उत्तराखंड में भगवान शिव को समर्पित पांच केदार हैं जिन्हें पंच केदार के नाम से जाना जाता हैं। उन्हीं में से तीसरा केदार हैं तुंगनाथ मंदिर (Tungnath Mandir)।

इस मंदिर का निर्माण आज से हजारों वर्षों पूर्व महाभारत के समय में पांडवों के द्वारा किया गया (Tungnath Mahadev) था।

तुंगनाथ महादेव मंदिर उत्तराखंड राज्य के रुद्रप्रयाग जिले के अंतर्गत आता है। यहाँ पर उखीमठ से आगे चोपता नामक एक गाँव हैं।

इसी गाँव के पास तुंगनाथ नामक पहाड़ी है। चोपता गाँव तक हम विभिन्न साधनों से पहुँच सकते हैं। उसके बाद यहाँ से तुंगनाथ पहाड़ी पर चढ़कर तुंगनाथ मंदिर तक पहुंचा जा सकता है।

चोपता गाँव की समुंद्र तट से ऊंचाई लगभग 3,470 मीटर (11,385 फीट) है। यहाँ से तुंगनाथ मंदिर 3 से 4 किलोमीटर की दूरी पर स्थित (Tungnath Mandir Ki Unchai Kitni Hai) है। 

तुंगनाथ पहाड़ी से तीन झरने निकलते हैं जिनसे अक्षकामिनी नदी का निर्माण होता है। साथ ही यह पहाड़ी प्रसिद्ध अलकनंदा व मंदाकिनी नदियों के बीच में स्थित है।

मंदिर का निर्माण बड़े-बड़े पत्थरों से किया गया है जिसके अंदर काले पत्थर से बना शिवलिंग (Tungnath Temple Shivling) स्थापित है।

मंदिर के प्रवेश द्वार पर भगवान शिव की सवारी नंदी शिवलिंग की ओर मुख किये हुए है। मंदिर के अंदर शिवलिंग के आसपास काल भैरव, महर्षि व्यास व अष्टधातु से बनी मूर्तियाँ स्थापित की गयी हैं।

इसके अलावा बाकि चार केदारों व पांडवों की नक्काशियां भी दीवार पर देखने को मिलेंगी। तुंगनाथ मंदिर के दायीं ओर एक छोटा सा मंदिर है जहाँ भगवान गणेश की मूर्ति स्थापित है।

तुंगनाथ का मतलब होता है पहाड़ो का भगवान जो कि भगवान शिव को कहा जाता है।