नागनाथ मंदिर , चम्पावत जिले के सबसे पुराने मंदिरों में से एक है जो कि भगवान शिव को समर्पित है | नागनाथ मंदिर में “नागनाथ” शब्द दो शब्दों से मिलकर बना है “नाग” और “नाथ” , जिसमे अंग्रेजी में ‘नाग’ का अर्थ है “साँप” और ‘नाथ’ को “भगवान शिव” के रूप में संदर्भित किया जाता है।

जो कि सांप के लिए एक लगाव रखते थे और अपनी गर्दन के चारों ओर एक अनमोल गहने की तरह पहनते थे । नागनाथ मंदिर का निर्माण गुरु गोरखनाथ ने किया था , जो कि पहाडियों के एक प्रसिद्ध ऋषि थे।

इस मंदिर में एक नक्काशीदार द्वार के साथ एक दो मंजिला लकड़ी की संरचना है , जो कि कुमाउनी वास्तुकला अंदाज़ का प्रतिनिधित्व करता है | 18 वी सदी में मंदिर को गोरखा और रोहिल्ला आक्रमणकारियों द्वारा आंशिक रूप से नष्ट कर दिया था।

लेकिन वर्तमान समय में यह मंदिर पहले की तुलना में बेह्तर स्थिति में है |उत्तर भारत के विशेष पहाड़ी शहरो में हिन्दू पौराणिक कथा के अनुसार उत्तर भारत के लोग भगवान शिव को प्रमुख देवता के रूप में पूजा करते है |

यहां पूजा अर्चना करने से संतान सुख की प्राप्ति तो होती ही है एवम् शत्रुओं का नाश भी होता है। यह भी कहा जाता है कि चंद राजाओं ने जब चम्पावत में अपनी राजधानी स्थापित की तो चम्पावत के शीर्ष भाग में नगर की रक्षा के लिए नाथ संप्रदाय के एक महंत ने अपना डेरा जमाया।

जिसे राजा ने अपना गुरु मानते हुए उनसे आशीर्वाद लिया और यह स्थान नागनाथ के रूप में जाना जाने लगा। भगवान शिव के बारे में यह माना जाता है कि शिव मृत्यु के विजेता है और अपने सभी भक्तो को हर संभव मुसीबत से बचाते है एवम् जीवन को शांतिपूर्ण और सफल बना देते है।

 इस मंदिर में नागनाथ की धूनी के साथ ही कालभैरव का भी मंदिर है।यह मंदिर पहाड़ियों के लोकप्रिया व प्रसिद्ध गुरु गोरखनाथ ने बनाया था l उन्हें महादेव के प्रति बहुत आस्था थी इसीलिए उन्होंने इस मंदिर का निर्माण  करवाया।