बेरोजगारों के आंदोलन को फंडिंग के मामले में पुलिस के दावों की पोल खुलती नजर आ रही है। जिस बैंक खाते से फंडिंग होना बताया जा रहा था, उससे किसी को पैसा ट्रांसफर नहीं हुआ है।
बल्कि, इस खाते में आंदोलन के लिए पैसा जमा किया जा रहा था। जिस समय पुलिस ने खाते को फ्रीज कराया, इसमें कुल 40 हजार रुपये ही थे। हालांकि, पुलिस इस मामले में जांच कर रही है।
पुलिस ने दावा किया था कि आंदोलन में उपद्रवियों को किसी ने फंडिंग की है। जिस खाते से फंडिंग हो रही थी उसे फ्रीज करा दिया गया है। लेकिन, सूत्रों के अनुसार यह खाता बिजनौर के एक छात्र का है।
एसबीआई की नेशविला रोड ब्रांच के इस खाते के यूपीआई कोड को सोशल मीडिया के कई ग्रुप पर शेयर किया जा रहा था। इसमें कुछ लोगों ने पैसे जमा भी कराए थे। युवक के एक करीबी के अनुसार इस खाते में वह आंदोलन के लिए पैसा इकट्ठा कर रहा था,
ताकि मुकदमे लड़ने में आंदोलनकारियों की मदद की जा सके। इससे किसी को फंडिंग नहीं की गई है। युवक के करीबी की यह बात अगर सच है तो पुलिस की फंडिंग वाली थ्योरी गलत साबित होती दिखाई दे रही है।
जिस ग्रुप पर इस खाते का क्यूआर कोड वायरल हुआ है, उसका नाम यूकेपीएससी रिफार्म है। इस पर मैसेज लिखा गया था कि आंदोलन के लिए वित्तीय सहयोग करें, यही मौका है।
इस मैसेज से ही पुलिस को यह खाता संदिग्ध लगा और इसे आननफानन फ्रीज करा दिया गया। लेकिन, अभी तक यह बात सिद्ध नहीं हो पाई है कि खाते से पैसा किसे भेजा गया है।
बैंक खाते की अभी पुलिस जांच कर रही है। कहां से पैसा आया, क्यों आया, यह सब जांच के बाद ही कहा जा सकता है।