बेहद रहस्‍यमयी है 'महिला नागा साधुओं' की दुनिया, जानिए कैसे बनते हैं महिला नागा साधु 

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नागा का इतिहास बहुत पुराना है।

नागा साधुओं को पशुपतिनाथ रूप में भगवान शिव की पूजा करते हुए दिखाया गया है।

कुंभ मेला नागा बाबाओं के लिए एक महत्वपूर्ण घटना है, क्योंकि यह एकमात्र समय है जब वे हिमालय से नीचे आते हैं। 

कुंभ वह समय भी है जब साधुओं का दीक्षा समारोह होता है। 

नागा साधुओं की तरह ही महिला नाग साधु को भी नागा साधु बनने के लिए कड़ा ताप करना पड़ता है। 

अपनी कठोर तपस्या और आत्मज्ञान की स्थिति के कारण कुंभ के दौरान पहली पवित्र डुबकी लगाने का प्रतिष्ठित अधिकार नागा साधुओं ने अर्जित किया है।

 नागा साधुओं को अपने लिए पिंडदान करना है यानी वह अब अपने परिवार और इस दुनिया के लिए मर चुके हैं।

महिला नागा साधु बहुत दुर्लभ मौकों पर ही नजर आती हैं।

यह आम जनजीवन से बहुत दूर घने जंगलों, पहाड़ों, गुफाओं में ही रहती हैं और पूरा समय भगवान की भक्ति में ही लगाती हैं।

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