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(नैमिषारण्य):  जहां नहीं है कलयुग का प्रभाव

Naimisharanya 

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नैमिषारण्य सतयुग से ही प्रसिद्ध है। कहा जाता है, इस पवित्र स्थान पर आकर लोग अपने पाप से मुक्त हो जाते हैं।

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नैमिषारण्य में ही  पहली बार सत्यनारायण की कथा हुई थी।

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इसी तपोभूमि पर ही ऋषि दधीचि ने लोक कल्याण के लिए देवराज इन्द्र को अपनी अस्थियां दान की थीं।

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नैमिषारण्य तीर्थ उत्तर प्रदेश राज्य के सीतापुर जिले में स्थित है। 

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कहा जाता है, कुछ  साधु-संत जो कलियुग के आरंभ होने और इसके दुष्प्रभावों के विषय में अत्यंत चिंतित थे।  वे ब्रह्मा जी के पास पहुंचे 

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और ब्रह्मा जी से किसी ऐसे स्थान के बारे में बताने का अनुरोध किया जो कलियुग के प्रभाव से अछूता रहे। 

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ब्रह्मा जी ने एक चक्र निकाला और उसे पृथ्वी की तरफ घुमाते हुए बोले कि जहां भी यह चक्र रुकेगा, वही स्थान होगा जो कलियुग के प्रभाव से मुक्त रहेगा।

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रामायण में उल्लेख मिलता है कि इसी स्थान पर भगवान श्रीराम ने अश्वमेध यज्ञ पूरा किया था

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महाभारत काल में यहां पर युधिष्ठिर और अर्जुन भी आए थे।

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चक्रतीर्थ यह एक गोलाकार पवित्र सरोवर है। लोग इसमें स्नान कर परिक्रमा करते हैं।

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ललिता देवी मन्दिर ललिता देवी का मंदिर काफी प्राचीन मंदिर है।

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व्यास गद्दी यहाँ वेद व्यास जी ने वेद को चार मुख्य भागों में विभाजित किया और पुराणों का निर्माण किया।

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हनुमान गढ़ी पाताल लोक में अहिरावण पर अपनी जीत के बाद भगवान हनुमान पहले यहाँ प्रकट हुए थे। 

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भूतेश्वर महादेव मंदिर यह एक प्राचीन शिव मंदिर है। इनकी भित्तियों पर हिन्दू धर्म के सभी पंथों से सम्बंधित प्रतिमाएं हैं।

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