शायद ही कोई ऐसा हो, जिसे दोस्तों के साथ समय बिताना पसंद न हो। यह एक ऐसा रिश्ता है, जिसे हम खुद चुनते हैं। दुख-सुख में साथ देने वाले यह आपके दोस्त यूं तो कई तरह से आपकी मदद करते हैं,
इस अध्ययन में मानसिक स्वास्थ्य को बनाएं रखने के लिए मानसिक और इमोशनल संबंध के महत्व को दिखाया गया है।
इस स्टडी पता चला कि अगर आप दिन में एक बार अपने दोस्तों से मिलते हैं, मजाक करते हैं और उन्हें यह बताते हैं कि आपका दिन कैसा गया, तो इससे आपकी खुशी बढ़ सकती हैं। साथ ही यह तनाव कम करने में भी काफी मददगार होता है।
इतना ही नहीं इसकी वजह से डिप्रेशन और एंग्जाइटी जैसी मानसिक समस्याओं का खतरा भी कम होता है। अन्य कई स्टडीज में भी यह सामने आ चुका है कि सोशल कनेक्शन से भी व्यक्ति का मूड अच्छा होता है और वह अपने इमोशन्स को कंट्रोल कर पाते हैं।
इस स्टडी में पांच अलग-अलग यूनिवर्सिटीज के 900 स्टूडेंट्स को शामिल किया गया। इन छात्रो पर लॉकडाउन से पहले, इसके दौरान और बाद में अध्ययन किया गया। इस अध्ययन का मकसद रिश्तों के संदर्भ में बातचीत की गुणवत्ता को समझना था।
इसके लिए अध्ययन में शामिल लोगों को दिन में सात में से किसी एक कम्युनिकेशन बिहेवियर में शामिल होने के लिए कहा गया,जिसके बाद रात में इन लोगों को अपने तनाव, कनेक्शन, एंग्जाइटी, वेलबिंग, अकेलापन और दिन की गुणवत्ता के बारे में रिपोर्ट करने के निर्देश दिए गए।
मुख्य रूप से इस स्टडी का मकसद रोजाना होने वाली बातचीत की क्वांटिटी और क्वालिटी दोनों के प्रभाव को समझना था। परिणामस्वरूप अध्ययन में पता चला कि बातचीत की क्वांटिटी और क्वालिटी दोनों ही जरूरी है। जिन लोगों से ज्यादा क्वालिटी कम्युनिकेशन किया उनसे दिन अच्छे थे। इस स्टडी के प्रमुख लेखक की मानें, तो अगर आपका दोस्त आपकी बात को ध्यान से सुनते हैं,
तो इससे आपकी मेंटल हेल्थ में सुधार होता है। स्टडी में यह भी पता चला कि सोशल मीडिया या इलेक्ट्रॉनिक कम्युनिकेशन की तुलना में दोस्तों के साथ आमने-सामने होने वाली बातचीत मेंटल हेल्थ को बूस्ट करने में कारगर है।