उत्तराखंड का पारंपरिक Choliya (छोलिया/छलिया) नृत्य

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छोलिया/छलिया नृत्य उत्तराखंड के कुमायूँ क्षेत्र में प्रचलित एक नृत्य शैली है।

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यह मूल रूप से एक शादी/ उत्सव  के समारोह  के साथ एक तलवार नृत्य है। 

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छोलिया कई शुभ कार्यों विवाह में किया जाता है और इसे शुभ माना जाता है। 

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उत्तराखंड का लोकनृत्य छोलिया उत्तराखंड के लोगों में रोमांच भर देता हैं। 

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छोलिया नृत्य कुमाऊं में कत्यूरी और चंद शाशन काल के राजपूत सैनिकों की युद्ध की परंपराओं में जुड़ा हैं।

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इस नृत्य में तुतरी या तुरही, रणसिंह,  ढोल, दमाउ सहित अनेकों पारंपरिक वाद्य यंत्र  प्रयोग में लाये जाते हैं। 

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इस नृत्य में कलाकारों द्वारा प्रयुक्त वेशभूषा कुमाऊं के प्राचीन सैनिको की वेशभूषा से मिलती है।

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उनके सिर पर टांका, चोला, चंदन की लकड़ी के लेप से ढका चेहरा जैसे कि तलवार और पीतल की ढाल से लैस लड़ाई के लिए तैयार हो।

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