर रहा है, पागल कुत्ता काटा है जो अफ्रीका जाएगा। कंपनी जबरदस्ती भेज रही है तो नौकरी छोड़ दे, दूसरी नौकरी मिल जाएगी, या कोई काम धंधा कर लेना यहीं पर। लेकिन मैं बहुत खुश था, मैं देखना चाहता था दुनिया, अफ्रीका मेरे लिए एक बहुत बड़ा अवसर था। मैंने टूर पर निकलने से पहले काफी तैयारी की, जरूरी जानकारी और सूचनाएँ एकत्र करी। अफ्रीका पहुँच गया।
अफ्रीका पहुंचने पर जो चीज मुझे सबसे अच्छी लगी, वह थी उनका सम्मान देने का तरीका। अगर आपसे कोई पता भी पूछेगा, तो पहले कहेगा, “हैलो सर, गुड मॉर्निंग” (समय के अनुसार salutation), “हाउ आर यू?” फिर वह आपसे पता पूछेगा, उसी तरह से जब आप किसी दुकान में जाएंगे, तो वह आपको “हैलो, हाउ आर यू?” कहकर बात शुरू करेगा। साथ में वह भी आपसे आशा करेगा, कि आप भी उसे “हैलो` हाउ आर यू कहें”। और अगर आपने बिना ग्रीटिंग्स की बातें शुरू की, तो इस को वह अपना अपमान समझते हैं। वह कहेंगे, आप ने उन्हें सम्मान नहीं दिया।
जैसे आप कहीं भी जाते हैं, वॉचमैन हो, बस का ड्राइवर हो, काउंटर सेल्समेन हो, कैशियर हो, फ्लाइट की केबिन क्रु हो वह आपसे सम्मान से पेश आएंगे, “हैलो, हाउ आर यू?” कहकर बात शुरू करेंगे।
आपका विनम्र व्यवहार, आपकी पहचान
मैं जब किसी दुकान पर जाता था, तो मुझे भी सम्मान से, “हैलो, हाउ आर यू?” करके बात शुरू करते थे। एक इंडियन दुकानदार से मैंने पूछा – मैं तो बेचने आता हूं आपके पास, फिर भी यहां पर लोग इतना सम्मान देते हैं! उन्होने बताया कि – देखिए, आप यहां आए हमारे पास, तो यह हमारा कर्तव्य बनता है कि हम आप का सम्मान करें।
 बिजनेस हो या ना हो, लेकिन सम्मान तो जरूर होगा, यह अफ्रीकन कल्चर है।
अपनी जिंदगी में मैंने यह प्रैक्टिस करनी शुरू कर दी। जब भी मुझे किसी अनजान व्यक्ति से बात करना होती है, तो पहले तो मैं उन्हें नमस्कार करता हूं, फिर मैं अपनी बातें करता हूं। हिंदुस्तान में अगर किसी दुकान में मैं कुछ खरीदने जाता हूं, माँल में जाता हूँ, शोरूम में जाता हूं तो गार्ड को भी मैं नमस्कार करता हूं। सामान लेकर बिल बनाने के लिए जाता हूं, तो billing/ कॅश काउंटर पर बैठे लोग को भी नमस्कार करता हूं। सामान लेकर बाहर निकलता हूं, एक गार्ड होता है, जो मेरे बिल से सामान को मिलाता है, उसे भी नमस्कार करता हूं। किसी ठेले से कुछ लेना होता है, तो भी मैं पहले मैं नमस्कार करता हूं। पहली बार वह बड़े अजीब से देखते हैं, लेकिन दूसरी बार देखते ही वह भी पहले मुझे नमस्कार करते हैं। मैं आजू-बाजू के दुकानों में जाता हूं, मुझे पहले हाथ जोड़कर नमस्कार करते हैं। मैने अपने बच्चों को भी यह सिखाया है, किसी से भी बात शुरू करने के पहले उन्हें हाथ जोड़कर आदर भाव से नमस्कार करो।
हर किसी से हम कुछ न कुछ सीख सकते हैं, जो आपके जीवन में सकारात्मक बदलाव लाने के साथ साथ, आपके आसपास के लोगों पर भी अच्छा प्रभाव डालते हैं। आपके छोटे और गैरज़रूरी से लगने वाले हाव भाव असल जिंदगी में मायने रखते हैं, और आपसे मिलने वालों के व्यवहार को प्रभावित करते हैं।

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