राजमा (Rajma) में केवल स्वाद ही नहीं बल्कि इसके अंदर सेहत के ढेरों राज छुपे होते हैं। राजमा के साथ चावल खाने का मजा ही कुछ अलग है। राजमा की खेती (Rajma ki kheti) किसानों की आर्थिक सेहत का भी ख्याल रखती है।
राजमा (Rajma) एक दलहनी फसल है। इसे पोषण का राजा भी कहा जाता है। राजमा में कई पोषक तत्व मौजूद होते हैं। इसमें प्रोटीन की भरपूर मात्रा होती है।
यह मिट्टी की उर्वरा शक्ति बनाए रखती है। राजमा खाने के स्वाद को बढ़ाने के साथ ही किसानों की आर्थिक स्थिति भी ठीक कर सकता है।
राजमा(beans) के लिए ठंडी जलवायु की जरूरत होती है। राजमा की खेती पहाड़ी क्षेत्रों में की जाती है, पहाड़ी क्षेत्रों में राजमा खरीफ की फसल है, लेकिन मैदानी क्षेत्रों में रबी के मौसम में भी इसकी खेती होती है।
सिंचाई की सुविधा होने पर इसे फरवरी में भी बोया जाता है। राजमा हल्की दोमट मिट्टी से लेकर भारी चिकनी मिट्टी तक में उगाया जा सकता है। जब भी इसकी खेती करें, मिट्टी में गोबर की खाद और कंपोस्ट जरूर मिला लें।
राजमा की अच्छी पैदावार हेतु 10 से 27 डिग्री सेंटीग्रेट तापमान की आवश्यकता पड़ती है। खरीफ के मौसम में राजमा की पैदावार अच्छी होती है।
राजमा की फसल (rajma ki phasal) 90 से 115 दिनों के बीच में तैयार हो जाती है।