पिथौरागढ़ (Pithoragarh): प्राकृतिक सुंदरता से भरपूर
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पिथौरागढ़ उत्तराखण्ड का एक ऐसा जनपद हैं, जहां वह सब है, जिनका होना किसी स्वर्ग जैसे स्थान की कल्पना करने के लिए आवश्यक है।
हिमालय के ऊंचे शिखर, glaciers से निकलती नदियां, हरियाली का मनमोहक रूप, खुले मैदान......
एक ओर हिमालय के ऊंचे शिखर, पड़ोसी देश तिब्बत पिथौरागढ़ की अन्तराष्ट्रीय सीमाओं को कठोरता से निर्धारित करती है।
वहीं नेपाल और भारतीय सीमा के बीच मे बहती काली नदी पर बने पुल भारत - नेपाल आवागमन को सरल बना दोनों पड़ोसी राष्ट्रों को करीब लाती है।
पिथौरागढ़ को 24 फरवरी 1960 को अल्मोड़ा से अलग कर स्वतंत्र जिला बनाया गया था।
सिमलगैर बाजार पिथौरागढ़ की मुख्य बाजार है, जहां दैनिक जीवन के आवश्यकताओं से जुड़ी वस्तुओं से जुड़ी दुकाने मौजूद हैं।
पिथौरागढ़ नगर में और आस-पास कई सुंदर स्थल हैं, जो बेहद खूबसूरत हैं।
घंटाकरण
यहाँ नगर के मध्य में भगवान शंकर के परम भक्त घंटाकर्ण देवता को समर्पित मंदिर हैं।
उल्का देवी मंदिर
मान्यता है कि उल्का माता पिथौरागढ़ जिले को प्राकृतिक आपदाओं से रक्षा करती है। पर्वत शिखर पर इस मंदिर की स्थापना की थी।
गोरखा समुदाय ने अपने शासनकाल में पर्वत शिखर पर इस मंदिर की स्थापना की थी।
चंडाक
पिथौरागढ़ नगर से ऊंचाई पर स्थित इस स्थान से पिथौरागढ़ क्षेत्र का खूबसूरत panoramic दृश्य दिखाई देता है।
मोस्टामानू मंदिर
पिथौरागढ़ के क्षेत्र देवता का मंदिर है। मोस्ट देव को, इन्द्र देव का पुत्र माना जाता है।
लंदन फोर्ट
यह पिथौरागढ़ में एक उचे टीले पर स्थित है। यह वर्ष 1789 में गोरखाओं द्वारा बनाया गया था।
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