आमतौर पर लोग जंगल में रहने वाले जानवरों का दीदार करने के लिए चिड़ियाघर पहुंचते हैं, लेकिन यहां तो सड़क किनारे ही जंगली मुर्गियों (कलीज फीजेंट्स) से लेकर कांकड़, घुरड़ ही नहीं बल्कि तेंदुए तक का दीदार हो रहा है।

यही नहीं सड़क किनारे की पहाड़ी पर नजर आने वाले जंगली जानवरों को सैलानी कैमरे में भी कैद करते नजर आ रहे हैं। यह नजारा यहां नैनीताल-हल्द्वानी रोड में हनुमानगढ़ी से लेकर चील चक्कर बैंड और इसके आसपास देखा जा सकता है।

हनुमानगढ़ी से चील चक्कर बैंड तक जंगली मुर्गियों का कुनबा लगातार बढ़ रहा है। यहां सुबह व शाम सड़क किनारे जंगली मुर्गियों का झुंड नजर आना आम बात है। जंगलों में लोगों की आवाजाही कम होने और इस क्षेत्र के जंगलों में वनाग्नि की घटनाओं के कम होने के कारण जंगली मुर्गियों की तादाद यहां कई गुुना बढ़ी है।

ऐसे में सुबह शाम यहां जगह जगह जंगली मुर्गियों के झुंड देखे जा सकते हैं। पक्षियों की बीस से ज्यादा प्रजातियां हैं यहां मौजूद हनुमानगढ़ी क्षेत्र में विभिन्न प्रजातियों के पेड़ और झाड़ियां होने और इससे लगे क्षेत्र में पर्याप्त मात्रा में पानी मौजूद होने के कारण यह इलाका पशु पक्षियों के लिए बेहद अनुकूल है।

यही कारण है कि यहां बीस से अधिक पक्षियों की प्रजातियां मौजूद हैं। इनमें लाफिंग थ्रस, व्हाइट क्रेस्टेड लाफिंग थ्रस, ओरियंटल मैगीपाई रोबिन, व्हाइट थ्रोटेड लाफिंग थ्रूस, व्हाइट आई, ग्रेट बारबेट, डव, सनबर्ड, कलीज फीजेंट, ब्लू बिसलिंग थ्रस, पैराकीट, हिमालयन बुलबुल,

रैड बिल्ड ब्लू मैगपाई, हेयर क्रिस्टेड ड्रोंगो, तीतर, उल्लू, वूडपैकर, वर्डीटर फ्लाई कैचर समेत कभी-कभी स्टैप इगल व ग्रीफन वल्चर (गिद्ध) भी दिखाई देते हैं। हनुमानगढ़ी व चीलचक्कर बैंड पशु पक्षियों के लिए बेहद अनुकुल है।

पहाड़ी क्षेत्र होने के कारण यह घुरड़, कांकड़ व अन्य वन्य जीवों की पंसदीदा जगह है। यहां जंगली जानवरों को घास व पानी भी मिल जाता है। यही कारण है कि यहां बड़ी तादाद में जंगली जानवर रहते हैं। तेंदुओं को भी यहां उनका पसंदीदा भोजन मिल जाता है।

यहां खड़ी पहाड़ी व झाड़ियां होने के कारण इस क्षेत्र में लोगों की आवाजाही नहीं होती है। जिस कारण इस क्षेत्र को विभिन्न प्रजातियों के पशु पक्षियों ने अपना वास बनाया है। वन विभाग भी इस क्षेत्र में हमेशा नजर बनाए रखता है।