आप गुलाम भारत के उन दिनों को याद कर सकते हैं, जब हम अपने ही देश में अंग्रेजों की गुलामी करने को मजबूर थे।

आप स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों के संघर्ष के किस्से सुना सकते हैं। आप संविधान की खासियत बता सकते हैं।

भाषण इतना इतिहासपरक न हो जाए कि वर्तमान स्थिति से आप विमुख हो जाएं। यानी कि भाषण अधिक लंबा न हो।

भाषण ऐसा हो कि लोग उससे जुड़ाव महसूस करें। भाषण में देशभक्ति की किसी कविता की पंक्ति या देशभक्ति के नारे को शामिल कर सकते हैं।

आजादी की लड़ाई के वक्त कई स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों ने अपने ओजस्वी नारे से देश के युवाओं को इस जंग में शामिल होने के लिए आह्वान किया था। आज भी इन देशभक्ति के नारों को जब भी कोई कहता है तो महफिल में जोश और ऊर्जा बढ़ जाती है।

अधिक लंबा भाषण निरस हो जाता है और श्रोता बोरियत महसूस करने लगते हैं।

अंत में भाषण का समापन करते समय एक बार फिर सभी को गणतंत्र दिवस की बधाई दें और सभी का आभार व्यक्त करें।