Sleeping Disorders: अच्छे स्वास्थ्य के लिए अच्छी नींद होना जरूरी है. नींद आमतौर पर हेल्दी बॉडी होने का पैमाना भी होती है. लेकिन नींद कितने घंटे सोने पर पूरी होती है. इसके डिफरेंट पैरामीटर्स हैं. कुछ डॉक्टर मानते हैं कि 8 घंटे जरूर सोना चाहिए. यह सेहत के लिए अच्छा है.

वहीं कुछ कहते हैं कि सोना इस पर निर्भर करता है कि आठ घंटे में आपकी गहरी नींद कितनी होती है. यदि स्लीप साइकिल में घंटे से दो घंटे तक गहरी नींद नहीं है तो उसे नींद पूरा होना नहीं माना जाता है. वहीं, नींद में खलल डालने का काम कुछ बीमारियां भी करती हैं. उनके बारे में भी जानकारी होना जरूरी है.

तनाव में इस वजह से नींद नहीं आती आजकल कल लाइफ स्टाइल मेें नींद न आना आम समस्या बनती जा रही है. लोग सोने के लिए स्लीपिंग पिल्स का सहारा लेते हैं. यह स्थिति बेहद खतरनाक होती है. एक स्टडी में सामने आया है कि नींद न आने का प्रमुख कारण तनाव भी होता है. तनाव में स्ट्रेस हार्माेन कोर्टिसोल का लेवल बढ़ जाता है.

स्लीप एप्निया में भी है डिसऑर्डर स्लीप एप्निया भी नींद से जुड़ी गंभीर है. इस डिसआर्डर में व्यक्ति को नींद नहीं आ पाती है. पेशेंट खूब सोने की कोशिश करता है. लेकिन सो नहीं पाता. नींद न आने से इम्यून सिस्टम कमजोर होने लगता है. व्यक्ति थका थका रहता है.

खर्राटें भी हैं प्रॉब्लम की जड़ खर्राटें लेना आजकल आम समस्या है. लेकिन इस समस्या का जुड़ाव भी नींद से है. जो लोग खर्राटेें लेते है।. उनकी नींद रात को कई बार टूटती है. इस कारण उनकी नींद पूरी नहीं हो पाती हैं. दिन में थके थके रहते हैं.

पैरासोमिया भी है प्रमुख कारण नींद से जुड़ी एक और बीमारी होती है. इसे पैरासोमिया के नाम से जाना जाता है. इसमें सोते समय व्यक्ति अजीबोगरीब हरकते करता है. हाथ-पैर हिलाना, अचानक जोर से आवाज निकालना और नींद में बैठ जाना. सोते समय अचानक डरना, दांत चबाने जैसी हरकतें होती हैं.

ऐसे ले सकते हैं गहरी नींद नींद संबंधी परेशानी है तो अच्छी नींद पाने के लिए कमरे में अंधेरा कर सकते हैं. सोते समय, टीवी, मोबाइल व अन्य गजेटस से दूरी बनाकर रखें. शोर शराबे वाली जगह से दूरी बनाएं. स्लीप साइकिल का विशेष ध्यान रखें. यदि रात को 10 बजे सो रहे हैं तो कोशिश करें कि हर दिन 10 बजे ही सो जाएं.